राजू अनेजा, काशीपुर।काशीपुर महानगर कांग्रेस की कमान संभालने के बाद अलका पाल के सामने अब संगठन को धार देने और पुराने सूखे को मिटाने की सबसे बड़ी चुनौती है। वर्षों से उपेक्षा और बिखराव झेल रही काशीपुर कांग्रेस को एक मजबूत दिशा देने की जिम्मेदारी अब अलका के कंधों पर है। पार्टी ने उन पर भरोसा दिखाया है, और अलका भी इस भरोसे को निभाने में कोई कसर नहीं छोड़ना चाहतीं।काशीपुर महानगर कांग्रेस की कमान अलका पाल के हाथों में आने के बाद पार्टी संगठन में नई हलचल जरूर दिख रही है, लेकिन उनकी असली परीक्षा अब शुरू हुई है। वर्षों से खेमेबाजी और निष्क्रियता से जूझ रही काशीपुर कांग्रेस को फिर से खड़ा करना किसी चुनौती से कम नहीं।
सबसे बड़ी बाधा—अपनों को मनाना और सभी धड़ों को एकजुट करना, ताकि पार्टी के लंबे सूखे पर विराम लगाया जा सके। सिर्फ शहर के सभी बूथों की स्थिति का बारीकी से जायजा लिया, बल्कि कार्यकर्ताओं को दोबारा सक्रिय करने की मुहिम भी चालू कर दी है।
मनमुटाव दूर करने में जुटीं अलका
अध्यक्ष बनने के बाद भले ही कांग्रेसियों के बीच कुछ मनमुटाव उभर कर सामने आए हों, लेकिन अलका एक-एक कार्यकर्ता से संवाद बनाकर पुराने मतभेद दूर करने की कोशिशों में जुट गई हैं।
वे लगातार बैठकों, संवाद कार्यक्रमों और बूथस्तरीय दौरे कर रही हैं ताकि हर वर्ग को फिर से पार्टी के साथ जोड़कर एक मजबूत टीम खड़ी की जा सके।
दिन-रात मेहनत, लक्ष्य—2027 पर नजर
अलका पाल का फोकस साफ है—संगठन को मजबूत करना और आगामी चुनावों में कांग्रेस को प्रतिस्पर्धी बनाना।
इसके लिए वे दिन-रात मेहनत कर रही हैं। वरिष्ठ नेताओं से लेकर जमीनी कार्यकर्ताओं तक, हर किसी को जिम्मेदारी सौंपते हुए उन्हें पार्टी के कार्यक्रमों से जोड़ने का प्रयास हो रहा है।
संगठन में नई ऊर्जा का संचार
अलका पाल की सक्रियता से पार्टी के भीतर नई ऊर्जा देखने को मिल रही है। जो लोग वर्षों से संगठन से दूर थे, वे दोबारा जुड़ने की इच्छा जता रहे हैं।
पार्टी सूत्रों की मानें तो आने वाले महीनों में काशीपुर कॉन्ग्रेस में बड़े फेरबदल और नई टीम की घोषणा भी हो सकती है।
अलका का मिशन: हर कार्यकर्ता को साथ लाना
अध्यक्ष पद संभालते ही अलका पाल ने शहर के बूथ स्तर तक दौरा शुरू कर दिया है। कई जगहों पर पुराने कार्यकर्ता नाराज़ दिखे तो कहीं संगठन में खामियों की शिकायतें मिलीं।
अलका एक-एक कार्यकर्ता तक पहुँचकर उन्हें पार्टी से जोड़ने की कोशिश में लगी हैं। उनका फोकस है कि किसी भी स्तर पर मनमुटाव न बचे और हर कार्यकर्ता को उसकी भूमिका स्पष्ट रूप से मिले।
अंदरूनी मतभेद बना बड़ी रुकावट
कांग्रेस में लंबे समय से चली आ रही गुटबाजी अब भी पूरी तरह खत्म नहीं हुई है। पूर्व पदाधिकारियों से लेकर बूथ स्तर पर सक्रिय टीमों में आपसी खींचतान सामने आती रही है।
इन्हीं मतभेदों को दूर करना अलका के लिए बड़ी चुनौती है, क्योंकि जब तक घर मजबूत नहीं होगा तब तक मैदान में जीत की उम्मीद बेमानी है।
दिन-रात मेहनत, संगठन को नए सिरे से सँवारने की तैयारी
अलका पाल न सिर्फ बैठकों का सिलसिला बढ़ा रही हैं, बल्कि हर वर्ग—महिला, युवा और वरिष्ठ कार्यकर्ताओं—को साथ लेकर चलने की रणनीति पर काम कर रही हैं।
शहर के रणनीतिक हिस्सों में नए बूथ प्रभारियों की नियुक्ति की तैयारियाँ भी चल रही हैं, ताकि चुनावों से पहले मजबूत नेटवर्क तैयार हो सके।
महिला शक्ति और युवाओं को सक्रिय करने की कोशिश
कांग्रेस की महिला इकाई और युवा विंग को फिर से तेज़ करने पर विशेष ध्यान दिया जा रहा है। अलका का मानना है कि संगठन को मजबूत करने में महिला शक्ति और युवाओं की भूमिका सबसे अहम होगी।
यही कारण है कि वे लगातार महिला कार्यकर्ताओं की छोटी-छोटी बैठकों से लेकर युवा कांग्रेस की बैठकों तक में शामिल होकर दिशा तय कर रही हैं।
सूखे पर विराम तभी, जब संगठन एकजुट
राजनीतिक जानकारों का मानना है कि काशीपुर में कांग्रेस का सूखा तब तक नहीं मिटेगा जब तक पार्टी गुटबाजी से मुक्त होकर एकजुट नहीं होती।
अलका पाल का रुख साफ है—“सबको साथ लेकर चलना ही जीत की पहली सीढ़ी है।” लेकिन उनका रवैया स्पष्ट है—
“मनमुटाव छोड़कर मिलकर चलेंगे, तभी काशीपुर में कांग्रेस की नैया पार लगेगी।”
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