बीजेपी का एक बार फिर चौंकाने वाला फैसला, क्या हैं वो कारण जो जगदीप धनखड़ बने पहली पसंद

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बीजेपी ने एक बार फिर से चौंकाने वाला फैसला लेकर सबको चकित कर दिया है. बीजेपी ने पश्चिम बंगाल के राज्यपाल जगदीप धनखड़ को उपराष्ट्रपति पद का उम्मीदवार घोषित किया है. जगदीप धनखड़ राजस्थान के रहने वाले हैं और किसान परिवार से आते हैं. सार्वजनिक तौर पर उनके नाम की घोषणा करते हुए शनिवार को बीजेपी अध्यक्ष जेपी नड्डा ने उन्हें किसान पुत्र कहकर संबोधित किया, जो अपने आप में बड़ी बात है. तो क्या भाजपा की नजर साल 2023 में राजस्थान में और 2024 में हरियाणा में होने वाले विधानसभा चुनाव पर है?

आखिर भाजपा की पहली पसंद क्यों बने धनखड़?
राजस्थान के झुंझुनू जिले के किठाना गांव के किसान परिवार में जन्मे जगदीप धनखड़ का किसानों की बीच बड़ी पैठ है और वे सुप्रीम कोर्ट के जाने माने वकील और राजनेता रहे हैं. धनखड़ हरियाणा के किसान नेता के रूप में प्रसिद्ध चौधरी देवीलाल के करीबी रहे हैं और अपने समय के अधिकांश जाट नेताओं की तरह धनखड़ भी मूल रूप से देवीलाल से जुड़े हुए थे. तब युवा वकील रहे धनखड़ का राजनीतिक सफर तब आगे बढ़ना शुरू हुआ, जब देवीलाल ने उन्हें 1989 में कांग्रेस का गढ़ रहे झुंझुनू संसदीय क्षेत्र से विपक्षी उम्मीदवार के रूप में मैदान में उतारा था और धनखड़ ने जीत दर्ज की थी.

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धनखड़ वीपी सिंह के दौर में जनता दल ल में थे. खास बात यह है कि वे भाजपा या आरएसएस की मूल विचारधारा से नहीं आते, बल्कि किसान राजनीति से आते हैं. वह संवैधानिक पदों पर रहकर चुप रहने वाले नेता नहीं, बल्कि अहम मुद्दों पर अपनी टिप्पणी देने वाले नेता के तौर पर जाने जाते हैं.

साल 1989 में धनखड़ भाजपा के समर्थन से जनता दल के टिकट पर झुंझुनू से लोकसभा से चुनाव जीते थे और पहली बार संसद पहुंचे थे. वे केंद्र सरकार में मंत्री भी रहे थे. जनता दल के विभाजन के बाद वो देवेगौड़ा के खेमे में चले गए थे और जनता दल से टिकट नहीं मिलने पर वो बाद में कांग्रेस में चले गए. उन्होंने अजमेर से कांग्रेस के टिकट पर लोकसभा चुनाव लड़ा लेकिन हार गए. साल 2003 में बीजेपी में शामिल हो गए.

जगदीप धनखड़ राजस्थान के किशनगढ़ से विधायक भी रहे हैं. उन्होंने जाट बिरादरी को ओबीसी का दर्जा दिलाने के लिए जाट आंदोलन में अग्रणी भूमिका निभाई थी. जब एक और जाट नेता व वर्तमान में मेघालय के राज्यपाल सत्यपाल मलिक केंद्र सरकार के खिलाफ इन दिनों मुखर हैं तो धनखड़ को उपराष्ट्रपति पद का उम्मीदवार बनाकर भाजपा ने जाट समुदाय को साधने की कोशिश की है.

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राजस्थान-हरियाणा को साधने की कोशिश

राजस्थान में अगले साल 2023 में विधानसभा चुनाव साल होने वाले हैं और वहीं हरियाणा में साल 2024 में. दोनों राज्यों में से राजस्थान में फिलहाल कांग्रेस की सरकार है और अशोक गहलोत प्रदेश के मुख्यमंत्री हैं. तो वहीं, हरियाणा में अभी मनोहर लाल खट्टर की सरकार है और बीजेपी अगले चुनाव में भी अपनी जीत यहां सुनिश्चित करना चाहती है. राजस्थान विधानसभा की सीटों की बात करें तो यहां 200 सीटें हैं. विधानसभा का कार्यकाल दिसंबर 2023 में खत्म होने जा रहा है. यानी दिसंबर 2023 से पहले यहां चुनाव कराए जा सकते हैं.

राजस्थान में खार खाई बीजेपी जीत के लिए इस बार किसी भी तरह का रिस्क नहीं लेना चाहती और जीत हासिल करने के लिए वो अपना पूरा दम-खम लगा देगी. यहां कांग्रेस और बीजेपी में इस बार के चुनाव में सीधी टक्कर होने की संभावना है. पिछले दो दशक से राजस्थान में भाजपा का दबदबा था और वसुंधरा राजे की तूती बोलती थी. लेकिन अब ऐसा माना जा रहा है कि पार्टी राजस्थान में नया नेतृत्व तलाश कर रही है. बीजेपी को 2023 में यहां सत्ता में वापसी करने की उम्मीद है.

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किसान पुत्र धनखड़ पर लगाया है दांव

इसी वजह से धनखड़ बीजेपी के पसंद बने हैं. धनखड़ राजस्थान के रहने वाले हैं, किसान परिवार से हैं और जाट समुदाय से आते हैं. मोदी सरकार के खिलाफ किसान आंदोलन में जाट किसान भी बड़ी तादाद में शामिल थे. राजस्थान में जाट वोटरों और किसानों की संख्या अच्छी-खासी है. कई निर्वाचन क्षेत्रों में जाट वोटर निर्णायक भूमिका निभाते हैं. यहां गौर करने वाली बात यह है कि धनखड़ की उम्मीदवारी का एलान करते हुए भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा ने उन्हें ‘किसान पुत्र’ कहकर संबोधित किया है.

धनखड़ को उपराष्ट्रपति पद का उम्मीदवार बनाए जाने के पीछे बीजेपी की राजस्थान चुनाव में जीत की मंशा है और किसान आंदोलन को लेकर किसानों के गुस्से पर मलहम लगाना है. कृषि बिल को लेकर भी आवाज उठेगी तो एक ऐसी आवाज जो किसानों से बात कर सकेगी. धनखड़ किसान नेता हैं और राजस्थान हरियाणा की जनता पर विशेष पकड़ रखते हैं, शायद इसीलिए बीजेपी ने ये बड़ा दांव खेला है.

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