सरकार के इस फैसले के बाद नकली दवाओं पर कसेगा शिकंजा! दवाओं पर लगेगा QR कोड

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दवाइयां हम सभी के जीवन का एक बहुत जरूरी हिस्सा है. जब भी हम बीमार पड़ते हैं तो हमें दवाइयों की जरूरत पड़ती है. आजकल मार्केट में कई नकली दवाइयां आ गई हैं. ऐसे में इन दवाइयों पर नकेल कसने के लिए एक बेहद जरूरी फैसला लिया है. इस फैसले में सरकार ने दवा पर क्यूआर कोड (QR Code) यानी बारकोड लगाना आवश्यक होगा. यह क्यूआर कोड 1 अगस्त 2023 से लगाना आवश्यक होगा. सरकार ने यह आदेश दवा बनाने वाली सभी फर्मा कंपनी को दे दिया है. इससे मार्केट में बिकने वाली नकली दवाइयों पर नकेल कसी जा सकेगी. इस तरह की दवाइओं को आधार मेडिसिन कहा जाएगा.

इन क्यूआर कोड में किन जरूरी चीजों की होगी जानकारी-

  • असली दवाओं की होगी पहचान
  • दवाई का नाम और generic नाम का लगेगा पता
  • ब्रांड का नाम
  • फार्मा कंपनी का नाम और एड्रेस
  • दवा का बैच नंबर
  • दवा का किस दिन हुआ निर्माण
  • दवा की एक्सपायरी डेट
  • दवा बनाने वाली कंपनी का लाइसेंस नंबर

300 कंपनियां लगाएंगी बार कोड

आपको बता दें कि सरकार ने फिलहाल केवल 300 बड़ी फार्मा कंपनी को निर्देश दिया है कि वह अपनी दवाओं पर बार कोड लगाएं. इससे असली और नकली दवाओं के बीच आसानी से पहचान की जा सकेगी. यह व्यवस्था 1 अगस्त 2023 से लागू हो जाएगी. इसमें ज्यादातर उन कंपनियों को शामिल किया गया है जिनकी दवाएं सबसे ज्यादा रिटेल भाव में बिकती है. इसमें Allegra, Dolo, Augmentin, Saridon, Calpol और Thyronorm जैसे ब्रांड का नाम शामिल हैं.

ध्यान देने वाली बात ये है कि साल 2022 के जून महीने में हेल्थ मिनिस्ट्री ने एक नोटिफिकेशन जारी करके लोगों से इस मामले पर उनकी राय मांगी थी. इसके बाद लोगों के द्वारा दिए गए सुझाव के अनुसार ही यह फैसला लिया है. ड्रग और कॉस्मेटिक्स एक्स के रूल 96 के H2 मुताबिक अब 300 ड्रग कंपनियों को अपने प्राइमरी और सेकेंडरी पर बारकोड या क्यूआर कोड लगाना जरूरी हो गया है.

भारत में धड़ल्ले से बिकती है नकली दवाएं

वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गेनाइजेशन की रिपोर्ट के अनुसार पूरी दुनिया के मध्यम और कम आय वाले देशों में नकली दवा का व्यापार बहुत तेजी से फल फूल रहा है. इन देशों में 10 फीसदी मेडिकल के सामान नकली मिलते हैं. ऐसे में इससे लोगों के स्वास्थ्य पर बहुत बुरा असर पड़ता है. ऐसे में भारत सरकार का यह कदम आने वाले दिनों में लोगों के लिए बहुत लाभकारी हो सकता है. इससे करोड़ों लोग नकली दवा यूज करने से बच सकते हैं.