आपदा की दर्दनाक तस्वीर: मलबे में बच्चों को पकड़े मिली मां, बचाने की आखिरी जद्दोजहद
गोपेश्वर (चमोली): चमोली जिले के नंदानगर क्षेत्र में आई आपदा ने कई मार्मिक दृश्य छोड़े हैं। कुंतरी लगा फाली गांव में बचाव दल को जब मलबे के नीचे दबे परिवार का शव मिला, तो वहाँ का दृश्य देखकर हर कोई विचलित हो उठा। माँ कांता देवी (38) एक भारी वस्तु के नीचे दबी थीं, लेकिन उन्होंने अपने आखिरी क्षणों में अपने 10 साल के जुड़वां बेटों विकास और विशाल को बचाने के लिए कसकर पकड़ रखा था। यह दृश्य बता रहा था कि माँ ने अपने बच्चों को बचाने के लिए आखिरी दम तक कितनी जद्दोजहद की होगी।
32 घंटे बाद मिला मां और जुड़वां बेटों का शव
गुरुवार तड़के आई आपदा के बाद एनडीआरएफ और एसडीआरएफ की टीमें 32 घंटे से मलबे में जिंदगी की तलाश कर रही थीं। बड़ी सावधानी से कटर मशीनों से आरसीसी की छतों को काटकर जब बचावकर्मी अंदर पहुंचे, तब दोपहर करीब एक बजे इन तीनों की मौजूदगी का पता चला। जैसे ही तीनों शवों को बाहर निकाला गया, पूरा माहौल गमगीन हो गया।
चमोली के गांवों में तबाही का मंजर
आपदाग्रस्त नंदानगर क्षेत्र में शुक्रवार को पाँच शव बरामद हुए, जिनमें ये तीनों भी शामिल हैं। गांव के ऊपर की पहाड़ी से अचानक आए सैलाब ने कुंतरी लगा फाली और आसपास के करीब आधा दर्जन गाँवों को तबाह कर दिया। नंदानगर से बांजबगड़ जाने वाली सड़क पर चार जगहों पर भूस्खलन के कारण आवागमन पूरी तरह ठप हो गया है। साउ-टनोला गाँव की अनुसूचित जाति बस्ती के आठ परिवार बेघर हो गए हैं। कुंतरी लगा सरपाणीं गाँव में भी पति-पत्नी की मौत हो गई, और घिघराण बस्ती भी खतरे में है।
‘आंखों के सामने पत्नी मलबे में चली गई’
आपदा की भयावहता बताते हुए सेना से सेवानिवृत्त सूबेदार मेजर दिलबर सिंह रावत अपनी पत्नी को खोने का दर्द बयां करते हुए भावुक हो गए। उन्होंने कहा, “आँखों के सामने मेरी पत्नी मलबे में चली गई और मैं कुछ नहीं कर सका।” वहीं, मजदूरी करके घर बनाने वाली विधवा संगीता देवी का भी सब कुछ एक ही रात में खत्म हो गया। अब उन्हें अपनी बेटी के भविष्य की चिंता सता रही है, क्योंकि आजीविका के सारे साधन बाढ़ में बह गए हैं।



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