सिंगल मॉल्ट व्हिस्की और ब्लेंडेड व्हिस्की मैं क्या फर्क है? जानिए आप भी
व्हिस्की को बनाने के तरीके के आधार पर यह मुख्य तौर पर तीन तरह के हो सकते हैं. पहला ग्रेन व्हिस्की यानी वो शराब जिसे बनाने में मक्का या गेहूं या दोनों का इस्तेमाल किया गया हो. वहीं, सिंगल मॉल्ट व्हिस्की सबसे प्रीमियम किस्म है. इसका उत्पादन सिंगल डिस्टिलरी में ही होता है और इसे बनाने में किसी एक ही तरह के अनाज का इस्तेमाल किया जाता है.
इस तरह की व्हिस्की अमूमन सबसे ज्यादा स्कॉटलैंड में बनती हैं. सिंगल मॉल्ट के फ्लेवर की पूरी दुनिया मुरीद है, इसलिए ये काफी महंगे होते हैं.
व्हिस्की का तीसरा प्रकार ब्लेंडड कहलाता है. ब्लेंडेड यानी जिसमें सिंगल मॉल्ट व्हिस्की, ग्रेन व्हिस्की और अन्य प्रकार की व्हिस्की मिक्स हों. चूंकि, ग्रेन व्हिस्की सस्ती होती हैं और सिंगल मॉल्ट महंगी, इसलिए आम तौर पर दोनों को मिक्स करके अपेक्षाकृत कम कीमत पर थोड़ी बेहतर क्वॉलिटी की व्हिस्की तैयार की जाती है. भारत में भी ब्लेंडेड व्हिस्की काफी तैयार की जाती हैं.
स्कॉच और दुनिया की बाकी व्हिस्कियों में क्या फर्क
स्कॉच व्हिस्की को तैयार करने के लिए उसे ओक (Oak)की लकड़ी से बने पीपों में कम से कम 3 साल तक रखा जाता है. पीपे भी ऐसे होते हैं जिनमें पहले कोई दूसरी शराब रखी जा चुकी हो. वहीं, स्कॉच से उलट अन्य व्हिस्कियों को साधारण वाइट ओक के पीपों में रखा जाता है. स्कॉच को बनाने में आम तौर पर सिर्फ एक अनाज जौ यानी माल्टेड बार्ले का इस्तेमाल होता है.
वहीं, अन्य व्हिस्कियों को बनाने के लिए कई तरह के अनाज मसलन जौ, गेहूं, मक्का का इस्तेमाल होता है. आम व्हिस्कियों के उलट स्कॉच में ड्राई फ्रूट्स, वनीला, कारमेल और स्मोक के काफी जटिल फ्लेवर मिक्स्ड होते हैं. ये पीने में काफी स्मूथ होते हैं और अपेक्षाकृत काफी महंगे भी. वाइन एक्सपर्ट इसे बिना कुछ मिलाए सीधे नीट पीने की सलाह देते हैं.
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