उत्तराखंड में अगस्त 2025 तक सभी सरकारी भवनों में लगेंगे स्मार्ट मीटर, सरकार के सामने कांग्रेस का विरोध चुनौती

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देहरादून: उत्तराखंड में सभी राजकीय कार्यालयों, भवनों और आवासीय परिसरों में अगस्त 2025 तक स्मार्ट मीटर लगा दिए जाएंगे। केंद्र सरकार ने इस संबंध में राज्यों को डेडलाइन तय करने को कहा है। केंद्रीय विद्युत मंत्री मनोहर लाल खट्टर ने जोर दिया है कि राज्यों को लाइन लॉस (बिजली नुकसान) कम करने पर विशेष ध्यान देना होगा।

उन्होंने बताया कि अगस्त 2025 तक सभी राजकीय कार्यालयों, भवनों एवं आवासीय परिसरों में स्मार्ट मीटर स्थापित करने का लक्ष्य रखा गया है। उन्होंने यह भी कहा कि सभी राज्यों को वर्ष 2047 तक विकसित भारत के लक्ष्य के अनुरूप कार्य करना होगा, जिसके अंतर्गत सभी के लिए ऊर्जा और हर समय ऊर्जा के लिए निरंतर कार्य करने की आवश्यकता है। केंद्रीय मंत्री ने राज्यों को ऊर्जा जरूरतों को पूरा करने के लिए उत्पादन के साथ-साथ नाभिकीय उत्पादन क्षमता पर भी ध्यान देने की सलाह दी।

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स्मार्ट मीटर पर विवाद और सरकार की चुनौतियाँ:

स्मार्ट मीटर को लेकर सरकार लंबे समय से इस प्रोजेक्ट पर काम कर रही है। हालांकि, इसकी शुरुआत होते ही स्मार्ट मीटर को लेकर विवाद भी सामने आने लगे हैं। कांग्रेस इस योजना का खुलकर विरोध कर रही है, और कांग्रेस के विधायकों ने तो स्मार्ट मीटर लगवाने का भी विरोध किया है। ऐसे में सरकार के लिए इस प्रोजेक्ट को तय समय पर पूरा करना एक बड़ी चुनौती साबित हो रही है।

यूपीसीएल का नया एक्शन प्लान:

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बीते दिनों भारी विरोध के बाद उत्तराखंड पावर कॉरपोरेशन लिमिटेड (यूपीसीएल) ने इस पर एक नया एक्शन प्लान तैयार किया है। ऊर्जा विभाग ने जनता की शंकाओं को दूर करने के लिए एक विशेष टीम गठित की है। यह टीम उपभोक्ताओं को स्मार्ट प्रीपेड मीटर की विशेषताएँ बताएगी और गलतफहमियों को दूर करेगी।

स्मार्ट प्रीपेड मीटर के फायदे और जनता की चिंताएँ:

ऊर्जा मंत्रालय ने पूरे देश में स्मार्ट प्रीपेड मीटर लगाने की घोषणा की थी। उत्तराखंड में इस योजना के तहत 15.87 लाख घरों में ये मीटर लगाए जाने हैं। ऊर्जा विभाग का कहना है कि इन मीटरों से उपभोक्ताओं को कई फायदे मिलेंगे, जैसे:

  • ग्राहक अपने मोबाइल से ही बिजली का रिचार्ज कर सकेंगे।
  • उपभोक्ता को अपनी बिजली की खपत का सटीक पता रहेगा।
  • बिजली बिल में पारदर्शिता आएगी और गलत बिलिंग की समस्या खत्म होगी।
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हालांकि, पर्वतीय क्षेत्रों में फिलहाल यह मीटर केवल नगर मुख्यालयों तक ही सीमित रहेंगे। इसका कारण यह बताया जा रहा है कि पहाड़ी इलाकों में अभी बिजली सप्लाई की स्थिति में सुधार की जरूरत है। जनता की सबसे बड़ी चिंता यह है कि कहीं स्मार्ट मीटर से उनकी बिजली पर अनावश्यक शुल्क न लगाया जाए