नगर निकायों के आर्थिक सशक्तिकरण पर सी एम धामी की सहमति ,मेयर दीपक बाली के सुझावों को बताया जनभावनाओं से जुड़ा, बोले—सरकार बनाएगी ठोस कार्ययोजना

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राजू अनेजा,काशीपुर। राज्य के नगर निकायों की आर्थिक स्थिति को मजबूत करने की दिशा में मंगलवार को एक अहम कदम उठाते हुए मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने नगर निगम काशीपुर के महापौर दीपक बाली द्वारा रखे गए सुझावों पर सहमति जताई। मुख्यमंत्री ने कहा कि “मेयर बाली के प्रस्ताव जनता की भावनाओं से जुड़े हैं। सरकार इन पर गंभीरता से विचार कर ठोस कार्ययोजना तैयार करेगी।”

रामनगर रोड स्थित अनन्या होटल में आयोजित राज्य स्तरीय शहरी विकास सम्मेलन में मुख्यमंत्री धामी ने कहा कि उत्तराखंड सरकार का लक्ष्य हर शहर को योजनाबद्ध विकास की राह पर आगे बढ़ाना है। उन्होंने कहा कि नगर निकाय जनता के सबसे नजदीकी शासन-स्तर हैं, जिनके माध्यम से सड़क, सफाई, जल निकासी और यातायात जैसी मूलभूत सेवाओं को मजबूती मिलती है।


🔹 निकायों का सशक्तिकरण ही विकास की असली रीढ़

मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रदेश के विकास की असली रीढ़ नगर निकाय हैं। यदि इन्हें आर्थिक रूप से सशक्त किया जाए, तो शहरी विकास की रफ्तार दोगुनी हो जाएगी। उन्होंने भरोसा दिलाया कि राज्य सरकार निकायों को न केवल योजनागत सहयोग देगी, बल्कि वित्तीय स्तर पर भी सुदृढ़ करेगी।

धामी ने कहा कि “नगर निकायों को सरकार की तरफ से सभी आवश्यक संसाधन और सुविधाएं उपलब्ध कराई जाएंगी, ताकि वे जनता को आधुनिक सुविधाएं दे सकें और शहरों को आत्मनिर्भर बना सकें।”


🟩 मेयर दीपक बाली के चार बड़े सुझाव

महापौर दीपक बाली ने अपने संबोधन में नगर निकायों की वास्तविक समस्याओं को मुख्यमंत्री के समक्ष बेबाकी से रखा।
उन्होंने कहा कि निकाय अपनी सड़कों पर स्ट्रीट लाइट्स जलाकर जनता को मुफ्त सेवा देते हैं, लेकिन बिजली का पूरा बिल खुद वहन करते हैं। इसलिए विद्युत विभाग द्वारा उपभोक्ताओं से वसूले जाने वाले बिजली बिल का 2 प्रतिशत हिस्सा नगर निकायों को दिया जाना चाहिए।

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उन्होंने दूसरी मांग में कहा कि नगर निकाय क्षेत्रों में होने वाली जमीन, मकान या दुकान की रजिस्ट्री से उपनिबंधक कार्यालय जो विकास शुल्क वसूलता है, उसका भी 2 प्रतिशत हिस्सा निकायों को दिया जाए। यह व्यवस्था 2009–10 तक लागू थी, जिसे बाद में समाप्त कर दिया गया।

तीसरे बिंदु में मेयर ने कहा कि जिला विकास प्राधिकरण (DDA) द्वारा किसी व्यावसायिक नक्शे को मंजूरी देने पर वसूले जाने वाले विकास शुल्क का 50 प्रतिशत हिस्सा नगर निकायों को दिया जाना चाहिए।

चौथे बिंदु में उन्होंने सुझाव दिया कि नगर निकाय का नो ऑब्जेक्शन सर्टिफिकेट (NOC) राज्य सरकार की सभी सेवाओं और आवेदन प्रक्रियाओं में अनिवार्य किया जाए, ताकि संपत्ति कर और यूजर चार्ज की वसूली बढ़े और निकाय आत्मनिर्भर बनें।

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🟦 धामी बोले—‘बाली के सुझाव व्यावहारिक और सार्थक’

मुख्यमंत्री धामी ने मेयर बाली के प्रस्तावों को व्यावहारिक और जनभावनाओं से जुड़ा बताया। उन्होंने कहा कि “नगर निकायों के लिए वित्तीय स्थिरता जरूरी है। मेयर बाली के सुझाव राज्य के अन्य निकायों के लिए भी मॉडल बन सकते हैं। सरकार इन प्रस्तावों पर सकारात्मक निर्णय लेगी और आवश्यक नीतिगत परिवर्तन करेगी।”

धामी ने आगे कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का सपना है कि हर शहर आत्मनिर्भर, स्वच्छ और स्मार्ट बने। इस दिशा में उत्तराखंड सरकार लगातार कार्य कर रही है। उन्होंने कहा कि डिजिटल सिटी मिशन, स्मार्ट रोड प्रोजेक्ट और स्वच्छ शहर अभियान के तहत निकायों को विशेष अनुदान और तकनीकी सहयोग दिया जाएगा।


🟨 “जब निकाय सशक्त होंगे, तभी शहर समृद्ध बनेंगे” : मेयर बाली

मेयर दीपक बाली ने मुख्यमंत्री के नेतृत्व की सराहना करते हुए कहा कि राज्य में निर्णायक फैसलों का दौर शुरू हो चुका है। उन्होंने कहा कि “जब नगर निकाय सशक्त होंगे, तभी शहरों का विकास तेज़ी से होगा और ‘समृद्ध उत्तराखंड – सशक्त उत्तराखंड’ का सपना साकार होगा।”

बाली ने कहा कि शहरी विकास सम्मेलन वास्तव में निकायों की वास्तविक जरूरतों और चुनौतियों को सामने लाने का एक सशक्त मंच है। उन्होंने उम्मीद जताई कि मुख्यमंत्री के नेतृत्व में निकायों की समस्याओं का समाधान शीघ्र होगा।

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🟧 सम्मेलन में रहा जनप्रतिनिधियों का जमावड़ा

कार्यक्रम में भाजपा प्रदेश अध्यक्ष महेंद्र भट्ट, विधायक त्रिलोक सिंह चीमा, भाजपा जिला अध्यक्ष मनोज पाल, प्रदेश प्रवक्ता गुरविंदर सिंह चंडोक, संयोग चावला सहित प्रदेशभर के मेयर, पालिका अध्यक्ष, नगर आयुक्त और अधिशासी अधिकारी मौजूद रहे।

सभा स्थल पर मुख्यमंत्री धामी का भव्य स्वागत किया गया। सम्मेलन में “स्मार्ट सिटी, ठोस अपशिष्ट प्रबंधन, स्वच्छता और हरित शहर” जैसे विषयों पर विशेषज्ञों ने प्रस्तुतियां दीं।


🔻 निष्कर्ष (एडिटोरियल टोन में)

काशीपुर में हुआ यह सम्मेलन इस बात का संकेत है कि नगर निकाय अब विकास की मुख्यधारा में हैं। मुख्यमंत्री धामी की सहमति ने यह स्पष्ट कर दिया है कि उत्तराखंड का अगला दशक ‘सशक्त निकाय–सशक्त शहर’ की दिशा में निर्णायक कदम साबित होगा।

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