उत्तराखंड सरकार ने चम्पावत जिले को धार्मिक, सांस्कृतिक, पर्यटन और पर्यावरणीय दृष्टि से एक समग्र केंद्र के रूप में विकसित करने के लिए अपनी महत्वाकांक्षी ₹3,300 करोड़ की शारदा कॉरिडोर विकास परियोजना का आगाज कर दिया है। यह परियोजना बनबसा से माता रंकोची तक लगभग 200 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र में फैली है, जिसका उद्देश्य आस्था, प्रकृति और आजीविका के संगम को साकार करना है।
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने हाल ही में पहले चरण का शुभारंभ किया और इसकी प्रगति की समीक्षा करते हुए इसे एकीकृत विकास का मॉडल बनाने की प्रतिबद्धता दोहराई।
🏞️ बहुआयामी विकास और प्रमुख कार्य
शारदा कॉरिडोर परियोजना का उद्देश्य क्षेत्र में बहुआयामी विकास और पर्यावरणीय संतुलन सुनिश्चित करना है। पहले चरण में ₹185 करोड़ की लागत से कार्य शुरू किए गए हैं।
| परियोजना का घटक | विवरण |
| शारदा घाट पुनर्विकास | पहले चरण में ₹185 करोड़ की लागत से शुरू; नदी तट को पर्यावरण-संवेदनशील और सौंदर्यपूर्ण पर्यटन क्षेत्र बनाना। |
| अंतरराष्ट्रीय सीमा बाजार | बनबसा में स्थापित होगा; स्थानीय कारीगरों और व्यापारियों को घरेलू एवं विदेशी पर्यटकों तक पहुँच प्रदान करेगा। |
| धार्मिक जीर्णोद्धार | ऐतिहासिक रंकोची माता मंदिर का जीर्णोद्धार। |
| बुनियादी ढाँचा | बनबसा में आधुनिक हेलीपोर्ट का निर्माण, जिससे हवाई संपर्क सुगम होगा। |
| साहसिक पर्यटन | चूका से चालती तक माउंटेन बाइक ट्रेल और एयरो स्पोर्ट्स सुविधाओं की स्थापना। |
| इको-कॉरिडोर | किरोड़ा नाला इकोलॉजिकल कॉरिडोर (₹109.57 करोड़ लागत) – जैव विविधता और प्राकृतिक आपदाओं के प्रति लचीलापन बढ़ाना। |
| शहरी विकास | शहर के ड्रेनेज प्लान पर कार्य (₹62 करोड़ लागत) – जलभराव और स्वच्छता समस्याओं का समाधान। |
📣 मुख्यमंत्री का विज़न: आस्था और समृद्धि का प्रतीक
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने परियोजना को धार्मिक विरासत और आर्थिक-पर्यावरणीय प्रगति के प्रतीक के रूप में विकसित करने की बात कही है।
“शारदा कॉरिडोर आस्था, प्रकृति और सतत विकास का अनूठा संगम बनेगा। यह भूमि अब केवल श्रद्धा का केंद्र नहीं रहेगी, बल्कि यहाँ के लोगों के लिए आर्थिक समृद्धि और अवसरों की नई धारा लेकर आएगी।”
सरकार का लक्ष्य इसे पर्यटन आधारित विकास का उत्प्रेरक बनाना है, जो धार्मिक पर्यटकों के साथ-साथ प्रकृति प्रेमियों और साहसिक यात्रियों को भी आकर्षित करेगा।
🔑 क्रियान्वयन और अन्य योजनाएँ
- नोडल एजेंसी: परियोजना के क्रियान्वयन की जिम्मेदारी उत्तराखंड इंफ्रास्ट्रक्चर एंड इंडस्ट्रियल डेवलपमेंट बोर्ड (UDI IDB) को सौंपी गई है।
- पर्यावरणीय स्थिरता: सभी विकास कार्य पर्यावरणीय मानदंडों के अनुरूप किए जा रहे हैं। इसमें हरित परिदृश्य, स्मार्ट लाइटिंग, नदी शुद्धिकरण और आपदा प्रबंधन को प्राथमिकता दी गई है।
- आगामी योजनाएँ: राज्य सरकार इस क्षेत्र को डेस्टिनेशन वेडिंग हब के रूप में विकसित करने की भी योजना बना रही है, साथ ही भविष्य में ईको-पार्क, ध्यान केंद्र और सांस्कृतिक कॉम्प्लेक्स जैसी सुविधाएँ भी जोड़ी जाएँगी।
यह परियोजना हजारों रोजगार सृजित करेगी और उत्तराखंड में सतत तथा जिम्मेदार पर्यटन आधारित विकास का एक नया अध्याय लिखेगी।
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