देहरादून: उत्तराखंड सरकार ने राज्य की प्रशासनिक मशीनरी को सुचारू रूप से संचालित रखने के उद्देश्य से एक बड़ा फैसला लेते हुए राज्य के अधीन सेवाओं में कार्यरत कर्मचारियों की हड़ताल पर अगले छह महीनों के लिए प्रतिबंध लागू कर दिया है। यह आदेश बुधवार को सचिव कार्मिक शैलेश बगोली द्वारा अधिसूचना जारी किए जाने के साथ ही तत्काल प्रभाव से लागू हो गया है।
📜 प्रतिबंध का आधार और अवधि
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कानूनी आधार: यह निर्णय उ.प्र. अत्यावश्यक सेवाओं का अनुरक्षण अधिनियम, 1966 (उत्तराखंड राज्य में यथावत प्रवृत्त) की धारा 3(1) के अंतर्गत लिया गया है।
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अवधि: यह प्रतिबंध अगले छह महीनों तक लागू रहेगा।
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उद्देश्य: सरकारी तंत्र की निरंतरता, जनसेवा की बाधारहित उपलब्धता, और विकास कार्यों (जैसे कुंभ 2027 की तैयारी, डिजिटल प्रशासन) को सुनिश्चित करना।
👥 उपनल कर्मियों पर भी लागू
शासन ने स्पष्ट किया है कि यह प्रतिबंध उन सभी सेवाओं पर लागू होगा जो राज्याधीन मानी जाती हैं।
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प्रभाव: इस निर्णय के प्रभाव से उपनल (UPNL) के माध्यम से कार्यरत कार्मिक भी बाहर नहीं हैं। यह कदम उपनल कर्मचारियों की संभावित हड़तालों या कार्य बहिष्कार की चेतावनियों पर प्रभावी रोक लगाएगा, क्योंकि वे भी लगातार नियमितीकरण जैसी मांगों को लेकर आंदोलनरत रहे हैं।
⚠️ पृष्ठभूमि और परिणाम
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आंदोलन की पृष्ठभूमि: पिछले कुछ महीनों में स्वास्थ्य, ऊर्जा, परिवहन, निगमों एवं तकनीकी सेवाओं में कार्यरत कर्मचारियों द्वारा वेतनमान, सेवा सुरक्षा और नियमितीकरण जैसी मांगों को लेकर आंदोलन की परिस्थितियाँ उत्पन्न हुई थीं।
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सरकार का तर्क: सरकार ने इन आंदोलनों को सार्वजनिक सेवाओं के लिए बाधक बताते हुए अत्यावश्यक सेवाओं को सुरक्षित रखने का आधार लिया है।
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कानूनी कार्रवाई: इस अवधि में हड़ताल करने वालों पर कानूनी कार्रवाई भी संभव होगी।
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