हाल ए काशीपुर ! जिस चौक पर बप्पा बिराजे,होली पर होता दहन,अब दिवाली ने दी दस्तक तो कूड़े में पट गया चौक

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अपना आंगन-घर सजाने वालों ने ही चौक को बना दिया कूड़ाघर, सफाई व्यवस्था पर उठे सवाल

राजू अनेजा, काशीपुर।होली पर जहां इसी चौक पर भक्तों ने पूजा-अर्चना कर खुशियां मनाई थीं, गणेशोत्सव में जहां बप्पा की प्रतिमा विराजी थी और पूरे मोहल्ले में भक्ति गीत गूंज रहे थे दुर्भाग्य वश वहीं आज दीपावली से ठीक पहले वही चौक कूड़े-कचरे से पटा हुआ नजर आ रहा है।बात हो रही है काशीपुर के वार्ड नंबर 19 में स्थित चौक की जहाँ चारों ओर फैली दुर्गंध और गंदगी ने त्योहार की रौनक पर ग्रहण लगा दिया है।

तस्वीर यह है कि अपने घर-आंगन को चमकाने और सजाने की होड़ में लोग आसपास की साफ-सफाई भूल बैठे हैं। घर से निकला कूड़ा सीधे चौक में डाल दिया जा रहा है। नतीजा यह कि जिस जगह कभी पूजा और प्रसाद का वितरण होता था, आज वहां पॉलीथिन, सड़ी सब्जियां और गंदगी के ढेर दिखाई दे रहे हैं।

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कूड़ा न उठने से बदतर हुई स्थिति
स्थानीय निवासियों का कहना है कि बीते दिनों से नगर निगम का सफाई वाहन इस इलाके में नहीं आया है। कूड़ा न उठने से स्थिति बदतर होती जा रही है वही बारिश की हल्की बूंदों ने कचरे को और फैला दिया है, जिससे सड़क पर चलना भी मुश्किल हो गया है।

‘घर को साफ रखो, शहर को नहीं’ की मानसिकता उजागर
त्योहारों पर साफ-सफाई की सबसे बड़ी विडंबना यह है कि लोग अपने घर तो चमका देते हैं, लेकिन शहर को साफ रखने की जिम्मेदारी किसी की नहीं समझते। लोग मानो यह भूल गए हैं कि शहर भी उनका ही घर है। “स्वच्छता ही सेवा” जैसे सरकारी नारे केवल दीवारों पर चिपककर रह गए हैं।

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स्थानीय लोग बोले—कूड़ा उठाने की व्यवस्था हो दुरुस्त
मोहल्ले के ही एक बुजुर्ग  ने बताया कि पहले यहां प्रतिदिन सफाई होती थी, लेकिन अब गाड़ी कई-कई दिन नहीं आती। दीपावली के मौके पर जहां सड़कों को साफ-सुथरा होना चाहिए, वहां कूड़े के ढेर शर्मिंदगी पैदा कर रहे हैं। लोगों ने नगर निगम प्रशासन से तत्काल सफाई कराने और चौक की नियमित निगरानी की मांग की है।

त्योहार पर भी लापरवाही भारी
त्योहारों के समय जब पूरे शहर में स्वच्छता को लेकर अभियान चलाए जाने चाहिए, वहीं जिम्मेदार विभागों की उदासीनता साफ दिख रही है। नालियां जाम हैं, सड़कों पर कचरा बिखरा है और मोहल्ले में घूमने वाले बच्चे इस गंदगी से बीमारियों के खतरे में हैं।

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काशीपुर जैसे जागरूक शहर में यदि लोग और प्रशासन दोनों थोड़ा सा सजग हो जाएं, तो चौक, सड़कें और मोहल्ले फिर से त्योहारों की तरह रोशन दिख सकते हैं। सवाल अब भी वही है—
“जब अपना घर साफ रखना जरूरी है, तो क्या शहर हमारा नहीं?”

 

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