राजू अनेजा, देहरादून।राजधानी में सरकारी महकमे की साख पर सवाल खड़े करने वाला बड़ा फर्जीवाड़ा सामने आया है। सिंचाई विभाग में तैनात प्रशासनिक अधिकारी अंशुल गोयल करीब 16 साल तक फर्जी शैक्षणिक प्रमाणपत्रों के बल पर अफसर बनी रहीं। विभाग ने अब इस मामले का राजफाश कर कैंट कोतवाली में मुकदमा दर्ज कराया है।
ऐसे हुआ खुलासा
मूलरूप से नींबूवाला गढ़ी कैंट निवासी अंशुल गोयल की नियुक्ति वर्ष 2009 में मृतक आश्रित कोटे से कनिष्ठ सहायक पद पर हुई थी। वर्तमान में वे उत्तराखंड जल संसाधन प्रबंधन एवं नियामक आयोग, यमुना कॉलोनी देहरादून में कार्यरत थीं।
उनके दस्तावेजों की असलियत तब सामने आई जब विनीत अग्रवाल नामक व्यक्ति ने शिकायत दर्ज कराई।
जांच में निकली पोल
विभाग ने मामले की गंभीरता देखते हुए जांच समिति गठित की और दस्तावेजों की जांच राजकीय इंटर कॉलेज पटेलनगर तथा उत्तराखंड विद्यालयी शिक्षा परिषद रामनगर से कराई।
जांच में साफ हो गया कि जिस वर्ष (2001) में अंशुल ने पढ़ाई का दावा किया, उस वर्ष उनका नाम न तो विद्यालय के रजिस्टर में था और न ही किसी भी परीक्षा में दर्ज था।
16 साल तक विभाग की आंखों पर पट्टी
करीब सोलह साल तक फर्जी डिग्रियों के दम पर सरकारी नौकरी हड़पने वाली अधिकारी का यह खेल अब जाकर बेनकाब हुआ है। विभाग ने पूरा मामला पुलिस को सौंप दिया है।



अपने मोबाइल पर ताज़ा अपडेट पाने के लिए -
👉 हमारे व्हाट्सएप ग्रुप को ज्वाइन करें