धामी के विज़न को रिद्धिम की उड़ान, ‘मिशन संवाद’ बना पुलिस बल की नई ताकत

Dhami's vision takes flight with Riddhim, 'Mission Samvad' becomes the new strength of the police force

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राजू अनेजा, काशीपुर/खटीमा।उत्तराखण्ड में शासन अब सिर्फ आदेशों और योजनाओं का नाम नहीं रह गया है। अब यह संवेदना, सहभागिता और सशक्तिकरण का एक जीवंत रूप ले रहा है। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के “स्वस्थ उत्तराखण्ड – सशक्त भारत” के विज़न को कुमाऊं की तेज़तर्रार और दूरदर्शी आईपीएस अधिकारी आई.जी. रिद्धिम अग्रवाल ने मिशन संवाद के रूप में वह जमीन दी है, जहां भावनाओं को सुना जा रहा है, और मनोबल को सींचा जा रहा है।


खटीमा से शुरू हुआ संवाद, पुलिस बल को मिला नया संबल

मुख्यमंत्री के गृह जनपद उधम सिंह नगर के खटीमा से शुरू हुआ यह अभियान केवल एक कार्यक्रम नहीं, बल्कि पुलिस महकमे की सोच, संस्कृति और संचालन पद्धति में बदलाव का प्रतीक बनता जा रहा है।
इस कार्यक्रम का शुभारंभ उत्तराखंड पुलिस के मुखिया डीजीपी दीपम सेठ की उपस्थिति में हुआ, जो इस पहल को प्रशासनिक मान्यता और महत्व की पुष्टि करता है।


आईजी रिद्धिम का दृष्टिकोण: वर्दी के पीछे छिपी संवेदना को पहचान

आई.जी. रिद्धिम अग्रवाल के नेतृत्व में शुरू हुआ ‘मिशन संवाद’ उस सोच का विस्तार है, जिसमें हर पुलिसकर्मी को एक ‘सरकारी कर्मचारी’ नहीं, बल्कि एक इंसान समझा गया है — एक ऐसा इंसान जो दिन-रात ड्यूटी निभाते हुए अपने मानसिक स्वास्थ्य की कीमत चुकाता है।
रिद्धिम अग्रवाल ने इस पहल से यह सिद्ध कर दिया कि कठोर अनुशासन के भीतर भी कोमल दृष्टिकोण पनप सकता है।

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मिशन संवाद: तीन चरणों का सशक्त खाका

यह मिशन तीन सुनियोजित चरणों में संचालित किया जा रहा है:

  1. मानसिक स्वास्थ्य कार्यशालाएं – जहां पुलिसकर्मियों को तनाव के मूल कारण, पहचान और समाधान पर प्रशिक्षित किया जाता है।
  2. तनावग्रस्त कर्मियों की पहचान – विशेष पद्धतियों से उन कार्मिकों को चिन्हित किया जा रहा है जो मानसिक या भावनात्मक बोझ से जूझ रहे हैं।
  3. गोपनीय काउंसलिंग और संवाद ऐप – इस अभिनव तकनीकी पहल के तहत एक ‘संवाद ऐप’ लांच किया गया है जो प्रत्येक पुलिसकर्मी को डिजिटल, सुरक्षित और गोपनीय सहायता उपलब्ध कराता है।

‘स्कूल ऑफ लाइफ’ की साझेदारी से विशेषज्ञता की बुनियाद

इस पूरी प्रक्रिया को राष्ट्रीय स्तर की ख्यातिप्राप्त संस्था ‘स्कूल ऑफ लाइफ’ के साथ मिलकर संचालित किया जा रहा है, जो वर्षों से मानसिक स्वास्थ्य, तनाव प्रबंधन और व्यवहारिक काउंसलिंग के क्षेत्र में विशेषज्ञता रखती है। इससे मिशन को न केवल प्रशासनिक संबल मिला है, बल्कि पेशेवर मजबूती भी प्राप्त हुई है।

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सीएम का विश्वास, आई.जी. की दृष्टि — बनी उत्तराखण्ड पुलिस की नई पहचान

जब मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने उत्तराखण्ड की जानी-मानी अधिकारी रिद्धिम अग्रवाल को कुमाऊँ रेंज की कमान सौंपी, तो यह केवल जिम्मेदारी नहीं थी, बल्कि एक भरोसे का हस्तांतरण था
आई.जी. रिद्धिम अग्रवाल ने इस भरोसे को मिशन संवाद के ज़रिए ऐसे साकार किया, जिसमें पुलिस बल को अपने अस्तित्व और मन की पहचान मिली।

उनकी कार्यशैली में प्रशासनिक सख्ती है, परंतु साथ ही वह एक मां, एक बहन, एक मार्गदर्शक की भूमिका भी निभा रही हैं — जिसने पूरे विभाग को एक परिवार की तरह जोड़ा है। हर पुलिसकर्मी को उन्होंने परिवार का हिस्सा मानकर, उन्हें वह आत्मबल दिया है जो अक्सर ड्यूटी के दबाव में खो जाता है।


महिला नेतृत्व की शक्ति: संवेदना की ताकत

‘मिशन संवाद’ यह भी सिद्ध करता है कि जब किसी विभाग का नेतृत्व संवेदनशील महिला अधिकारी के हाथ में होता है, तो उसमें सिर्फ आंकड़े नहीं बदलते, संवेदनाएं जागती हैं, रिश्ते बनते हैं, भरोसा लौटता है।
रिद्धिम अग्रवाल ने पुलिस महकमे को केवल व्यवस्था का अंग नहीं, बल्कि एक जीवंत संस्था के रूप में देखा और संवेदनाओं के साथ गूंथा।


मिशन संवाद: नीति नहीं, नई संस्कृति की शुरुआत

‘मिशन संवाद’ अब केवल एक परियोजना नहीं, बल्कि एक सांस्कृतिक आंदोलन बनता जा रहा है।
यह उस शासन की पहचान बनता है जहां केंद्र में सिर्फ आदेश नहीं, इंसान है।
जहां सरकार केवल संचालित नहीं करती, सुनती है।
जहां अधिकारी केवल आदेश नहीं देते, समझते हैं।


प्रशंसा और प्रेरणा: मिशन संवाद से देशभर को सीख

उत्तराखण्ड पुलिस की यह पहल अब राष्ट्रीय स्तर पर चर्चा का विषय बनती जा रही है। अन्य राज्य भी इससे प्रेरणा ले रहे हैं कि किस प्रकार वर्दीधारी बल को मानसिक और भावनात्मक रूप से सशक्त बनाया जा सकता है।

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 पुलिस अब सिर्फ बल नहीं, एक भावनात्मक संरचना है

आई.जी. रिद्धिम अग्रवाल के नेतृत्व में संवाद ने सिखाया है कि एक मजबूत पुलिस बल बनाने के लिए सबसे पहले मजबूत इंसान बनाना ज़रूरी है।
और एक मजबूत इंसान के लिए सबसे ज़रूरी है — सुना जाना। समझा जाना।

‘मिशन संवाद’ अब एक कार्यक्रम नहीं, बल्कि विश्वास और आत्मबल की परिभाषा बन गया है।