उत्तराखंड के जौनसार-बाबर में ऐतिहासिक फैसला: शादी समारोह में महिलाएं नहीं पहन सकेंगी अत्यधिक गहने, सामाजिक समानता उद्देश्य
उत्तराखंड (जौनसार-बाबर): उत्तराखंड के जौनसार-बाबर क्षेत्र के कंधार और इंद्रौली गांव की स्थानीय पंचायतों ने समाज में बढ़ती आर्थिक असमानता और दिखावे की संस्कृति को खत्म करने के लिए एक महत्वपूर्ण और कड़ा निर्णय लिया है। अब इन गाँवों में शादी समारोह के दौरान महिलाएँ अत्यधिक गहने नहीं पहन सकेंगी।
💍 पंचायत का कड़ा फैसला
स्थानीय पंचायत द्वारा लिए गए इस निर्णय के तहत, शादी समारोहों में महिलाएँ अब केवल आवश्यक आभूषण ही पहन पाएंगी। अनिवार्य गहनों में मुख्य रूप से शामिल हैं:
- कान की बाली (झुमके)
- नथ (नाक का गहना)
- मंगलसूत्र
इन अनिवार्य गहनों के अलावा अन्य और अधिक गहनों का प्रदर्शन करने पर रोक लगा दी गई है।
🎯 उद्देश्य: आर्थिक बोझ और दिखावे की होड़ पर रोक
- सामाजिक दबाव: स्थानीय लोगों का मानना है कि परिवार अक्सर सामाजिक दबाव के चलते अपनी सामर्थ्य से अधिक खर्च कर देते हैं, जिससे विशेष रूप से गरीब और आम परिवारों पर भारी आर्थिक बोझ पड़ता है।
- आर्थिक असमानता: इंद्रौली गांव के अतर सिंह चौहान ने बताया, “सोने की कीमतें काफी ज्यादा हो गई हैं, आम व्यक्ति सोना नहीं खरीद पा रहा है… अमीर व्यक्ति तो खरीद सकता है, लेकिन गाँव में आम और गरीब लोग रहते हैं।”
- समानता: चौहान ने आगे कहा, “हम सब इस नियम से खुश हैं। अब कोई तुलना नहीं होगी कि किसने कितने गहने पहने हैं। इससे शादियाँ सादगी से होंगी।”
- सोने के दाम: 10 ग्राम सोने की कीमत लगभग ₹1,22,000 के करीब पहुँच गई है, जो आम लोगों की पहुँच से दूर होती जा रही है।
✅ महिलाओं ने किया स्वागत
गाँव की महिलाओं ने इस निर्णय का पुरजोर समर्थन किया है। गाँव की बुजुर्ग महिला उमा देवी ने कहा, “सोना बहुत महंगा हो गया है। हमारे पास इतना पैसा नहीं है कि हम अपने बच्चों की शादी में सोना खरीद सकें। यह फैसला बहुत अच्छा है।”
जौनसार-बाबर के इन गाँवों का यह कदम देश के अन्य ग्रामीण समाजों के लिए एक मिसाल कायम कर सकता है, जो आज भी दिखावे और सामाजिक दबाव के कारण अनावश्यक आर्थिक तंगी झेल रहे हैं।
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