उत्तराखंड भाजपा में महेंद्र भट्ट की दोबारा ताजपोशी तय: निर्विरोध चुने जाएंगे प्रदेश अध्यक्ष

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देहरादून: उत्तराखंड भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के नए प्रदेश अध्यक्ष के रूप में एक बार फिर महेंद्र भट्ट की ताजपोशी तय हो गई है।1 दरअसल, प्रदेश अध्यक्ष पद के लिए केवल उन्हीं की ओर से नामांकन दाखिल करने से यह स्थिति बनी है। महेंद्र भट्ट के दोबारा प्रदेश अध्यक्ष चुने जाने की औपचारिक घोषणा केंद्रीय पर्यवेक्षक व केंद्रीय मंत्री हर्ष मल्होत्रा मंगलवार को करेंगे।

 

नामांकन प्रक्रिया और पार्टी नेताओं की प्रतिक्रिया

 

पार्टी मुख्यालय में सोमवार को महेंद्र भट्ट ने दस सेटों में नामांकन पत्र प्रस्तुत किया।2 प्रदेश अध्यक्ष पद पर चुनाव के लिए चुनाव अधिकारी खजानदास ने मीडिया को जानकारी देते हुए बताया कि तय समय में मौजूदा प्रदेश अध्यक्ष का ही नामांकन मिला और जांच में नामांकन पत्र सही पाया गया।3

मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने मीडिया से कहा कि भाजपा एक लोकतांत्रिक पार्टी है और लोकतांत्रिक प्रक्रिया के तहत ही प्रदेश अध्यक्ष का चुनाव कराया जा रहा है। सीएम ने कहा कि महेंद्र भट्ट को संगठन के कार्यों का लंबा अनुभव है और उनके नेतृत्व में पार्टी ने सभी चुनावों में जीत दर्ज की है। आगे भी पार्टी को उनके अनुभव का लाभ मिलेगा।

भाजपा के राष्ट्रीय मीडिया प्रमुख व गढ़वाल सांसद अनिल बलूनी ने नामांकन प्रक्रिया में शामिल होने के बाद कहा कि भाजपा लोकतांत्रिक मूल्यों व परंपराओं पर चलने वाली पार्टी है। पार्टी में बूथ से लेकर राष्ट्रीय अध्यक्ष तक के चुनाव की प्रक्रिया जारी है, और इसी के तहत उत्तराखंड में भी प्रदेश अध्यक्ष के चुनाव की प्रक्रिया संपन्न की जा रही है।4

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महेंद्र भट्ट की दोबारा ताजपोशी के पीछे के कारण

 

महेंद्र भट्ट को भाजपा प्रदेश अध्यक्ष के रूप में दूसरा कार्यकाल मिलने के पीछे कई प्रमुख वजहें मानी जा रही हैं:

  • पार्टी के सभी क्षत्रपों में स्वीकार्यता: भट्ट की सभी गुटों में स्वीकार्यता है।
  • सरकार से बेहतर तालमेल: मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी से उनकी नजदीकी और बेहतर केमिस्ट्री ने उनके दावे को और मजबूत किया। हालिया समय में महत्वपूर्ण विषयों पर मुख्यमंत्री धामी को भट्ट का पूरा साथ मिला और उन्होंने खुलकर सरकार के निर्णयों का समर्थन किया।
  • संगठन पर अच्छी पकड़: उन्हें संगठन के कार्यों का लंबा अनुभव है।
  • चुनावी सफलताएं: भट्ट के प्रदेश अध्यक्ष बनने के बाद हुए अधिकांश चुनावों में भाजपा को जीत मिली है, जो उनके पक्ष में गया।
  • मुख्यमंत्री की पसंद: यह भी स्पष्ट हो गया कि पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष चुनाव में मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी की ही चली है। हाईकमान का रुख देखते हुए कुमाऊं मंडल के तीन नेताओं, जिन्होंने खुलेआम दावेदारी की थी, वे खामोशी के साथ पीछे हट गए।
  • जातीय समीकरण: मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी कुमाऊं का बड़ा ठाकुर चेहरा हैं, ऐसे में जातीय और क्षेत्रीय समीकरण साधने के लिए पार्टी ने अध्यक्ष के पद पर गढ़वाल के ब्राह्मण चेहरे के रूप में भट्ट को ही दोबारा चुना। चमोली जिले का अभी तक धामी मंत्रिमंडल में प्रतिनिधित्व नहीं है, जिसका भी महेंद्र भट्ट को लाभ मिला।

