देहरादून: उत्तराखंड में त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव के पहले चरण के मतदान से यह साफ हो गया है कि ग्रामीण क्षेत्रों में एक बड़ा सिस्टम महिलाओं के कंधों पर टिका हुआ है। इस चुनाव में महिला मतदाताओं ने पुरुषों के मुकाबले करीब 10 प्रतिशत ज्यादा वोट डालकर यह साबित कर दिया कि वे न केवल पहाड़ की आबादी का हिस्सा हैं, बल्कि पहाड़ का संबल भी हैं।
महिलाओं का मतदान और नामांकन में दबदबा
- मतदान: पंचायत चुनाव के पहले चरण में 12 जिलों के 49 ब्लॉकों में कुल 68% मतदान हुआ। इस मतदान में महिलाओं ने पुरुषों से ज्यादा बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया, जो बीते विधानसभा चुनावों की तरह ही रहा। यह आँकड़े दर्शाते हैं कि ग्रामीण क्षेत्रों में महिलाएं अपने लोकतांत्रिक अधिकारों के प्रति अधिक जागरूक हैं।
- नामांकन: ‘छोटी सरकार’ के इस चुनाव में महिला उम्मीदवारों की धमक भी बड़ी रही। सरकार ने 50% सीटें महिलाओं के लिए आरक्षित की थीं, जबकि 59% सीटों पर महिलाओं ने नामांकन कराया, जो उनकी राजनीतिक भागीदारी की बढ़ती इच्छा को दर्शाता है।
हाईकोर्ट ने याचिका खारिज की, चुनाव प्रक्रिया को दी प्राथमिकता
नैनीताल जिले के ओखलकांडा ब्लॉक के बड़ौत क्षेत्र पंचायत की निर्विरोध चुनी गई क्षेत्र पंचायत सदस्य कमलेश कैड़ा का नाम दो जगह की मतदाता सूची में होने के मामले में दायर याचिका पर हाईकोर्ट ने सुनवाई की। न्यायाधीश न्यायमूर्ति रविंद्र मैठाणी की एकलपीठ ने याचिका को यह कहते हुए निरस्त कर दिया कि चुनाव हो चुके हैं और सर्वोच्च न्यायालय के दिशा-निर्देशों के अनुसार अब याचिका दायर करने का कोई औचित्य नहीं रह गया है।
बारिश के चलते मतदान केंद्रों में बदलाव
28 जुलाई को होने वाले पंचायत चुनाव के लिए देहरादून के रायपुर, डोईवाला और सहसपुर में बनाए गए कुछ मतदान केंद्रों के नाम और स्थल में बारिश की संभावना को देखते हुए परिवर्तन किया गया है।
- डोईवाला: खदरी खड़कमाफ में नालंदा शिक्षण संस्थान के बूथों (158 से 163) को अब पारस पब्लिक स्कूल, श्यामपुर में शिफ्ट किया गया है।
- रायपुर: ग्राम पंचायत धनौला में पंचायत भवन के बूथों (44 और 45) को अब मिलन केंद्र, ब्रांडावाली में स्थानांतरित किया गया है।
मतदान के बाद बसों में सीटों के लिए मारामारी
पंचायत चुनाव के पहले चरण के मतदान के बाद, गढ़वाल और कुमाऊं के पहाड़ी इलाकों से देहरादून लौटने वाली बस और टैक्सियों में सीटों के लिए मारामारी देखने को मिली। सीटें न मिलने पर कई लोगों को खड़े होकर ही लंबा सफर करने के लिए मजबूर होना पड़ा।
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