केदारनाथ भूस्खलन में मरने वालों की संख्या 4 हो गई है, जिनमें 2 मध्य प्रदेश के रहने वाले हैं

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उत्तराखंड में गौरीकुंड (केदारनाथ) हाईवे पर सोनप्रयाग और गौरीकुंड के बीच पैदल तीर्थ यात्रियों का दल भूस्खलन की चपेट में आ गया। अब हादसे में मरने वालों की संख्या 4 हो गई है, जिनमें 2 मध्य प्रदेश के रहने वाले हैं।

गंभीर घायलों को गुप्तकाशी स्थित सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में भर्ती कराया गया है। इनमें भी एक धार निवासी है।

सोमवार की घटना के बाद मंगलवार सुबह तक मलबे रेस्क्यू ऑपरेशन जारी रहा। मृतकों में दुर्गाबाई (50 वर्ष) खापर पत्नी संघन लाल (निवासी नेपावाली, जिला धार) और गोपाल ((50 वर्ष)) पुत्र भक्त राम (निवासी राजोद, जिला धार, मध्य प्रदेश) शामिल हैं। 45 वर्षीय छगनलाल पुत्र भक्त राम (निवासी राजोत जिला धार मध्य प्रदेश) घायल हैं।

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बीती 31 जुलाई को केदारघाटी में आई आपदा में भी यहां भूस्खलन से 150 मीटर मार्ग ध्वस्त हो गया था। इसके बाद से लगातार पहाड़ी से पत्थर व मलबा गिर रहा है और मार्ग खतरनाक बना हुआ है।

सोमवार शाम 7.30 बजे हुआ था हादसा

  • सोमवार शाम लगभग साढ़े सात बजे सोनप्रयाग से आधा किमी आगे गौरीकुंड की तरफ पहाड़ी से भूस्खलन हो गया।
  • वहां से गुजर रहे कुछ तीर्थयात्री पहाड़ी से गिरे पत्थरों और मलबे की चपेट में आ गए। सभी केदारनाथ से लौट रहे थे।
  • इनमें एक की मौत हो गई थी, जिसकी पहचान गोपाल निवासी जीजोड़ा पोस्ट राजोद जिला धार के रूप में हुई।
  • वहीं, मंगलवार सुबह रेस्क्यू के दौरान 50 वर्षीय दुर्गाबाई खापर का शव मलबे से मिला। परिजन को सूचना दे दी गई है।
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रेस्क्यू में बारिश बनी बाधा

मलबे में तीर्थ यात्रियों के फंसे होने की आशंका को देखते हुए रेस्क्यू ऑपरेशन चलाया गया था। क्षेत्र में लगातार वर्षा और अंधेरे के कारण परेशानी हुई। – अनिल कुमार शुक्ला, उप जिलाधिकारी ऊखीमठ

वर्षा में चारधाम यात्रा से बचें

उत्तराखंड के पर्वतीय क्षेत्रों में इन दिनों भारी वर्षा हो रही है। इससे मार्गों पर भूस्खलन होने से जगह-जगह पहाड़ी से पत्थर और मलबा गिर रहा है। चारधाम यात्रा मार्गों पर कई पुराने भूस्खलन क्षेत्र सक्रिय होने के साथ ही नए भूस्खलन क्षेत्र उभर आए हैं।

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हल्की वर्षा में ही पहाड़ी से पत्थरों की बरसात हो रही है। इससे सफर में जोखिम बना हुआ है। इसलिए अगर आप इन दिनों चारधाम यात्रा पर आने की योजना बना रहे हैं तो सुरक्षा के दृष्टिगत कुछ दिन रुक जाए। अपरिहार्य कारणों से आना ही पड़ रहा है तो पर्वतीय मार्गों पर सावधानी बरतें। विशेषकर रात्रि में और वर्षा के दौरान सफर करने से बचें।