नैनीताल: उत्तराखंड हाईकोर्ट ने बागेश्वर जिले की कांडा तहसील सहित अन्य इलाकों में अवैध खड़िया खनन से घरों में आई दरारों के मामले का स्वतः संज्ञान लेते हुए दायर जनहित याचिका पर सुनवाई की। कोर्ट ने इस जनहित याचिका और खनन कारोबारियों के मामले पर एक साथ सुनवाई की।
मुख्य न्यायाधीश जी. नरेंद्र और न्यायमूर्ति आलोक मेहरा की खंडपीठ ने केंद्रीय भूजल विभाग और जियोलॉजिकल विभाग को निर्देश दिए हैं कि वे इसकी जांच कर शुक्रवार 13 जून तक अपनी जांच रिपोर्ट कोर्ट में पेश करें। मामले की अगली सुनवाई भी 13 जून, शुक्रवार को नियत की गई है।
आज की सुनवाई में उठे मुद्दे:
आज 9 जून को हुई सुनवाई पर राज्य के मुख्य स्थायी अधिवक्ता और खनन कारोबारियों ने कोर्ट के सामने अपने तथ्य रखे। उन्होंने बताया कि खनन पर रोक लगने के कारण खड़िया खनन से बने गड्ढों में पानी भर गया है, जिससे पहाड़ियों में दरारें आने लगी हैं। उनकी मशीनें और वाहन सील पड़े हैं। अभी मानसून की शुरुआत में कम वक्त बचा है और प्री-मानसून में ही यह हाल हो गया है। खनन कारोबारियों ने चिंता जताई कि मानसून सीजन में बड़ा हादसा हो सकता है और अगर समय पर इन गड्ढों की सफाई नहीं की गई तो जिले में आपदा आ सकती है।
इस पर कोर्ट ने केंद्रीय भूजल और जियोलॉजिकल विभाग से कहा कि वे इसका निरीक्षण कर अपनी रिपोर्ट पेश करें। कोर्ट ने टिप्पणी करते हुए कहा कि “हमें आम नागरिकों की चिंता है।”
ग्रामीणों की शिकायत और न्याय की गुहार:
मामले के अनुसार, पूर्व में कांडा तहसील के ग्रामीणों ने मुख्य न्यायाधीश को पत्र भेजकर शिकायत की थी कि अवैध खड़िया खनन से उनकी खेतीबाड़ी, घर और पानी की लाइनें बर्बाद हो चुकी हैं। ग्रामीणों ने कहा कि जो धन से संपन्न थे, उन्होंने अपना आशियाना हल्द्वानी व अन्य जगह बना लिया है, लेकिन अब गाँवों में केवल निर्धन लोग ही बचे हैं। उनके जो आय के साधन थे, उन पर अब खड़िया खनन के लोगों की नजर टिकी हुई है। इस संबंध में कई बार उच्च अधिकारियों को प्रत्यावेदन भी दिए गए, लेकिन उनकी समस्या का कोई हल नहीं निकला। इसलिए अब ग्रामीण न्यायालय की शरण में आए हैं और न्याय की गुहार लगाई है।
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