एसडीएम के नोटिस पर फड़ संचालकों की कानूनी जवाबी कार्रवाई, 4500 पन्नों में दिया तर्कसंगत पक्ष

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राजू अनेजा,काशीपुर। नगर क्षेत्र में फड़ व्यापारियों पर एसडीएम कार्यालय की ओर से जारी अतिक्रमण संबंधी नोटिस अब कानूनी पेंच में फंस गया है। फड़ संचालकों ने इस कार्रवाई को एकतरफा और बिना स्थलीय सत्यापन के बताया है। अधिवक्ता अमरीश अग्रवाल ने अपने मुवक्किलों की ओर से एसडीएम काशीपुर को साढ़े चार हजार पन्नों का विस्तृत जवाब भेजते हुए पूरी प्रक्रिया को तथ्यों और साक्ष्यों के साथ चुनौती दी है।

जानकारी के अनुसार, अधिवक्ता अग्रवाल ने शैलेंद्र कुमार पुत्र बलराम सिंह, कायम अली पुत्र अख्तर हुसैन समेत करीब 30 फड़ संचालकों का प्रतिनिधित्व किया है। उनके द्वारा दिए गए जवाब में कहा गया है कि व्यापारियों के फड़ दशकों से नियमित रूप से चल रहे हैं और ये नगर निगम से प्राप्त अनुमति एवं लाइसेंस के तहत हैं। कई फड़ संचालकों के पास पुराने कर रसीद, बिजली बिल, नगर निगम शुल्क जमा रसीद और स्थानीय प्रशासन की स्वीकृतियां मौजूद हैं।

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बिना सुनवाई के कार्रवाई का विरोध

जवाब में यह भी उल्लेख किया गया है कि प्रशासन ने धारा 133 के तहत नोटिस जारी करने से पहले न तो कोई स्थलीय निरीक्षण किया और न ही प्रभावित पक्षों को अपनी बात रखने का उचित अवसर दिया गया। अधिवक्ता अग्रवाल ने कहा कि यह प्राकृतिक न्याय के सिद्धांतों का उल्लंघन है।

लंबे समय से जीविकोपार्जन का साधन

फड़ संचालकों ने अपने जवाब में यह भी स्पष्ट किया है कि वे वर्षों से उसी स्थान पर अपनी आजीविका चला रहे हैं। अचानक अतिक्रमण का आरोप लगाकर उन्हें हटाने का प्रयास जीविका के अधिकार (अनुच्छेद 21) का हनन है। अधिवक्ता ने लिखा है कि “प्रशासन को विकास और स्वच्छता के नाम पर गरीब व छोटे व्यापारियों को परेशान करने की बजाय वैकल्पिक व्यवस्था करनी चाहिए।”

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एसडीएम को भेजा गया साक्ष्ययुक्त जवाब

करीब 4500 पृष्ठों में संलग्न दस्तावेजों में फड़ संचालकों ने अपने-अपने व्यापारिक स्थल के प्रमाण, कर रसीदें, फोटो और अन्य कानूनी दस्तावेज संलग्न किए हैं। अधिवक्ता ने एसडीएम से अनुरोध किया है कि वे इन तथ्यों पर विचार कर कार्रवाई को निरस्त करें और सुनवाई का अवसर प्रदान करें।

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प्रशासन मौन, व्यापारी असमंजस में

इधर, व्यापारियों में नोटिस को लेकर अब भी भारी असमंजस की स्थिति बनी हुई है। कई फड़ संचालकों ने बताया कि उन्होंने वर्षों से नगर निगम शुल्क जमा किया है और किसी प्रकार के अतिक्रमण की सूचना कभी नहीं दी गई। वहीं, प्रशासनिक सूत्रों का कहना है कि एसडीएम कार्यालय ने सभी पक्षों से जवाब मंगवाया है और जवाबों का परीक्षण होने के बाद ही आगे की कार्रवाई तय की जाएगी।

 

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