उत्तरकाशी: गुरु चौरंगी नाथ मेले में अलौकिक आस्था का नजारा, पश्वा ने खाया 7 किलो मंडुए का बाड़ी
उत्तरकाशी: देवभूमि उत्तराखंड की अलौकिक शक्ति और आस्था का एक अनूठा नजारा उत्तरकाशी के गाजणा क्षेत्र में आयोजित गुरु चौरंगी नाथ मेले में देखने को मिला। हर तीसरे साल आयोजित होने वाले इस पौराणिक मेले के दौरान, हलवा देवता के पश्वा (जिन पर देवता अवतरित होते हैं) ने लोगों के सामने सात किलो मंडुए का बाड़ी (हलवे जैसी रेसिपी) खाया, जिसे देखकर हजारों ग्रामीण अचंभित रह गए।
✨ मेले का मुख्य आकर्षण
- आयोजन: गाजणा क्षेत्र के चौंदियाट, दिखोली, सौड़, लौदाड़ा और भेटियारा गांवों का संयुक्त गुरु चौरंगी देवता पौराणिक मेला।
- पश्वा की क्रिया: हलवा देवता के पश्वा ने सबके सामने सात किलो मंडुए का बाड़ी खाया, जो इस मेले का प्रमुख आकर्षण केंद्र होता है। बाड़ी, सूजी की जगह गेहूँ या अन्य अनाज के आटे से बना हलवे जैसा होता है, जिसका भोग देवता को लगाया जाता है।
- भक्तों की प्रतिक्रिया: इस अलौकिक नजारे को देखकर भक्त हैरान रह गए और हलवा देवता का जय-जयकार करने लगे।
🥁 धार्मिक और सांस्कृतिक कार्यक्रम
- देव डोलियाँ: मेले में क्षेत्र के प्रमुख आराध्य देव भगवान तामेश्वर, गुरु चौरंगी नाथ, हलवा देवता, हुणियां नागराजा, हरि महाराज और खंडद्वारी देवी की डोलियों के साथ हजारों ग्रामीण उमड़े।
- मन्नतें और आशीर्वाद: ग्रामीणों ने इन देव डोलियों से क्षेत्र की सुख एवं समृद्धि की कामना की, जिस पर देव डोलियों ने प्रसन्न होकर उन्हें आशीर्वाद दिया।
- सांस्कृतिक संध्या: बीती बुधवार रात को भेटियारा गांव में विभिन्न सांस्कृतिक कार्यक्रम का आयोजन किया गया, जिसमें लोक गायक प्रीतम भरतवाण ने जागर की प्रस्तुतियाँ दीं, जिस पर ग्रामीण देर रात तक झूमते रहे।
🗓️ पाँच दिवसीय मेले का क्रम
गुरु चौरंगी देवता का मेला 5 दिन का होता है:
- पहला दिन: चौंदियाट गाँव से शुभारंभ।
- दूसरा दिन: दिखोली गाँव।
- तीसरा दिन: सौड़ गाँव।
- चौथा दिन: लौदाड़ा गाँव।
- पाँचवाँ दिन: भेटियारा गाँव में पारंपरिक वाद्य यंत्रों, ढोल नगाड़ों और लोक नृत्य के साथ समापन।
मेले के समापन मौके पर गंगोत्री विधायक सुरेश चौहान ने भी शिरकत की और कहा कि ‘मेले पहाड़ की पहचान हैं, इन्हें संजोए रखने की जरूरत है।’
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