उत्तराखंड में विभिन्न श्रेणियों के कर्मचारियों के नियमितीकरण की प्रक्रिया तेज हो गई है। राज्य सरकार पहले ही संशोधित नियमावली लागू कर चुकी है, और अब पूर्व में तय की गई कट ऑफ डेट को बढ़ाने पर काम जारी है। इसी कड़ी में, मंत्रिमंडलीय उप समिति के निर्देश पर, यह पता लगाने के लिए कर्मचारियों की विस्तृत जानकारी जुटाई जा रही है कि कट ऑफ डेट बदलने पर कितने कार्मिक लाभार्थी होंगे और सरकार पर कितना वित्तीय बोझ पड़ेगा।
📝 नियमितीकरण की कसरत और नियमावली
उत्तराखंड शासन अब राज्य में मौजूद निम्नलिखित श्रेणियों के कार्मिकों की जानकारी जुटा रहा है:
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दैनिक वेतन
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कार्य प्रभारित
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संविदा
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नियत वेतन
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अंशकालिक
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तदर्थ रूप से नियुक्त कार्मिक
कार्मिक सचिव शैलेश बग़ौली ने सभी अधिकारियों को पत्र लिखकर नियत प्रारूप में जानकारी देने के लिए कहा है।
📜 वर्तमान नियमितीकरण की शर्त
धामी सरकार ने विनियमितीकरण को लेकर संशोधित नियमावली-2025 लागू की है। संशोधित नियमावली के अनुसार, नियमितीकरण हेतु पात्र होने के लिए कार्मिकों को निम्नलिखित शर्त पूरी करनी होगी:
4 दिसंबर 2018 तक उस पद या समकक्ष पद पर कम से कम 10 वर्ष की निरन्तर सेवा पूरी कर ली हो।
⏳ कट ऑफ डेट बढ़ाने पर मंथन
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मंत्रिमंडल का पक्ष: मंत्रिमंडल के कई सदस्य इस वर्तमान कट ऑफ डेट (4 दिसंबर 2018) को बढ़ाकर 2025 तक करना चाहते हैं।
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मंत्रिमंडलीय उप समिति: इस मांग के आधार पर एक मंत्रिमंडलीय उपसमिति गठित की गई है।
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उप समिति का कार्य: उप समिति विस्तृत जानकारी जुटा रही है ताकि वित्तीय बोझ की असल स्थिति, तैनात कर्मी की योग्यता और विभाग में पद की स्थिति साफ हो सके।
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अंतिम राय: जानकारी जुटाने के बाद, उप समिति इस कट ऑफ डेट पर अपनी राय सरकार को सौंपेगी।
यह पहल लंबे समय से कार्यरत कर्मचारियों को नियमित कर उनके सेवा संबंधी सुरक्षा को सुनिश्चित करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।
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