नैनीताल: नैनीझील की जीर्ण-क्षीर्ण हो चुकी सुरक्षा दीवारों को नवजीवन देने की तैयारी शुरू हो गई है। मरम्मत का कार्य शुरू करने से पहले झील की परिधि क्षेत्र का जियोफिजिकल सर्वे कराया जा रहा है। इस अध्ययन के माध्यम से दीवारों के टूटने के कारणों के साथ ही भूगर्भीय हलचल की जाँच की जाएगी।
🔬 जियोफिजिकल सर्वे और विशेषज्ञ सुझाव
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उद्देश्य: यह सर्वे झील की $3.4$ किमी परिधि में भूस्खलन के कारणों का पता लगाएगा और यह निर्धारित करेगा कि किस स्थान पर किस प्रकार का ट्रीटमेंट दिया जाना है।
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जाँच प्रक्रिया: सर्वे के दौरान करीब 12 मीटर गहराई तक होल करके मिट्टी और सॉइल के नमूने लिए जाएँगे।
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आईआईटी की भूमिका: जाँच में लिए गए नमूनों को आईआईटी रुड़की के विज्ञानियों से परीक्षण करवाया जाएगा। विशेषज्ञों के सुझाव के बाद ही अंतिम ट्रीटमेंट तय किया जाएगा।
सिंचाई विभाग के अधिशासी अभियंता डीके सिंह ने बताया कि निजी संस्था से उपकरण व मशीनें मंगाकर जाँच शुरू कर दी गई है।
💰 मरम्मत के लिए डीपीआर तैयार
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डीपीआर: सिंचाई विभाग ने झील की सुरक्षा दीवार निर्माण के लिए ₹44.35 करोड़ की प्राथमिक विस्तृत परियोजना रिपोर्ट (DPR) तैयार करके मुख्य अभियंता कार्यालय भेजी है।
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संशोधन की संभावना: डीके सिंह ने बताया कि आईआईटी के विशेषज्ञों के सुझाव और जियोफिजिकल सर्वे से मिले डेटा के आधार पर डीपीआर में संशोधन होने की संभावना है।
🏗️ मरम्मत की आवश्यकता
ब्रिटिशकाल में निर्मित सुरक्षा दीवारों को रिक्शे और पैदल चलने वाली मालरोड को मोटर रोड में बदलने के बाद वाहनों के बढ़ते दबाव के कारण नुकसान पहुँचा। जलस्तर के लगातार बढ़ते-गिरते रहने और देखरेख के अभाव में ये दीवारें जीर्ण-क्षीर्ण हो गईं, जिससे 2018 और इस वर्ष सुरक्षा दीवार के साथ ही मालरोड भी क्षतिग्रस्त हो गई थी। कुमाऊं आयुक्त दीपक रावत ने क्षतिग्रस्त मालरोड के निरीक्षण के बाद सिंचाई विभाग को मरम्मत का प्रोजेक्ट बनाने के निर्देश दिए थे।
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प्राथमिक प्रस्ताव: प्राथमिक डीपीआर में उन स्थानों पर पाइलिंग का प्रस्ताव रखा गया है जहाँ झील सीधे सड़क के नीचे है, और जहाँ सीधा जुड़ाव नहीं है वहाँ तल पर आरसीसी के बाद सामान्य दीवार निर्माण का प्रस्ताव है।
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