“हमारी बेटी, हमारी चिंता”: फैशन और जल्दबाजी पर कवि गोकुलानन्द जोशी का गहरा संदेश

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कवि गोकुलानन्द जोशी द्वारा रचित कविता “हमारी बेटी, हमारी चिंता” एक मार्मिक संदेश देती है, जिसमें आज की बेटियों को जीवन के महत्वपूर्ण निर्णयों, विशेषकर विवाह के संबंध में, विचारपूर्वक आगे बढ़ने की सलाह दी गई है।—

🌸 कविता: *”हमारी बेटी, हमारी चिंता”*

यह कैसा युग आया हे, बेटियों के लिए,
जहाँ सपनों की उड़ान, बिना पंखों के हो रही हे।
फैशन की चकाचौंध में, खो ली अपनी पहचान,
मूल्यों की मिठास, अब लगती है इस को अनजान।

माँ-बाप की चिंता, अब समझ में नहीं आती,
बेटी के निर्णयों में, उनकी सलाह नहीं समा पाती।
ना व्यवसाय देखा, ना आय का किया विचार,
सिर्फ दिखावे में, खो दिया यह संसार।

सूखी रोटी खाकर, जीवन किया नष्ट ,
मूल्यवान समय को, व्यर्थ ही गंवा दिया।
ना माँ-बाप को बताया, ना रिश्तेदारों को,
अपने अरमानों की बगिया में, खुद ही आग लगाया।

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शादी के दो महीने भी नहीं बीते हे,
कोर्ट-कचहरी के चक्कर लगने शुरू हो गए।
जीवन साथी से पीछा नहीं छूटा,
समाज के तानों से मन बिखर गया।

चार दिन की जिंदगी, दो दिन में नष्ट हो गई,
माँ-बाप की इज्जत, खुद ही की धृष्ट।
सुधर जाओ बेटी, समय है अभी,
जीवन साथी को सोच-समझ कर चुनो सभी।

सरकारी नौकरी नहीं, इज्जत होनी चाहिए,
नशे से नहीं, परिवार से प्रेम होना चाहिए।
सुधर जाओ बेटी, नई राह अपनाओ,
अपने माँ-बाप के सपनों को साकार बनाओ।


कविता से मिली सीख:

यह कविता हमें कई महत्वपूर्ण सीख देती है:

  • जल्दबाजी में निर्णय न लेना: खासकर विवाह जैसे महत्वपूर्ण मामलों में जल्दबाजी से बचना चाहिए।
  • मूल्यों और संस्कारों को महत्व: बाहरी दिखावे और फैशन की तुलना में अपने मूल्यों और संस्कारों को प्राथमिकता देनी चाहिए।
  • माता-पिता की सलाह का सम्मान: माता-पिता की चिंताएं हमारे भले के लिए होती हैं, इसलिए उनकी सलाह का सम्मान करना चाहिए।
  • भौतिक सुख से परे प्रेम और इज्जत: जीवन में इज्जत और पारिवारिक प्रेम, भौतिक सुख-सुविधाओं से कहीं अधिक महत्वपूर्ण हैं।
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कवि गोकुलानन्द जोशी, जो करास माफी जनौटी पालड़ी, कफलीगर बागेश्वर से हैं और वर्तमान में पश्चिमी राजीव नगर, घोड़ानाला, बिन्दुखत्ता, लालकुआं, नैनीताल में रहते हैं, ने अपनी इस कविता के माध्यम से एक संवेदनशील सामाजिक मुद्दे को उठाया है।

कविता में यह स्पष्ट होता है कि बेटियां आर्थिक स्थिरता (व्यवसाय या आय) पर विचार किए बिना, केवल दिखावे को महत्व दे रही हैं। कवि दुख व्यक्त करते हैं कि कैसे कुछ बेटियां जल्दबाजी में गलत निर्णय ले लेती हैं, जिसके परिणामस्वरूप शादी के कुछ ही समय बाद उन्हें कोर्ट-कचहरी के चक्कर लगाने पड़ते हैं और उन्हें समाज के ताने सुनने पड़ते हैं, जिससे उनके माता-पिता की इज्जत भी प्रभावित होती है।

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कवि बेटियों से यह आग्रह करते हैं कि समय रहते सुधर जाएं और समझदारी से निर्णय लें। वे जोर देते हैं कि जीवन साथी का चुनाव करते समय सरकारी नौकरी या भौतिक सुख-सुविधाओं की बजाय इज्जत और परिवार से प्रेम को अधिक महत्व दिया जाना चाहिए। कवि की इच्छा है कि बेटियां सही मार्ग अपनाकर अपने और अपने माता-पिता के सपनों को साकार करें और परिवार की मान-मर्यादा बनाए रखें।