देहरादून: उत्तराखंड में कार्मिक विभाग द्वारा कर्मचारियों से संपत्ति का ब्यौरा मांगे जाने के एक बार फिर से जारी किए गए रिमाइंडर लेटर पर राज्य की मुख्य विपक्षी पार्टी कांग्रेस भड़क गई है। कांग्रेस ने इसे आगामी विधानसभा चुनाव से पहले कर्मचारियों का ‘उत्पीड़न’ और ‘डराने की कोशिश’ करार दिया है।
🗣️ कांग्रेस का आरोप: चुनाव से पहले डराने की राजनीति
कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष गणेश गोदियाल ने कार्मिक विभाग की इस कार्रवाई पर तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त की है:
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उत्पीड़न का आरोप: उन्होंने कहा कि विधानसभा चुनाव से ठीक पहले सरकार कर्मचारी पर नकेल कस रही है।
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डराने की कोशिश: उनका कहना है कि संपत्ति का डर दिखाकर कर्मचारियों को यह संदेश देने की कोशिश की जा रही है कि यदि वे आने वाले चुनाव में भाजपा का साथ नहीं देंगे तो उनके साथ क्या होगा।
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नियमों पर सवाल: गोदियाल ने सवाल उठाया कि सरकार कर्मचारियों को तो अपनी संपत्ति का ब्यौरा सार्वजनिक करने को कह रही है, लेकिन उन मंत्रियों की संपत्ति के बारे में क्यों कुछ नहीं कह रही जिन पर आय से अधिक संपत्ति का आरोप है।
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मांग: उन्होंने मांग की कि सरकार पहले अपने मंत्रीगणों और विधायकों की संपत्ति को सार्वजनिक करे, उसके बाद यह नियम सब पर लागू करे।
🏛️ भाजपा का पक्ष: यह एक रूटीन प्रक्रिया है
सत्ता पक्ष की ओर से भाजपा के वरिष्ठ प्रवक्ता और विधायक विनोद चमोली ने कांग्रेस के आरोपों का खंडन करते हुए इसे रूटीन प्रक्रिया बताया:
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नियमावली का हवाला: उन्होंने कहा कि कर्मचारी सेवा नियमावली के अनुसार, कर्मचारियों को हर साल अपनी संपत्ति का ब्यौरा देना होता है। यह व्यवस्था पहले से ही बनी हुई है और इसमें कुछ भी नया नहीं है।
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रिमाइंडर: चूंकि यह कार्य ठीक से नहीं हो रहा था, इसलिए रिमाइंडर के रूप में दोबारा आदेश जारी किया गया है।
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सख्त कार्रवाई का समर्थन: चमोली ने कहा कि इसका सख्ती से पालन होना चाहिए। उन्होंने सुझाव दिया कि जो अधिकारी या कर्मचारी ब्यौरा नहीं देते हैं, उनके सभी प्रमोशन और इंक्रीमेंट रोक देने चाहिए, ताकि सिस्टम में भ्रष्टाचार कम हो।
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तुलना पर आपत्ति: उन्होंने कहा कि विधायक और मंत्री चुनाव के दौरान अपनी संपत्ति सार्वजनिक करते हैं, जिसकी तुलना अधिकारियों और कर्मचारियों से नहीं करनी चाहिए।


