देहरादून (उत्तराखंड): उत्तर प्रदेश में प्राथमिक स्कूलों को मर्ज करने के बाद अब उत्तराखंड में भी 10वीं और 12वीं के स्कूलों को आधुनिक बनाने के नाम पर ‘क्लस्टर सिस्टम’ के तहत तब्दील करने की तैयारी की जा रही है। शिक्षा विभाग का कहना है कि स्कूलों को मर्ज या बंद नहीं किया जा रहा है, बल्कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति के उद्देश्यों को देखते हुए यह कदम उठाया जा रहा है। हालांकि, विभाग ने प्रदेश के 1520 से अधिक स्कूलों को 559 स्कूलों में बदलने का प्लान तैयार किया है।
क्या है ‘क्लस्टर सिस्टम’ का प्लान?
उत्तराखंड शिक्षा विभाग ने इसे ‘क्लस्टर सिस्टम’ का नाम दिया है। प्रदेश में 10वीं और 12वीं के लगभग 2295 स्कूल हैं, जिनमें से 1520 स्कूलों को चिह्नित किया गया है। इन्हें क्लस्टर सिस्टम के तहत मर्ज करते हुए 559 स्कूलों में तब्दील किया जाएगा, जिससे प्रभावी रूप से 941 स्कूल मर्ज हो जाएंगे।
शिक्षा विभाग के अनुसार, यह क्लस्टर सिस्टम उन क्षेत्रों में लागू होगा, जहाँ आसपास दो या दो से अधिक स्कूल मौजूद हैं। जिस स्कूल में बच्चों की संख्या कम होगी, उस स्कूल के बच्चों को दूसरे स्कूल में (जहाँ बच्चों की संख्या अधिक होगी) शिफ्ट कर दिया जाएगा।
उत्तराखंड सरकार का दावा और उद्देश्य
उत्तराखंड सरकार का दावा है कि इस ‘क्लस्टर योजना’ का उद्देश्य छात्र-छात्राओं को बेहतर और गुणवत्तापूर्ण शिक्षा प्रदान करना है। इस योजना के तहत स्कूलों में निम्नलिखित सुविधाएँ उपलब्ध कराई जाएँगी:
- मूलभूत सुविधाएँ
- स्मार्ट क्लास
- वर्चुअल क्लास
- टिंकरिंग लैब
- कंप्यूटर लैब
- तमाम विषयों की प्रयोगशालाएँ
- आर्ट एंड क्राफ्ट कक्ष
- पुस्तकालय
- खेल मैदान
- शौचालय
- छात्रावास की सुविधा
शिक्षा मंत्री और निदेशक का बयान
शिक्षा मंत्री धन सिंह रावत ने इस बात पर जोर दिया है कि सरकार एक भी स्कूल को मर्ज नहीं कर रही है। उन्होंने कहा कि अगर किसी स्कूल में एक भी बच्चा पढ़ रहा होगा, तो उसे मर्ज नहीं किया जाएगा। सरकार का लक्ष्य 559 क्लस्टर स्कूल और 225 पीएमश्री स्कूल बनाना है, जिनमें हॉस्टल की सुविधा होगी। बच्चों को रोज़ाना आने-जाने के लिए 100 रुपये दिए जाएँगे। उनका मानना है कि इन बेहतर स्कूलों से बच्चे प्राइवेट स्कूलों की बजाय सरकारी स्कूलों में पढ़ने आएँगे।
माध्यमिक शिक्षा विभाग के निदेशक मुकुल कुमार सती ने भी स्पष्ट किया कि प्रदेश में 2250 इंटरमीडिएट और हाईस्कूल हैं, जिसमें से 1520 स्कूलों को एकत्र करके 559 क्लस्टर स्कूल बनाए जा रहे हैं। उन्होंने बताया कि बचे हुए स्कूल खुद में क्लस्टर होंगे, क्योंकि उनके आसपास कोई दूसरा स्कूल नहीं है।
मुकुल कुमार सती ने कहा कि उत्तराखंड सरकार की विद्यालयों को बंद करने की कोई योजना नहीं है, बल्कि क्लस्टर के एक विद्यालय को पूरी तरह से सुसज्जित करके ‘सेंटर ऑफ एक्सीलेंस’ के रूप में विकसित करने की योजना है, जिससे बच्चों को बेहतर शिक्षा और व्यवस्थाएँ मिल सकें।
यह योजना अभी धरातल पर उतरने में समय लेगी। क्या आपको लगता है कि यह क्लस्टर सिस्टम उत्तराखंड में सरकारी शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार ला पाएगा?
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