दुबई में चमकी भारतीय संस्कृति की साड़ी — विश्व मेयर सम्मेलन में काशीपुर की उर्वशी बनीं भारत की पहचान

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राजू अनेजा,दुबई/काशीपुर। विश्व मेयर सम्मेलन के मंच पर जब काशीपुर की प्रथम नागरिक प्रतिनिधि श्रीमती उर्वशी दत्त बाली भारतीय साड़ी में नज़र आईं — तो मानो भारत की संस्कृति, परंपरा और शालीनता दुबई की धरती पर जीवंत हो उठी।
जिस साड़ी को पहनने को लेकर वह शुरुआत में असमंजस में थीं, वही साड़ी बाद में विश्व मंच पर भारतीयता की पहचान बन गई।

श्रीमती बाली बताती हैं कि 51 वर्ष की आयु में उन्हें पहली बार इतना बड़ा अंतरराष्ट्रीय मंच मिला, जहाँ दुनिया के कोने-कोने से आए मेयर और प्रतिनिधि एक साथ मौजूद थे। सम्मेलन का ड्रेस कोड फॉर्मल था — ऐसे में मन में दुविधा थी कि क्या पहनूं, कौन-सा रंग चुनूं, और कौन-से आभूषण पहनूं। समय भी सीमित था — महज एक सप्ताह।

“दर्ज़ी इतनी जल्दी आठ वेस्टर्न ड्रेसेज़ तैयार नहीं कर पा रहा था, तो मैंने सोचा क्यों न वही अपनाऊँ, जो मेरी असली पहचान है — भारतीय साड़ी,” उन्होंने मुस्कुराते हुए बताया।

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उन्होंने आठ साड़ियाँ पैक कीं और निश्चय किया कि चारों दिन भारतीय परिधान में ही रहेंगी। परिणाम उम्मीद से कहीं बढ़कर निकला — सम्मेलन में हर कोई उनकी साड़ी की बनावट, रंग और शैली की प्रशंसा करता नज़र आया।


साड़ी बनी संस्कृति और संस्कार की साक्षी

उर्वशी बाली कहती हैं —

“साड़ी सिर्फ एक परिधान नहीं, बल्कि भारतीय नारी की पहचान है।
हर पल्लू में शालीनता है, हर मोड़ में एक कहानी।
जब कोई स्त्री साड़ी पहनती है, तो उसमें गरिमा, आत्मविश्वास और भारतीयता झलकती है।
यह परिधान सिर्फ सुंदरता नहीं, संस्कार और सशक्तिकरण का प्रतीक है।”

सम्मेलन के दौरान “Z & A Waste Management and General Transport” के स्टॉल पर एक विदेशी महिला उनकी साड़ी से इतनी प्रभावित हुई कि उसने उन्हें उपहार स्वरूप एक स्मृति चिह्न भेंट किया।
“वह पल मेरे लिए बेहद गर्व का था — क्योंकि मैंने महसूस किया कि मेरी साड़ी भारत का प्रतिनिधित्व कर रही है,” श्रीमती बाली ने कहा।

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गर्व का क्षण: भारत की साड़ी ने बाँधा विश्व मंच

चारों दिन साड़ी पहनने के अपने निर्णय ने उन्हें न केवल अलग पहचान दी, बल्कि भारत के रंग, रेशम और परंपरा को भी अंतरराष्ट्रीय मंच पर सम्मान दिलाया।
“जब सबने कहा — ‘इंडिया लुक्स ग्रेसफुल’, तो मेरा सिर गर्व से ऊँचा हो गया,” उन्होंने मुस्कुराते हुए कहा।

श्रीमती बाली ने कहा कि यह अवसर केवल व्यक्तिगत नहीं था, बल्कि काशीपुर और पूरे भारत के लिए गर्व का क्षण था।

“मैं अपने नगर की प्रथम महिला प्रतिनिधि बनकर वहाँ पहुँची — और मेरी पहचान बनी मेरी भारतीय साड़ी से।” 🇮🇳


🌸 काशीपुर के बच्चों के लिए प्रेरणा का संदेश 🌸

“काशीपुर के बच्चों — जितनी knowledge पा सको, उतना पढ़ो और सीखो।
बेवजह ब्रांडेड चीज़ों के पीछे मत भागो।
याद रखो, पाँच हज़ार की एक क्रीम किसी के घर का राशन बन सकती है।
इसलिए पैसे को वेस्ट मत करो — अपने देश की चीज़ों का उपयोग करो।
बाहर के ब्रांड तुम्हें अमीर नहीं बनाते, बल्कि अपने ज्ञान और व्यवहार से खुद को ब्रांड बनाओ।”

उन्होंने आगे कहा —

“जीवन में तनाव कम रखो, सामान कम लेकिन चयनित रखो।
खुशियाँ, परिवार, संस्कार और उद्देश्य ज़्यादा रखो —
क्योंकि यही चीज़ें ज़िंदगी भर साथ रहती हैं।