लालकुआं: गौला नदी में खनन कार्य करने वाले वाहन स्वामियों और गौला गेटों के अध्यक्षों ने बेरीपड़ाव में हुई एक बैठक में महत्वपूर्ण निर्णय लिए हैं। यह बैठक मुख्य रूप से वन निगम द्वारा नदी से माल ला रहे वाहनों की निकासी बंद नहीं करने की समस्या को लेकर आयोजित की गई थी।
⚖️ ओवरलोडिंग और परिवहन की समस्या
-
वर्तमान समस्या: वाहन स्वामियों का कहना है कि प्रत्येक गेट में लगभग 800 से 1000 गाड़ियां चलती हैं, लेकिन नदी में वजन तोलने का कोई मापक नहीं है।
-
परिणाम: जब गाड़ियां कांटे (धर्मकांटे) पर आती हैं, तो बढ़े हुए वजन के कारण उन्हें आरबीएम (नदी बजरी मिश्रण) उतारना पड़ता है। इससे नदी चलने के दौरान वाहनों में भारी दिक्कत आ रही है और जाम की वजह से नदी का एक चक्कर लगाने में 2 दिन लग सकते हैं।
-
अध्यक्ष का मत: अध्यक्ष रमेश चंद जोशी ने कहा कि इस नियम से नदी से पर्याप्त घन मीटर आरबीएम समय पर नहीं उठ पाएगा।
✅ बैठक में लिए गए निर्णय
गौला खनन मजदूर उत्थान समिति के समस्त गेट अध्यक्ष एवं पदाधिकारियों ने सर्वसम्मति से निम्नलिखित नियम निर्धारित किए:
-
वजन सीमा: गाड़ी में 108 क्विंटल और ट्रैक्टर ट्रॉली में 80 क्विंटल वजन निर्धारित किया जाए।
-
निकासी पर रोक: निर्धारित वजन से ज्यादा वजन वाले वाहनों की निकासी अगले दिन के लिए बंद करने का प्रावधान रखा जाए, जिससे नदी सही रूप से चल सके।
बैठक में अध्यक्ष रमेश चंद जोशी, महामंत्री जीवन कबडवाल, सचिव इंदर सिंह नयाल, नंन्धौर नदी अध्यक्ष तारक मंडल सहित सैकड़ों वाहन स्वामी और पदाधिकारी मौजूद थे।
अपने मोबाइल पर ताज़ा अपडेट पाने के लिए -
👉 हमारे व्हाट्सएप ग्रुप को ज्वाइन करें

