कोरोना संक्रमण के बाद ब्लैक फंगस ने बढ़ाई चिंता, देहरादून में भी मिले तीन मामले

खबर शेयर करें -

नई दिल्ली: देशभर में कोरोना संक्रमण के बीच ब्लैक फंगस के दस्तक ने चिंता में डाल दिया है। कई प्रदेशों में कोरोना से ठीक हो चुके लोगों में ब्लैक फंगस यानी म्यूकॉरमाइकोसिस के मामले सामने आए है। ब्लैक फंगस के मामले गुजरात, महाराष्ट्र, दिल्ली, मध्यप्रदेश, राजस्थान, कर्नाटक, तेलंगाना, उत्तर प्रदेश, बिहार, हरियाणा ले साथ उत्तराखंड में भी पहुंच चुका है।
ब्लैक फंगस या काली फफूंद एक बेहद दुर्लभ संक्रमण है। नीति आयोग के सदस्य वीके पॉल के अनुसार अब कोविड-19 के कई मरीजों में फंगस इंफेक्शन की शिकायत देखी गई है। ब्लैक फंगस में नाक बंद हो जाना, नाक व आंख के आस-पास दर्द व लाल होना, बुखार, सिरदर्द, खांसी, सांस फूलना, खून की उल्टियां, मानसिक रूप से अस्वस्थ होना और कंफ्यूजन की स्थिति शामिल हैं। यह कोरोना वायरस के उन मरीजों को सबसे ज्यादा संक्रमित कर रहा है जिन्हें जिनको शुगर की बीमारी है। यह इतनी गंभीर बीमारी है कि मरीजों को सीधा आईसीयू में भर्ती करना पड़ रहा है।

ब्लैक फंगस के सबसे ज्यादा मामले गुजरात में सामने आए हैं और अब तक सौ से ज्यादा लोग इससे पीड़ित हो चुका है। राज्य सरकार इससे निपटने की तैयारी कर रही है और अस्पतालों में अलग वार्ड बनाए जा रहे हैं। इसके अलावा अलावा महाराष्ट्र, दिल्ली, मध्यप्रदेश, राजस्थान, कर्नाटक, तेलंगाना, उत्तर प्रदेश, बिहार, हरियाणा व देहरादून में ब्लैक फंगस के मामले सामने आए है।
महाराष्ट्र सरकार ने मेडिकल कॉलेजों से जुड़े अस्पतालों को ब्लैक फंगस के उपचार केंद्र के रूप में उपयोग करने का निर्णय लिया है. ठाणे में बुधवार को ब्लैक फंगस के चलते दो मरीजों की मौत हो गई. मध्य प्रदेश में ब्लैक फंगस के 50 से ज्यादा मामले सामने आए हैं। जिनमें से दो की मौत हो चुकी है। तेलंगाना में ब्लैक फंगस के 60 के करीब मामले मिले हैं। बेंगलुरु के ट्रस्ट वेल हॉस्पिटल में पिछले दो हफ्तों में ब्लैक फंगस के 38 मामले आए हैं।

ये सावधानी बरतें—
दिल्लीः आईसीएमआर के अनुसार कोरोना वायरस से ठीक हो चुके लोगों को हाइपरग्लाइसिमिया पर नियंत्रण करना जरूरी है। इसके अलावा डायबिटिक मरीजों को ब्लड ग्लूकोज लेवल चेक करते रहना चाहिए। स्टेरॉयड लेते वक्त सही समय, सही डोज और अवधि का ध्यान रखें। ऑक्सीजन थेरेपी के दौरान साफ पानी का इस्तेमाल करें। अगर मरीज एंटीबायोटिक्स और एंटीफंगल का इस्तेमाल कर रहा है तो इसमें भी सावधानी बरतने की जरूरत है। ब्लैक फंगस के किसी भी लक्षण को हल्के में ना लें। कोविड के इलाज के बाद नाक बंद होने को बैक्टीरियल साइनसिटिस नहीं मानें और लक्षण के नजर आने पर तुरंत जरूरी जांच कराएं। ब्लैक फंगस का इलाज अपने आप करने की कोशिश ना करें और ना ही इसमे समय बर्बाद करें।

देहरादून में 3 मामले सामने आए

देहरादून: दूर स्थित मैक्स अस्पताल में भर्ती एक मरीज में ब्लैक फंगस की पुष्टि हुई है। जबकि एक अन्य मरीज में भी इसके लक्षण मिले हैं। जिसकी रिपोर्ट अभी आनी बाकी है। अस्पताल में अब तक ब्लैक फंगस के तीन मामले सामने आ चुके हैं।