उत्तराखंड हाईकोर्ट ने शराब के दाम बढ़ाने के सरकारी फैसले पर लगाई रोक
नैनीताल: उत्तराखंड हाईकोर्ट ने प्रदेश में शराब के दाम बढ़ाने के राज्य सरकार के निर्णय पर रोक लगा दी है। सरकार के इस फैसले को उत्तराखंड की एक शराब बनाने वाली कंपनी ने कोर्ट में चुनौती दी थी। इस प्रकरण पर सुनवाई न्यायमूर्ति रवींद्र मैठाणी और न्यायमूर्ति आलोक माहरा की खंडपीठ में हुई।
🚫 सरकार के निर्णय पर रोक का कारण
याचिकाकर्ता (शराब कंपनी) का तर्क
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प्रदेश सरकार ने 28 नवंबर को नोटिफिकेशन जारी कर शराब के दामों में वृद्धि करने का निर्णय लिया था।
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राज्य सरकार एक्साइज ईयर के बीच में शराब के दामों में वृद्धि नहीं कर सकती है।
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नोटिफिकेशन के माध्यम से उत्तराखंड आबकारी नीति नियमावली में संशोधन नहीं किया जा सकता। नियमावली में संशोधन के लिए कानूनी प्रक्रिया अपनाई जानी चाहिए।
सरकारी आदेश का विवरण (28 नवंबर का नोटिफिकेशन)
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28 नवंबर को उत्तराखंड आबकारी विभाग ने एक आदेश जारी किया था, जिसमें वैट (VAT) को एक्साइज ड्यूटी के बाद लगाए जाने का निर्देश था।
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इस आदेश से एक्साइज ड्यूटी पर भी 12% की दर से वैट शामिल किया गया था।
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इसका उद्देश्य शराब की कुल बिक्री में लगने वाली एक्साइज ड्यूटी पर भी वैट लगाकर राज्य के राजस्व को बढ़ाना था।
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सरकार का तर्क था कि मौजूदा समय में वैट एक्साइज ड्यूटी से पहले लगने के कारण राज्य को कम राजस्व मिल रहा था।
कोर्ट का फैसला
दोनों पक्षों की दलीलें सुनने के बाद, युगलपीठ ने 28 नवंबर को जारी नोटिफिकेशन पर रोक लगा दी।
📈 राजस्व और वित्तीय महत्व
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इस संशोधन से उत्तराखंड में शराब का महंगा होना तय था और इससे राज्य की राजस्व प्राप्ति में स्पष्ट रूप से बढ़ोतरी होने की उम्मीद थी।
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शराब से मिलने वाला राजस्व राज्य के कुल आय स्रोतों में एक महत्वपूर्ण हिस्सा रखता है, इसलिए यह कदम राज्य की वित्तीय स्थिति को मजबूत करने की दिशा में अहम माना गया था।
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हालांकि, हाईकोर्ट की रोक के बाद फिलहाल राज्य सरकार के राजस्व बढ़ाने के इस प्रयास पर विराम लग गया है।
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