उत्तराखंड के विभिन्न विद्यालयों में कार्यरत सौ से अधिक अतिथि शिक्षकों को दीपावली से ठीक पहले कार्यमुक्त कर दिया गया है, जिससे वे बेरोजगार हो गए हैं। कार्यमुक्त किए गए शिक्षकों में सरकार की इस कार्रवाई के प्रति गहरा आक्रोश है और उन्होंने सरकार पर उपेक्षा का आरोप लगाया है।
शिक्षकों के मुख्य आरोप और रोष
- कार्यमुक्त करने पर रोष: शिक्षकों ने सरकार की दोहरी नीति पर रोष व्यक्त किया। उन्होंने कहा कि उन्हें कार्यभार ग्रहण किए हुए मात्र दो से पाँच माह ही हुए थे, लेकिन उन्हें अब जबरन कार्यमुक्त कर घर भेज दिया गया है।
- शोषण का आरोप: शिक्षकों ने आरोप लगाया कि खंड शिक्षा अधिकारी द्वारा भी अलग-अलग प्रकार से उनका शोषण किया जा रहा है और जून तथा जनवरी का वेतन काट लिया जा रहा है।
- परेशानी: शिक्षकों ने बताया कि वे मात्र ₹25,000 की नौकरी में घर से तीन सौ किलोमीटर दूर दुर्गम क्षेत्रों में पिछले दस सालों से अपनी सेवाएँ दे रहे थे।
- मंत्री के आश्वासन के विपरीत कार्रवाई: शिक्षकों ने कहा कि शिक्षा मंत्री धन सिंह रावत बार-बार यह आश्वासन दे रहे थे कि नवनियुक्त एलटी शिक्षकों को रिक्त पदों पर भेजा जा रहा है, और अतिथि शिक्षकों को प्रभावित नहीं किया जाएगा। इसके बावजूद उन्हें कार्यमुक्त कर दिया गया है।
अतिथि शिक्षकों (दीपा पांडेय, ज्योति जोशी, अनीता, पार्वती, राशिद, भगवती रावत, मीना आदि) ने सरकार की मंशा पर सवाल उठाते हुए माँग की है कि उन्हें शीघ्र पुनः नियुक्ति दी जाए, अन्यथा वे उग्र आंदोलन करने को बाध्य होंगे।

