पुलिसिया चेकिंग से बचने के लिए ट्रांसपोर्ट और कोरियर सर्विस का सहारा ले रहे नशे के सौदागर

खबर शेयर करें -


नशे के सौदागरों का यह हथकंडा खाकी के लिए बना नई चुनौती

राजू अनेजा,काशीपुर। सड़कों पर बढ़ती पुलिसिया सख्ती और लगातार हो रही वाहन चेकिंग से बचने के लिए नशे के सौदागरों ने अब अपना तरीका बदल लिया है। सीधे वाहनों या हाथों-हाथ सप्लाई की जगह अब ट्रांसपोर्ट और कोरियर नेटवर्क को सुरक्षित रास्ता बनाकर उत्तराखंड के युवाओं तक नशे का जहर पहुंचाया जा रहा है।


 युवाओं की रगों में जहर घोलने के लिए पंजाब से काशीपुर भेजी जा रही थी नशे की खेप

नशे के सौदागर पंजाब से सैकड़ों किलोमीटर दूर बैठकर पूरे नेटवर्क को संचालित कर रहे हैं। नशीले इंजेक्शन और टैबलेट बड़ी-बड़ी पेटियों में वैध मेडिकल सप्लाई की आड़ में भेजी जा रही हैं। ट्रांसपोर्ट से जुड़े लोगों का कहना है कि रोजाना अलग-अलग फर्मों का हजारों क्विंटल माल एक राज्य से दूसरे राज्य तक जाता है, जिसमें हर पेटी की जांच संभव नहीं होती।

यह भी पढ़ें 👉  शहर को गंदा करने वालो को महापौर की कड़ी चेतावनी, सुधर जाओ वरना कार्यवाही के लिए रहो तैयार


बिना जांच-पड़ताल पेटी बंद माल पहुंच रहा गंतव्य तक

ट्रांसपोर्ट के माध्यम से भेजे जाने वाले पेटी बंद माल की न तो रास्ते में नियमित जांच होती है और न ही अंदर झांकने की कोई ठोस व्यवस्था है। इसी कमजोरी का फायदा उठाकर प्रतिबंधित दवाएं और नशीले इंजेक्शन आसानी से अपने ठिकानों तक पहुंच रहे हैं। कई बार माल तब पकड़ा जाता है, जब वह गंतव्य तक पहुंच चुका होता है।


सेफ एक्सप्रेस ट्रांसपोर्ट में पहुंची 18 पेटी बनी सबूत

काशीपुर के दढ़ियाल रोड स्थित सेफ एक्सप्रेस ट्रांसपोर्ट के गोदाम में पहुंची 18 पेटी नशीले इंजेक्शन इसी बदले हुए ट्रेंड का बड़ा उदाहरण हैं। यह खेप पुलिसिया चेकिंग से बचते हुए सीधे गोदाम तक पहुंच गई थी। यदि समय रहते सूचना न मिलती तो यह नशा जिले के युवाओं की नसों में उतरने वाला था।

यह भी पढ़ें 👉  हरीश रावत का तीखा वार: 'टाइगर अभी जिंदा है', भाजपा को उत्तराखंड में हराने का दावा

पुलिस अलर्ट, ट्रांसपोर्ट और कोरियर पर बढ़ी निगरानी

पुलिस अधिकारियों का कहना है कि बीते कुछ महीनों में ट्रांसपोर्ट और कोरियर के जरिए ड्रग्स सप्लाई के मामलों में बढ़ोतरी हुई है। सीओ दीपक सिंह के अनुसार, अब ऐसे माध्यमों पर विशेष नजर रखी जा रही है। संदिग्ध शिपमेंट, फर्जी फर्मों, बार-बार आने वाली खेपों और बिना स्पष्ट दस्तावेज वाले माल की जांच तेज कर दी गई है।


वैध कारोबार की आड़ में फल-फूल रहा अवैध धंधा

नशे के सौदागर ट्रांसपोर्ट को इसलिए चुन रहे हैं क्योंकि यहां जोखिम कम और मुनाफा ज्यादा है। न तो हर पेटी की सख्त जांच होती है और न ही भेजने-लेने वाले की गहन पहचान। यही ढील ट्रांसपोर्ट नेटवर्क को नशे के कारोबार का सबसे सुरक्षित गलियारा बना रही है।


गली-मोहल्लों तक फैल रहा नशे का जाल

शहर और ग्रामीण इलाकों में कई ऐसे मेडिकल स्टोर हैं, जहां बिना डॉक्टर के पर्चे के प्रतिबंधित दवाएं खुलेआम बेची जा रही हैं। ट्रांसपोर्ट के जरिए पहुंची खेपें इन्हीं स्टोरों और नेटवर्क के माध्यम से युवाओं तक पहुंच रही हैं, जिससे नशे का दायरा लगातार बढ़ता जा रहा है।

यह भी पढ़ें 👉  उत्तराखंड मौसम अपडेट: पहाड़ों पर वर्षा-बर्फबारी के आसार, मैदानी इलाकों में कोहरे का येलो अलर्ट

सवालों के घेरे में ट्रांसपोर्ट नेटवर्क की निगरानी

सड़कों पर पुलिस की चौकसी के बीच यह सवाल लगातार गहराता जा रहा है कि क्या ट्रांसपोर्ट और कोरियर नेटवर्क पर भी उतनी ही सख्ती और निगरानी होगी? या फिर नशे के सौदागर इसी ढील का फायदा उठाकर उत्तराखंड के युवाओं को अपना शिकार बनाते रहेंगे।