हल्द्वानी: नैनीताल जिला मुख्यालय हल्द्वानी की शारदा मार्केट में दुकानों के अवैध निर्माण के मामले में जिला विकास प्राधिकरण (DDA) ने बड़ी कार्रवाई की है। इस मामले में जिला विकास प्राधिकरण के सहायक अभियंता (AE) अभिषेक कुमार और जूनियर इंजीनियर (JE) आशुतोष को नैनीताल मुख्यालय में अटैच कर दिया गया है। फिलहाल, पूरे मामले की जांच अभी भी चल रही है।
क्या है पूरा मामला?
आरोप है कि हल्द्वानी में नैनीताल रोड चौड़ीकरण की आड़ में शारदा मार्केट में मौजूद एक होटल को मॉल में तब्दील कर दिया गया। दावा किया जा रहा है कि यह निर्माण नजूल भूमि पर किया गया था और इसमें 78 दुकानें बनाई गईं। इन दुकानों को बनाने के लिए न तो कोई अनुमति ली गई और न ही कोई नक्शा पास कराया गया।
पार्षद ने उठाया मुद्दा, प्रशासन ने की कार्रवाई
बीते दिनों स्थानीय पार्षद ने इस मुद्दे को प्रमुखता से उठाया, जिसके बाद संबंधित विभाग के अधिकारी आनन-फानन में मौके पर पहुँचे और चालान किया। हालांकि, इसके बावजूद कारोबारी ने निर्माण कार्य नहीं रोका। इसके बाद जिला विकास प्राधिकरण ने सभी निर्माणाधीन दुकानों को अवैध बताते हुए उन्हें ध्वस्त कर दिया।
तब सिटी मजिस्ट्रेट और जिला विकास प्राधिकरण के संयुक्त सचिव गोपाल चौहान ने बताया था कि सड़क चौड़ीकरण के दौरान कुछ दुकानें बनाए जाने की अनुमति दी गई थी, लेकिन कारोबारी ने मानकों से अलग जाकर अतिक्रमण किया था, जिसे तोड़ दिया गया।
अधिकारियों पर कार्रवाई और कारोबारी को नोटिस
गुरुवार, 24 जुलाई को जिला स्तरीय विकास प्राधिकरण के सचिव विजय नाथ शुक्ला ने जानकारी दी कि हल्द्वानी प्राधिकरण के एई अभिषेक कुमार और जेई आशुतोष पर कार्रवाई की गई है और दोनों अधिकारियों को नैनीताल कार्यालय से अटैच कर दिया गया है। साथ ही, कारोबारी पर भी कार्रवाई की जा रही है।
उन्होंने बताया कि फिलहाल कारोबारी को नोटिस जारी कर जवाब मांगा गया है। मामले की जांच जारी है, और जांच में जो भी तथ्य सामने आएंगे, उनके आधार पर आगे की कार्रवाई की जाएगी। शुक्ला ने स्पष्ट किया कि किसी भी दोषी को बख्शा नहीं जाएगा।
नजूल भूमि पर निर्माण पर सवाल
इस मामले में प्रशासन पर भी सवाल खड़े हो रहे हैं कि कैसे नजूल भूमि पर करीब 78 दुकानें बन गईं और विभागीय अधिकारियों को इसकी भनक तक नहीं लगी। यह घटना सरकारी एजेंसियों की निगरानी और अवैध निर्माण रोकने की उनकी क्षमता पर सवालिया निशान लगाती है।
आपको क्या लगता है, ऐसे अवैध निर्माणों को रोकने के लिए प्रशासन को और क्या कदम उठाने चाहिए?
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