जखोली में गुलदार का खौफ जारी, स्कूली छात्रा पर हमला; छाते से वार कर बचाई जान

खबर शेयर करें -

रुद्रप्रयाग: जखोली विकासखंड में गुलदार का आतंक थमने का नाम नहीं ले रहा है, जिससे ग्रामीण दहशत में जी रहे हैं। आलम यह है कि गुलदार अब दिनदहाड़े स्कूल जा रहे बच्चों पर भी हमला कर रहा है। इसके बावजूद वन महकमे की उदासीनता से ग्रामीणों में भारी आक्रोश है। आज भी एक छात्रा पर गुलदार ने हमला कर दिया, लेकिन उसकी बहादुरी और छाते से किए गए वार से उसकी जान बच गई।


 

दसवीं की छात्रा अंबिका ने दिखाई बहादुरी

 

जखोली क्षेत्र में लंबे समय से गुलदार का आतंक बना हुआ है। गुरुवार, 17 जुलाई की सुबह करीब 8 बजे, राजकीय उच्चतर माध्यमिक विद्यालय किरोड़ा परिसर के नजदीक पहुँचते ही दसवीं की छात्रा अंबिका (पुत्री जगदीश लाल) पर गुलदार ने हमला कर दिया। अंबिका ने साहस का परिचय देते हुए गुलदार के मुँह पर छाते से वार किए और अपना बैग छोड़कर जान बचाकर स्कूल पहुँची।

यह भी पढ़ें 👉  उत्तराखंड तक पहुंचा छांगुर बाबा का अवैध धर्मांतरण रैकेट, देहरादून से एक गिरफ्तार

हाँफते और कांपते हुए जब अंबिका स्कूल पहुँची, तो प्रभारी प्रधानाध्यापक नरेश भट्ट और पीएस राणा ने इसकी वजह पूछी। अंबिका ने बताया कि वह गुलदार से जान बचाकर आई है, जिसे सुन स्कूल के शिक्षक और स्टाफ के होश फाख्ता हो गए। उन्होंने तत्काल वन विभाग और उच्चाधिकारियों को इसकी सूचना दी। साथ ही, उन्होंने सरकार से साहसी छात्रा को पुरस्कृत करने और वन विभाग से गुलदार के आतंक से निजात दिलाने की मांग की। इस घटना के बाद स्कूली बच्चे और अभिभावक काफी डरे हुए हैं।

यह भी पढ़ें 👉  नैनीताल: नाबालिग से दुष्कर्म के आरोपी मो. उस्मान खान को हाईकोर्ट से राहत नहीं, अगली सुनवाई 30 जुलाई को

 

प्रधानाध्यापक ने की कार्रवाई की मांग

 

प्रभारी प्रधानाध्यापक नरेश भट्ट ने बताया, “किरोड़ा क्षेत्र में गुलदार का आतंक बना हुआ है। गुलदार स्कूल के आस-पास घूम रहा है और बच्चों को निवाला बनाने की फिराक में है। छात्रा अंबिका ने साहस का परिचय दिया है। वह गोला फेंक प्रतियोगिता में ब्लॉक स्तर पर नाम कमा चुकी हैं। छात्रा के बैग पर गुलदार के नाखून से छेद हुए हैं। जल्द गुलदार को पकड़ा जाए।”

यह भी पढ़ें 👉  जाम का कारण बन रहे ठेले वालो पर नगर निगम ने कसा शिकंजा, छह लोगो के काटे चालान

यह घटना एक बार फिर पर्वतीय क्षेत्रों में वन्यजीवों के बढ़ते हमलों और उनसे बचाव के लिए प्रभावी उपायों की आवश्यकता पर बल देती है। प्रशासन और वन विभाग को इस मामले में तुरंत ठोस कदम उठाने चाहिए ताकि ग्रामीण और विशेषकर बच्चे सुरक्षित महसूस कर सकें।