 

प्रस्तावक बने वरिष्ठ नेता

 

महेंद्र भट्ट की ओर से नामांकन पत्र के दस सेट प्रस्तुत किए गए, जिनमें सभी सेटों के मुख्य प्रस्तावक मुख्यमंत्री पुष्कर धामी, पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र रावत, राष्ट्रीय मीडिया प्रभारी एवं गढ़वाल सांसद अनिल बलूनी, अल्मोड़ा सांसद अजय भट्ट, केंद्रीय मंत्री अजय टम्टा शामिल हुए। इसके अतिरिक्त, प्रदेश महामंत्री संगठन अजेय कुमार, पूर्व सीएम रमेश पोखरियाल निशंक, राज्यसभा सांसद नरेश बंसल, कल्पना सैनी, टिहरी सांसद माला राज्यलक्ष्मी शाह, कैबिनेट मंत्री सतपाल महाराज, गणेश जोशी, सुबोध उनियाल, विधायक बिशन सिंह चुफाल, विनोद चमोली, उमेश शर्मा काऊ, विनोद कंडारी, राम सिंह कैड़ा, दिलीप सिंह रावत और बृजभूषण गैरोला भी प्रस्तावक बने।

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राष्ट्रीय परिषद सदस्य और 2027 चुनावों में भूमिका

 

भाजपा के आठ राष्ट्रीय परिषद सदस्य के लिए केंद्रीय मंत्री अजय टम्टा, कैबिनेट मंत्री डॉ. धन सिंह रावत, पूर्व सीएम डॉ. रमेश पोखरियाल निशंक, त्रिवेंद्र रावत, तीरथ रावत, अजय भट्ट, माला राज्य लक्ष्मी शाह और डॉ. कल्पना सैनी ने नामांकन कराया। मंगलवार को होने वाली पार्टी की प्रांतीय बैठक में केंद्रीय पर्यवेक्षक की मौजूदगी में सभी नामों का औपचारिक अनुमोदन किया जाएगा।

मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी को 2022 के विधानसभा चुनावों के बाद रिपीट किया गया था, और अब प्रदेश अध्यक्ष के रूप में महेंद्र भट्ट का रिपीट होना भी तय हो गया है।5 महेंद्र भट्ट 30 जुलाई 2022 को पार्टी के मनोनीत प्रदेश अध्यक्ष बने थे।6 भट्ट के दोबारा अध्यक्ष बनने से 2027 के विधानसभा चुनावों में भी उनकी भूमिका अहम हो गई है। पार्टी ने किसी नए चेहरे पर दांव खेलने की बजाए उनके अनुभव को तरजीह दी है और उनके नेतृत्व में ही एक नई टीम तैयार करने का फैसला लिया है। भट्ट की कार्यकर्ताओं पर पहले से ही पकड़ है और राज्यसभा सांसद होने के नाते उनके पास संसाधनों का भी अभाव नहीं होगा।

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कांग्रेस ने साधा निशाना

 

भाजपा प्रदेश अध्यक्ष पद के लिए एकल नामांकन कराए जाने पर कांग्रेस ने तंज कसा है। पार्टी प्रवक्ता गरिमा दसौनी ने मीडिया को जारी बयान में कहा कि भाजपा में आंतरिक लोकतंत्र सिर्फ दिखावा भर है और यह स्थिति अघोषित आपातकाल जैसी है। उन्होंने आरोप लगाया कि अन्य दावेदार नेताओं को ‘बिलों में छिपे रहने का अप्रत्यक्ष आदेश’ दे दिया गया है। दसौनी ने सवाल उठाया कि क्या भट्ट के सिवा भाजपा में कोई योग्य और अनुभवी नेता नहीं है। उन्होंने कहा कि भाजपा ने खुद ‘एक पद, एक व्यक्ति’ का सिद्धांत दिया था, लेकिन अब उसी को खुलेआम तोड़ा जा रहा है। उन्होंने बताया कि इससे पूर्व भी वर्ष 2012 से 2017 के बीच अजय भट्ट नेता प्रतिपक्ष और प्रदेश अध्यक्ष की दोहरी भूमिका निभा चुके हैं। दसौनी ने कहा कि यह भाजपा में प्रतिभा और योग्य नेताओं की कमी को उजागर करता है, और कांग्रेस पार्टी इसे लोकतंत्र के साथ अन्याय और भाजपा के भीतर पनप रही तानाशाही प्रवृत्ति का प्रत्यक्ष प्रमाण मानती है।