किच्छा : जानवरों की चर्बी को पिघलाकर घी तैयार करने वाला गिरोह चढ़ा पुलिस के हत्थे, पिकअप में लोड 200 कनस्तर सहित चार आरोपी गिरफ्तार
मानव स्वास्थ्य के साथ खिलवाड़ करने वाला गिरोह पुलिस के हत्थे चढ़ा है। यह गिरोह जानवरों की चर्बी को प्रोसेस कर घी तैयार करता था।
पुलभट्टा पुलिस ने पिकअप में लोड 200 कनस्तर तथा गोदाम से पांच कनस्तर घी के साथ चार आरोपितों को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया। यह गिरोह घी को सप्लाई के लिए यूपी ले जा रहा था।
बुधवार दोपहर गिरोह का पर्दाफाश करते हुए एसएसपी डॉ. मंजूनाथ टीसी ने बताया मंगलवार शाम पुलभट्टा पुलिस ने जानवरों की चर्बी को प्रोसेस करने के बाद तैयार घी की सप्लाई की सूचना पर वार्ड नंबर 18 सिरौलीकलां में एक घर की घेराबंदी कर दी। इस दौरान वहां कुछ लोग एक गोदाम से पिकअप में घी के कनस्तर लोड कर रहे थे।
पुलिस ने इकबाल साबरी पुत्र हसमतुल्ला कुरैशी निवासी वार्ड नंबर 12 किच्छा, नईम कुरैशी पुत्र तालिब हुसैन निवासी वार्ड नंबर 15 किच्छा, यासीन मलिक पुत्र हनीफ तथा मो. आलम पुत्र अशफाख हुसैन निवासी पीपलसाना थाना भोजपुर मुरादाबाद (उत्तर प्रदेश) को दबोच लिया। साथ ही पिकअप में लादे गए दो सौ कनस्तर व गोदाम के अंदर मिले पांच कनस्तर घी को कब्जे में ले लिया।
पूछताछ में इकबाल साबरी ने बताया वहा अपने साथियों के साथ दरऊ, कल्याणपुर, टांडा, मडइयों, चार बीघा सिरोलीकला व आसपास गाय व भैस का वध कर उनकी चर्बी को पिघलाकर उससे घी तैयार करते हैं। यह घी एक हजार रुपये प्रति कनस्तर के हिसाब से बेचते थे। इस बार माल की सप्लाई देने के लिए वे यूपी के हापुड़ जा रहे थे। इधर, खाद्य निरीक्षक आशा आर्या व पशु चिकित्सक डॉ. मृगेश चौधरी भी मौके पर पहुंचे। उनकी देखरेख में बरामद घी का सेंपल लेकर लैब का भेजा गया। पुलिस ने आरोपितों के खिलाफ मिलावटी खाद्य पदार्थ की बिक्री, हानिकारक खाद्य पदार्थ बनाने तथा पशु वध (आईपीसी की धारा 272, 273 व 429), उत्तराखंड गोवंश संरक्षण अधिनियम व पशु क्रूरता अधिनियम के तहत मुकदमा दर्ज कर जेल भेज दिया।
कॉल डिटेल से पकड़ में आएंगे और नाम
पुलिस ने जानवरों की चर्बी से घी तैयार करने वाले चारों आरोपितों के मोबाइल भी कब्जे में लिए हैं। इन नंबरों की डिटेल निकलवाकर पुलिस बड़ी मछलियों तक भी पहुंचने की कोशिश में है। साथ ही चारों को पुलिस रिमांड पर लेकर पूछताछ की भी तैयार है। सूत्रों के मुताबिक, यहां से तैयार यह घी हापुड़ में किसी हाजी के पास पहुंचता था जो आगे बिक्री करता था।
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