राजू अनेजा,काशीपुर। “जीवन की अंतिम सांस तक समाजसेवा… और मृत्यु के बाद भी किसी की आंखों में उजाला छोड़ जाना”— यही मिसाल पेश की है शिवनगर निवासी ब्रह्मलीन श्रीमती आशा अरोरा जी ने। उनके निधन के उपरांत परिवार द्वारा किया गया नेत्रदान अब दो नेत्रहीनों की आंखों में नई रोशनी बिखेरेगा।
परिजनों ने किया अनुकरणीय निर्णय
8 अक्टूबर को श्रीमती आशा अरोरा जी के देहावसान के पश्चात उनके पति श्री योगराज अरोरा, पुत्र शेखर अरोरा, सचिन अरोरा एवं पवन अरोरा ने नेत्रदान की सहमति देकर समाज के लिए प्रेरणादायी उदाहरण प्रस्तुत किया।
आशा अरोरा जी समाजसेवा और धार्मिक कार्यों में सदैव अग्रणी रहीं। नेत्रदान जैसा कार्य उनके जीवन के आदर्शों का ही विस्तार है। रुद्रपुर से पहुंची चिकित्सक टीम ने वसुधैव कुटुंबकम् संस्था के दायित्वधारियों की मौजूदगी में संपूर्ण प्रक्रिया पूर्ण कर दोनों कॉर्निया (नेत्र की बाहरी परत) प्राप्त किए।
“नेत्रदान से नहीं होता देहभंग” — प्रियांशु बंसल
संस्था के सचिव प्रियांशु बंसल ने बताया कि नेत्रदान को लेकर समाज में कई भ्रम हैं। उन्होंने कहा कि “लोग सोचते हैं कि पूरी आंख निकाल ली जाती है, जबकि ऐसा नहीं होता। केवल कॉर्निया निकाली जाती है, जिससे शरीर की बनावट या स्वरूप पर कोई असर नहीं पड़ता।”
उन्होंने बताया कि जीवित रहते हुए घोषणा न करने पर भी, व्यक्ति के देहावसान के बाद परिवार की सहमति से नेत्रदान संभव है। भारत में करीब 12 लाख लोग कॉर्नियल अंधेपन से पीड़ित हैं और हर साल 20 से 25 हजार नए मामले जुड़ते हैं। ऐसे में हर नेत्रदान किसी की दुनिया बदल सकता है।
हर समय उपलब्ध है नेत्रदान हेल्पलाइन
संस्था ने बताया कि नेत्रदान के इच्छुक परिवार किसी भी समय संपर्क कर सकते हैं —
📞 98370 80678, 95487 99947
(24×7 सहायता उपलब्ध)
संस्था ने जताया आभार, की आत्मा की शांति की कामना
वसुधैव कुटुंबकम् के संरक्षक योगेश जिंदल, अध्यक्ष विकास जैन, संस्थापक सदस्य अजय अग्रवाल, आशीष गुप्ता, दीपक मित्तल, अनुज सिंघल, अंकुर मित्तल, सीए सचिन अग्रवाल, सौरभ अग्रवाल व अन्य सदस्यों ने नेत्रदानी परिवार का हृदय से आभार जताया।
उन्होंने कहा —
“जो अपनी आंखें दूसरों को देखने के लिए दे जाए, वह मृत्यु के बाद भी जीवित रहता है।”
इन समाजसेवियों का रहा विशेष सहयोग
नेत्रदान की प्रक्रिया में अंकित अग्रवाल (श्रीराम ट्रेडर्स, घासमंडी), समाजसेवी मनीष खरबंदा और राजकुमार सेठी का विशेष सहयोग रहा।



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