दोपहर में नींद की झपकी लेने से मिलते हैं ये 7 फायदे…आप भी जानिए

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दोपहर में नींद की झपकी के बारे में सुनते ही ‘थ्री इडियट्स’ फ़िल्म के प्रोफेसर सहस्त्रबुद्धे जरूर याद आए होंगे। रोज दोपहर में वो ठीक 7.5 मिनिट्स की झपकी लिया करते थे। हालांकि यह पात्र कुछ मनोरंजन और कुछ सार्थक सन्देश देने वाला था लेकिन असल जिंदगी में भी ऐसा करने वाले कई लोग होते हैं। आपने अक्सर लोगों से सुना होगा कि दिन की झपकी लिए बिना उन्हें आराम नहीं मिलता। इस कैटेगरी में अधिकांशतः घर पर रहने वाली महिलाएं, पुरुष और बच्चे या बुजुर्ग आते हैं।

नींद का संतुलन शरीर ही नहीं पूरे दिमाग के लिए जरूरी होता है। भागदौड़ भरी जिंदगी और स्ट्रेस से भरपूर माहौल में दिन की झपकी कई बार तरोताजा करने का काम करती है। आइए इनके फायदों के बारे में जानते हैं।

कुछ लोगों के लिए दोपहर में छोटी से नींद भी काफी सुकून देने वाली होती है। इससे आपको कई लाभ भी मिल सकते हैं।

  • केवल शरीर ही नहीं, छोटी सी ये झपकी दिमाग को भी आराम पहुंचाती है। दिन की करीब 1 घण्टे की झपकी पूरे शरीर की मसल्स को रिलैक्स होने का मौका देती है। यही कारण है कि इस झपकी के साथ शरीर और दिमाग को आराम मिल जाता है और उठकर आप तरोताजा महसूस करते हैं।
  • कई बार ऐसा होता है कि यात्रा के बाद या रात को किसी पार्टी से लेट घर आने के बाद आपकी नींद में व्यवधान पड़ता है। इस समय दोपहर की झपकी आपकी थकान को मिटाने का काम कर सकती है। जिन लोगों को दिन में झपकी लेने की आदत होती है, खासकर घरेलू महिलाएं, उनके पीछे एक बड़ी वजह होती है सुबह जल्दी उठकर घर भर का काम सम्भालना और देर रात तक काम में लगे रहना। इसी वजह से जब वे दिन की झपकी के बाद उठती हैं तो थकान दूर हो चुकी होती है।
  • जिन लोगों का रूटीन एकदम घड़ी के हिसाब से चलता है। जैसे कि सुबह जल्दी उठकर काम पर जाने वाले लोग या सुबह जल्दी उठकर स्कूल जाने वाले बच्चे, उनमें दोपहर की झपकी अलर्टनेस बढ़ाने का काम भी करती है।
  • ऐसे कई लोग होते हैं जिन्हें पर्याप्त नींद न मिलने पर चिड़चिड़ापन, मूड स्विंग, व्यवहार में बदलाव जैसी समस्याएं होती हैं। अगर वे लोग दिन में झपकी ले लें तो उनका मूड अच्छा हो जाता है। यह ठीक वैसा ही है जैसे कई लोगों में चाय न मिलने के कारण होने वाला सिरदर्द होता है।
  • नींद का यह छोटा सा टुकड़ा याददाश्त पर भी अच्छा असर डालता है। इसके अलावा त्वरित निर्णय क्षमता और हर काम को करने की क्षमता पर भी यह अच्छा प्रभाव डालती है। इसलिए ही दोपहर की झपकी का असर बच्चों पर बहुत अच्छा देखा जा सकता है। खासकर वे बच्चे जो सुबह जल्दी उठकर स्कूल जाते हैं।

क्या सभी के लिए जरूरी है दोपहर की नींद?

हमारी देसी पद्धति में दिन की नींद को हर व्यक्ति के लिए जरूरी नहीं माना जाता। इसलिए पुराने वैद्य कहा करते थे कि दिन में सिर्फ बच्चों, बुजुर्गों, गर्भवती महिलाओं या बीमार लोगों को ही सोना या आराम करना चाहिए। लेकिन अब लाइफस्टाइल में आये परिवर्तनों ने दिन की इस झपकी को कई लोगों के लिए जरूरी बना डाला है। तो अगर आपको झपकी लेना ही हो तो इन बातों का ख्याल जरूर रखें-

  • आधा-एक घण्टे से ज्यादा देर की झपकी न लें। इससे ज्यादा देर सोने से आपके शरीर की बायोलॉजिकल क्लॉक पर गलत असर पड़ेगा। यह याद रखें कि प्राकृतिक हिसाब से नींद के लिए रात ही बनी है। इसलिए कोशिश करें कि रात को ही भरपूर नींद लें।
  • दोपहर में 3 बजे के बाद न सोएं। यह बात बच्चों पर भी लागू होती है। अगर आपका बच्चा स्कूल से 3 बजे के बाद घर लौटता है तो उसे रात में जल्दी सोने की आदत डालें, बजाय दिन में सुलाने के। दिन में 3 बजे के बाद सोने से आपकी रात की नींद में व्यवधान आ सकता है।
  • जब भी झपकी लें, आपके आस पास का माहौल शांत और आरामदायक होना चाहिए। ताकि आप एकदम सुकून के साथ झपकी पूरी कर सकें। इससे आपके दिमाग को पूरा आराम मिलेगा और उठने पर आप तरोताजा महसूस करेंगे।