फिसली जुबान ने छीना प्रेम का राजपाट, विवादों से रहा है पुराना नाता, पढिए पूरी खबर

A slip of tongue snatched away Prem's reign, has a long association with controversies, read the full story

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राजू अनेजा, देहरादून। प्रेमचंद्र अग्रवाल उत्तराखंड में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के एक प्रमुख नेता हैं। उनका राजनीतिक जीवन काफी लंबा और सक्रिय रहा है। प्रेमचंद्र अग्रवाल का जन्म देहरादून जिले के डोईवाला में एक संघी पृष्ठभूमि वाले परिवार में हुआ था। वह एक मेधावी छात्र थे और उन्होंने खेलों में भी राष्ट्रीय स्तर पर प्रतिनिधित्व किया है। उन्हें वॉलीबॉल का अच्छा खिलाड़ी माना जाता था। उन्होंने एमकॉम और एलएलबी की शिक्षा प्राप्त की है। उन्होंने छात्र जीवन में अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (एबीवीपी) के साथ अपनी राजनीति की शुरुआत की थी। 1980 में, वह डोईवाला में एबीवीपी के अध्यक्ष बने। 1995 में, वह देहरादून जिले में भाजपा के प्रमुख बने। वह उत्तराखंड आंदोलन में भी सक्रिय रहे। 2007 में, वह पहली बार ऋषिकेश से भाजपा विधायक चुने गए। उन्हें सरकार में संसदीय सचिव भी बनाया गया। उन्होंने 2012, 2017 और 2022 के चुनावों में भी ऋषिकेश सीट से जीत हासिल की। वह उत्तराखंड विधानसभा के अध्यक्ष भी रह चुके हैं। वर्तमान में वो उत्तराखंड सरकार में कैबिनेट मंत्री हैं।

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क्या था विवादित बयान?

पहले यह समझते हैं कि हालिया बयान में ऐसा क्या था जिसके चलते विवाद मचा। दरअसल पिछले महीने यानी फरवरी में बजट सत्र के दौरान, विपक्ष के विधायकों के साथ बहस में प्रेमचंद अग्रवाल ने कहा कि क्या यह राज्य पहाड़ियों के लिए बनाया गया है? इतना बोलते ही आक्रोश फैल गया। हर ओर से उनके इस्तीफ की मांग होने लगी। आज उन्होंने इस्तीफे की घोषणा करते हुए भावुक होकर कहा कि उन्हें यह साबित करना पड़ रहा है कि उन्होंने भी राज्य के लिए योगदान दिया है। उन्होंने कहा कि आज जिस तरह का माहौल बनाया जा रहा है उससे बहुत आहत हूं, इसलिए मुझे इस्तीफा देना पड़ रहा है।

विवादों से रहा नाता

उत्तराखंड के वित्त मंत्री प्रेमचंद अग्रवाल का विवादों से पुराना नाता रहा है। लगभग दो साल पहले उनका एक वीडियो सोशल मीडिया पर खूब वायरल हुआ था। वीडियो में मंत्री प्रेमचंद्र अग्रवाल सड़क पर एक युवक के साथ हाथापाई कर रहे थे। वीडियो में मंत्री और युवक के बीच तीखी बहस हुई जो जल्द ही हाथापाई में बदल गई। युवक ने आरोप लगाया है कि मंत्री ने उसे थप्पड़ मारा। हालांकि,मंत्री ने इन आरोपों से इनकार किया था। तब मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने डीजीपी को पूरे मामले की जांच के आदेश दिए थे।

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इससे पहले साल 2019 में प्रेमचंद अग्रवाल और भगत राम कोठारी के बीच तीखी झड़प हुई थी। यह घटना केंद्रीय जलशक्ति मंत्री के एक कार्यक्रम के दौरान हुई थी।

इस घटना की जानकारी केंद्रीय नेतृत्व तक पहुंची थी,जिससे उनकी छवि पर नकारात्मक प्रभाव पड़ा था। प्रेमचंद अग्रवाल पर बैकडोर भर्ती के मामले में भी गंभीर आरोप लगे थे। इस मामले में उन पर इस्तीफे का दबाव भी बना था। उस समय अग्रवाल विधानसभा के स्पीकर थे। उन्होंने इस मामले पर बयान देते हुए कहा था कि विधानसभा बनने के बाद से तदर्थ भर्तियां होती आई हैं,लेकिन उन्हें जानबूझकर निशाना बनाया जा रहा है। उनके इस बयान से पार्टी और सरकार दोनों को मुश्किलों का सामना करना पड़ा था। साल 2018 में, जब प्रेमचंद अग्रवाल विधानसभा अध्यक्ष थे, उन पर अपने बेटे को जल संस्थान में नौकरी दिलाने का आरोप लगा था। यह मामला भी काफी सुर्खियों में रहा था।मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने डीजीपी को पूरे मामले की जांच के आदेश दिए थे।