राजू अनेजा,काशीपुर। सिविल जज (सी०डि०) काशीपुर की अदालत ने कड़ा रुख अपनाते हुए उपजिलाधिकारी (एसडीएम) काशीपुर, तहसीलदार और चार पटवारियों/लेखपालों के खिलाफ दायर इजराय वाद को खारिज कर दिया। यह वाद जसपुरखुर्द निवासी गुलहसन, गुलफाम, उसमान, जीहसन, नूरहसन, अली हसन और चांद हसन की ओर से दाखिल किया गया था।
वादियों का आरोप था कि जसपुरखुर्द स्थित भूमि पर पहले ही उनके परिवार के पक्ष में अदालत से डिक्री पारित हो चुकी है और 20 अगस्त 2007 से उस पर स्थगन आदेश (स्टे) लागू है। इसके बावजूद उपजिलाधिकारी काशीपुर ने तहसीलदार से रिपोर्ट मंगाई और लेखपालों की टीम गठित कर भूमि पर कब्जा दिलाने का आदेश दे डाला। इतना ही नहीं, वादियों ने यह भी कहा कि संबंधित अधिकारियों ने यह तक कह दिया कि वे किसी न्यायालय आदेश को मानने के लिए बाध्य नहीं हैं।
इधर, उपजिलाधिकारी, तहसीलदार और पटवारियों की ओर से अधिवक्ता अंबरीश अग्रवाल ने अदालत में पक्ष रखते हुए साफ कहा कि उनके मुवक्किलों को इस मुकदमे में पक्षकार नहीं बनाया जा सकता, क्योंकि पुराने वाद में वे पक्षकार ही नहीं थे। लिहाजा उन पर कोई इजराय वाद लागू नहीं होता।
दोनों पक्षों की दलीलें सुनने के बाद अदालत ने वादियों के आरोपों को निराधार मानते हुए उपजिलाधिकारी काशीपुर, तहसीलदार काशीपुर, लेखपाल फूल सिंह, लेखपाल अरुण कुमार, लेखपाल गौरव कुमार और लेखपाल दौलत सिंह के खिलाफ दाखिल वाद को पूरी तरह खारिज कर दिया।
अदालत का यह फैसला साफ संदेश देता है कि प्रशासनिक अधिकारियों पर केवल दबाव बनाने की नीयत से दायर मुकदमों को न्यायालय किसी भी सूरत में स्वीकार नहीं करेगा।



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