हल्दूचौड़/देहरादून: हल्दूचौड़, लालकुआं विधानसभा क्षेत्र के युवा समाजसेवी और RTI कार्यकर्ता पीयूष जोशी को देहरादून नगर निगम सभागार में आयोजित “उत्तराखंड शिरोमणि सम्मान-2025” में उनके अतुलनीय जनहितकारी कार्यों के लिए सम्मानित किया गया। ‘मुद्दा टीवी’ के स्थापना के पाँच वर्ष पूरे होने पर आयोजित इस समारोह में राज्य के 50 नामी-गिरामी व्यक्तियों को सम्मानित किया गया, लेकिन पीयूष जोशी को उनके विशिष्ट योगदान के लिए विशेष पहचान मिली। उनकी कर्मठता और पारदर्शिता के प्रति आग्रह ने पूरे समारोह को जीवंत बना दिया।
कोविड-19 महामारी में मानवीय सहायता
कोविड-19 महामारी के दौरान पीयूष जोशी की मानवीयता और भी अधिक स्पष्ट रूप से सामने आई। माधवी फाउंडेशन के माध्यम से उन्होंने करीब 10,000 परिवारों को राशन, दवाइयाँ और आर्थिक सहायता प्रदान की। इसके साथ ही, प्रवासी मजदूरों की दुर्दशा को कम करने के लिए उन्होंने राहत शिविरों का आयोजन करवाया। उनके समन्वय में चलाए गए राहत अभियान में स्थानीय युवा स्वयंसेवकों ने मिलकर खाना, स्वास्थ्य किट और टेली-मेडिसिन सेवाएँ पहुँचाकर गाँवों में भूख और बीमारी दोनों से लड़ने का जज़्बा बिखेरा।
सामाजिक न्याय और पारदर्शिता के प्रतीक
सामाजिक न्याय और पारदर्शिता के प्रतीक के रूप में, पीयूष ने सूचना का अधिकार (RTI) कानून को अपनाया और शासन तंत्र में जवाबदेही लाने का बीड़ा उठाया। उन्होंने उत्तराखंड में RTI लगाने की प्रक्रिया को पूर्णतः ऑनलाइन करवाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई और अभी भी RTI ऑनलाइन पोर्टल में आ रही कमियों को दूर करने के लिए लगातार प्रयासरत हैं। शिक्षा, स्वास्थ्य, खनन और स्थानीय प्रशासन में दायर दर्जनों RTI के माध्यम से उन्होंने भ्रष्ट अधिकारियों का निष्पक्ष लेखा-जोखा जनता तक पहुँचाया। उनकी याचिकाओं ने न सिर्फ जाँच समितियाँ बैठवाईं, बल्कि कई मामलों में दोषी अधिकारियों को सेवा से हटाकर कानूनी कार्रवाई के दायरे में लाने में सफलता दिलाई।
स्थानीय समस्याओं पर सशक्त हस्तक्षेप
हल्दूचौड़ क्षेत्र में बेसहारा पशुओं और पशुधन की समस्या ने ग्रामीण जनजीवन को बुरी तरह प्रभावित कर दिया था; फसलें उजड़ रही थीं और दुर्घटनाओं से सुरक्षा चिंताएँ बढ़ गई थीं। ऐसे समय में पीयूष जोशी ने स्थानीय किसानों और ग्रामवासियों के साथ शांतिपूर्ण धरना-प्रदर्शन आयोजित किए और जिलाधिकारी को सौंपे 12 सूत्री ज्ञापन में पशु बाड़े, सुरक्षित मार्ग और पशुपालन केंद्र जैसी माँगें शामिल कीं। प्रशासन ने उनकी आवाज़ को गंभीरता से लिया और समस्या का त्वरित समाधान भी हुआ।
युवा एवं छात्र मुद्दों पर भी सक्रिय
युवा एवं छात्र मुद्दों पर भी उनका ठोस हस्तक्षेप रहा है। बेरोज़गार युवाओं और भर्ती घोटालों के विरोध में उत्तराखंड युवा एकता मंच के संयोजक के रूप में उनके आंदोलनों ने सरकार पर CBI जाँच और पारदर्शी भर्ती प्रक्रिया लागू करने का दबाव बनाया, जिसके परिणामस्वरूप कई नकल माफिया जेल के पीछे गए। सितंबर 2024 में अन्ना हजारे से मुलाकात में उन्होंने बेरोज़गार संघ अध्यक्ष बॉबी पवार व किसान नेता भोपाल चौधरी के साथ भर्ती गड़बड़ियों पर विशेष चर्चा की, और प्रतीक के रूप में ‘ब्रह्मकमल टोपी’ भेंट कर नए संघर्ष की प्रेरणा दी।
संगठनात्मक निष्ठा और जन-कल्याण के कार्य
पीयूष जोशी की संगठनात्मक निष्ठा माधवी फाउंडेशन, उत्तराखंड युवा एकता मंच तथा RTI एक्टिविस्ट एसोसिएशन के प्रदेश अध्यक्ष के रूप में परिलक्षित होती है। जनवरी 2023 में पशु चिकित्सा शिविर, दिसंबर 2023 में मेधावी छात्रों के लिए नि:शुल्क UPSC कोचिंग केंद्र की रूपरेखा, और लगातार चल रहे मोतियाबिंद ऑपरेशन शिविरों ने उनकी दूरदर्शिता और जन-कल्याण में उनकी प्रतिबद्धता को साबित किया।
राष्ट्रीय और वैश्विक पहचान
इन सभी प्रयासों के लिए राष्ट्रीय स्तर पर उन्हें स्वामी विवेकानंद राष्ट्रीय पुरस्कार-2024 से सम्मानित किया जा चुका है। ‘तरुण आश्रम’ स्वर्णजयंती समारोह में भी उन्हें अतिथि के रूप में बुलाया गया, जहाँ विश्व विख्यात जल पुरुष राजेंद्र सिंह जी द्वारा उन्हें सम्मानित किया गया और उनकी कर्तव्यनिष्ठा के लिए सराहा गया। सम्मान ग्रहण के पश्चात् उन्होंने कहा, “यह पुरस्कार व्यक्तिगत नहीं, बल्कि उस हर परिवार का है जिसे मैंने न्याय, पारदर्शिता और मदद की रोशनी दिखाई। मेरे संघर्ष में हर ग्रामीण की आहट शामिल है।”
पीयूष जोशी का यह “उत्तराखंड शिरोमणि सम्मान-2025” न सिर्फ उनकी उपलब्धि है, बल्कि उन सैकड़ों युवाओं को संदेश है जो समाज में सकारात्मक बदलाव लाने के लिए कदम बढ़ाना चाहते हैं। उनका समर्पण, साहस और निष्ठा यह प्रमाणित करते हैं कि बिना किसी पद-नाम के भी एक कर्मठ व्यक्ति जनहित की मशाल जला सकता है।
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