यूपीसीएल ने साफ की स्थिति: उत्तराखंड में स्मार्ट मीटर लगाने पर रोक नहीं, 20 हजार खराब मीटर बदलने को प्राथमिकता

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देहरादून: उत्तराखंड पावर कॉर्पोरेशन लिमिटेड (UPCL) ने राज्य में स्मार्ट मीटर लगाने पर रोक की अटकलों को खारिज करते हुए स्थिति साफ कर दी है। यूपीसीएल ने कहा है कि ऐसी कोई पाबंदी नहीं लगाई गई है, बल्कि खराब, फुंके व गलत रीडिंग दे रहे मीटरों को प्राथमिकता से बदलकर नए स्मार्ट मीटर लगाने के आदेश दिए गए हैं।


🛠️ प्राथमिकता से बदले जाएंगे 20 हजार खराब मीटर

 

  • रोक की स्थिति: यूपीसीएल के एमडी अनिल यादव ने स्पष्ट किया कि नए विद्युत कनेक्शन में स्मार्ट मीटर लगाने पर रोक नहीं है। निर्देश यह हैं कि वर्तमान में बदले जा रहे स्मार्ट मीटर के साथ पुराने खराब मीटरों के रिप्लेसमेंट को प्राथमिकता दी जाए।

  • क्षतिग्रस्त मीटर: प्रदेश में वर्तमान में करीब 20 हजार विद्युत मीटर खराब पड़े हैं (जिसमें जले, फुंके या रीडिंग दोष वाले मीटर शामिल हैं)।

  • डेडलाइन: एमडी ने बताया कि क्षतिग्रस्त मीटरों को बदलकर स्मार्ट मीटर लगाने का काम तीन दिनों में पूरा कर लिया जाएगा। इसके बाद पूरी तरह से नए कनेक्शनों में स्मार्ट मीटर लगाने का कार्य किया जाएगा।

कारण: अधिकारी पहले नए कनेक्शनों में स्मार्ट मीटर लगाकर अपनी ‘परफॉर्मेंस’ सुधारने में लगे थे, जिससे 20 हजार खराब मीटरों को बदलने का काम लंबित था। उपभोक्ताओं को सटीक रीडिंग दिलाने के लिए यह आदेश जारी किया गया है।

🚀 अभियान और लाभ

 

  • विशिष्ट शिविर: यूपीसीएल ने क्षतिग्रस्त मीटरों को बदलने के लिए विशिष्ट शिविरों का आयोजन शुरू कर दिया है। सभी जोन, सर्किल और डिविजन स्तर पर टीमें सक्रिय हैं।

  • सटीक बिलिंग: दोषपूर्ण मीटरों के स्थान पर नए स्मार्ट मीटर की स्थापना से बिलिंग प्रक्रिया सटीक होगी, तकनीकी घाटे कम होंगे और उपभोक्ताओं को निर्बाध विद्युत आपूर्ति सुनिश्चित की जा सकेगी।

  • डिजिटल प्रणाली: यूपीसीएल प्रदेश में सभी नए कनेक्शन स्मार्ट मीटर के साथ ही जारी कर रहा है।

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स्मार्ट मीटर के मुख्य लाभ

 

सुविधा विवरण
सटीक बिलिंग मीटर रीडिंग स्वचालित होने से अनुमानित बिल की जरूरत नहीं।
रियल-टाइम मॉनिटरिंग उपभोक्ता मोबाइल ऐप पर अपनी बिजली खपत तुरंत देख सकते हैं।
प्रीपेड विकल्प पहले रिचार्ज करें, फिर बिजली उपयोग करें (प्रीपेड सुविधा)।
सुविधा और विश्लेषण बिजली खपत का विश्लेषण और मोबाइल ऐप से रिचार्ज संभव।
तकनीकी पहचान ओवरलोड, वोल्टेज में कमी/बढ़त की पहचान जल्दी होती है; मीटर रीडर की आवश्यकता नहीं।
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