देवभूमि में वह मंदिर जहां चिट्ठी में लिखी जाती है मनोकामना, भक्तों की अर्जी स्वीकार करते हैं भगवान! कानूनी मसले भी हो जाते हैं हल

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दुनिया की लगभग हर कोर्ट में लोगों को न्याय के लिए लंबा इंतजार करना पड़ता है, कई मामलों में न्याय के लिए लोगों को सालों तक इंतजार करना पड़ता है। लेकिन क्या आप जानते हैं कि भारत की देवभूमि कहे जाने वाले उत्तराखंड में एक मंदिर ऐसा है जहां पूजा-अर्चना करने से लोगों के कोर्ट में सालों से फंसे केस पर जल्दी से न्याय मिल जाता है।

न्याय दिलाने वाला ये मंदिर उत्तराखंड में अल्मोडा से करीब 8 किलोमीटर दूर पिथोरागढ़ हाईवे पर स्थित है। इस मंदिर का नाम चितई गोलू देवता मंदिर है।

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चितई गोलू देवता मंदिर

इस मंदिर में चितई गोलू देवता की पूजा की जाती है। इस मंदिर में बैठे देवता को गोलू देवता और न्याय देवता कहकर बुलाया जाता है। ऐसा माना जाता है कि चितई गोलू देवता भगवान शिव का एक अवतार हैं। इस मंदिर में भक्त द्वारा मांगी गई कोई भी मनोकामना अधूरी नहीं रहती है। बस भक्त में अपनी मनोकामना को एक चिट्ठी या आवेदन पत्र पर लिखकर देना होता है। इस मंदिर में रोजाना लाखों लोग अपनी इच्छाएं लिखकर जाते हैं और सभी की इच्छाएं पूरी होती हैं।

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चिट्ठी में लिखी जाती है मनोकामना

जिस भक्त की मंदिर में लिखी चिट्ठी की मनोकामना पूरी हो जाती है, उस भक्त को मंदिर में एक घंटी का दान करना होता है।

रहस्मयी है ये मंदिर

चितई गोलू देवता का ये मंदिर काफी रहस्यमयी है, कोई नहीं जानता कि आखिर मंदिर में लिखी गई हर एक चिट्ठी की मनोकामना कैसे पूरी हो जाती हैं। भक्तों का मानना है कि गोलू देवता अपने किसी भक्त की इच्छा अधूरी नहीं रहने देते हैं।

गोलू देवता की कहानी

स्थानीय लोगों की कहानी के अनुसार, सालों पहले गोलू देवता एक दरबार लगाते थे, जहां वो लोगों की समस्याएं सुनते थे, उसका समाधान निकालते थे। लोगों के दिल में गोलू देवता के लिए बहुत ही इज्जत और प्यार रहता था। गोलू देवता ने अपना पूरा जीवन ब्रह्मचर्य के सिद्धांतों का पालन करते हुए और लोगों को न्याय दिलाते हुए व्यतीत कर दिया।

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