देहरादून: उत्तराखंड को आपदा प्रबंधन के क्षेत्र में और सशक्त बनाने के उद्देश्य से शनिवार को मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने शहर में स्थापित किए गए 13 लॉन्ग रेंज आधुनिक सायरनों का लोकार्पण किया। उन्होंने दावा किया कि ये सायरन 8 से 16 किलोमीटर की दूरी तक चेतावनी दे सकते हैं। हालांकि, लोकार्पण के बाद जब इनका परीक्षण किया गया तो शहर के ज्यादातर हिस्सों में इनकी आवाज सुनाई ही नहीं दी।
मुख्यमंत्री ने बताया ‘आपदा प्रबंधन में महत्वपूर्ण कदम’
थाना डालनवाला परिसर में आयोजित कार्यक्रम में मुख्यमंत्री धामी ने कहा कि उत्तराखंड जैसे आपदा संभावित राज्य में समय पर चेतावनी देना बेहद जरूरी है। उन्होंने कहा कि ये सायरन प्राकृतिक आपदाओं जैसे भूस्खलन, बादल फटने या बाढ़ के समय लोगों को सतर्क करने में सहायक होंगे। सीएम ने अधिकारियों को सायरन का नियमित परीक्षण करने और जनता को जागरूक करने के निर्देश भी दिए। इस दौरान मुख्यमंत्री को सीएम आपदा राहत कोष के लिए कई संगठनों ने सहायता राशि के चेक भी सौंपे।
‘लॉन्ग रेंज’ सायरन की जमीनी हकीकत
‘लॉन्ग रेंज’ नाम के बावजूद, इन सायरनों की आवाज शहर के कई प्रमुख इलाकों में नहीं पहुँची। एक न्यूज टीम ने अलग-अलग जगहों पर जाकर सायरन की आवाज को परखने की कोशिश की, जहाँ मिली-जुली प्रतिक्रिया सामने आई:
- धारा चौकी और घंटाघर: बाजार और भीड़ वाले इस इलाके में किसी को भी सायरन की आवाज सुनाई नहीं दी। ट्रैफिक के शोर में आवाज पूरी तरह दब गई।
- महाराणा प्रताप बस अड्डा: यह देहरादून का मुख्य बस अड्डा है, लेकिन यहाँ भी सायरन की आवाज बिल्कुल भी नहीं सुनी जा सकी, जिससे आपात स्थिति में भीड़ को सचेत करना मुश्किल होगा।
- पटेलनगर और सर्वे चौक: पटेलनगर थाने से बजाया गया सायरन कुछ सौ मीटर की दूरी पर ही शांत हो गया। सर्वे चौक पर भी ट्रैफिक के शोर ने सायरन की हल्की आवाज को दबा दिया।
- नेहरू कॉलोनी थाना: इस एकमात्र जगह पर शाम 6:51 बजे सायरन की आवाज सुनाई दी, जो करीब 48 सेकंड तक चली। आवाज सुनकर लोग और बच्चे छतों पर आ गए।
ट्रैफिक के शोर में दब गई आवाज
अमर उजाला की टीम द्वारा किए गए सर्वे में यह साफ हो गया कि नए सायरनों का शोर तो बहुत था, लेकिन इनकी आवाज ट्रैफिक और अन्य शोरगुल के बीच दब गई, जिससे ये अपने उद्देश्य में विफल साबित हुए। सहारनपुर चौक जैसे भीड़भाड़ वाले इलाके में भी इनकी आवाज नहीं पहुँची।



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