कांग्रेस की कमजोरी बनी आप की ताकत, सियासत में भारी पड़े केजरी, सांप भी मर गया और…

खबर शेयर करें -

पांच राज्यों के विधानसभा चुनावों में कांग्रेस का कमजोर प्रदर्शन समझौते की बातचीत में आम आदमी पार्टी की ताकत बना। दो राज्यों में शासन कर रही आप ने मजबूती से पक्ष रखा और दिल्ली के अलावा हरियाणा, गुजरात और गोवा में भी समझौता करने में कामयाब रही।

इससे विपक्ष के साझा गठबंधन में आप कांग्रेस के बाद दूसरी सबसे बड़ी पार्टी बन गई है। दिलचस्प यह कि पंजाब को समझौते के दायरे से बाहर रखा गया है। विशेषज्ञ बताते हैं कि 2024 के लोकसभा चुनावों से ज्यादा इसके भविष्य की राजनीति के लिए मायने-मतलब हैं। इससे राष्ट्रीय पार्टी आप को दूसरे राज्यों में भी विस्तार करने में मदद मिलेगी। वहीं, वोट प्रतिशत बढ़ने से राष्ट्रीय स्तर पर कांग्रेस का विकल्प बनने की भी आप की संभावना मजबूत होगी।

दरअसल, दिसंबर के विधानसभा चुनावों में कांग्रेस के हाथ से राजस्थान व छत्तीसगढ़ छिन गए। वहीं, मध्य प्रदेश में भी पार्टी को कामयाबी नहीं मिली। हिंदी पट्टी के तीन राज्यों की हार के बाद से ही विपक्षी दलों का रुख बदल गया। साथी दल भी तभी से कांग्रेस को लगातार हिदायत देने लगे थे। हिदायतें कई बार कांग्रेस के लिए धमकी सरीखी भी रहीं। इसमें कई बार इंडिया गठबंधन का वजूद भी खतरे में नजर आया। इसमें विपक्षी दलों की कोशिश गठबंधन में कांग्रेस से ज्यादा से ज्यादा सीटें हासिल करने की रही। लोकसभा चुनाव के नजदीक आने के क्रम में अब धीरे-धीरे तस्वीर साफ होने लगी है। आप से समझौता होने से विपक्ष का गठबंधन आकार लेता दिख रहा है, लेकिन दिल्ली के अलावा इसमें फायदा कांग्रेस को होता नहीं दिख रहा है। इसके उलट मजबूती आप को मिलेगी।

गठबंधन के सहारे आप कांग्रेस के कोर वोटर के बीच पैठ बना सकेगी। इससे दूसरे राज्यों में उसका जनाधार मजबूत होगा। इससे पहले का अनुभव बताता है कि दिल्ली और पंजाब में कांग्रेस का वोट बैंक ही आप की तरफ शिफ्ट हुआ है।जानकारों की मानें तो फायदे के साथ अब आप पर प्रदर्शन की चुनौती भी है। पार्टी अगर हरियाणा और गुजरात में बेहतर प्रदर्शन करती है तो लोकसभा चुनाव के बाद उसे विस्तार का मौका मिलेगा। वहीं, राष्ट्रीय स्तर पर कांग्रेस के विकल्प के तौर पर उभरने की भी संभावना से इंकार नहीं किया जा सकता। स्वीकार्यता बढ़ने पर इन राज्यों के साथ दूसरे राज्यों में भी पार्टी के लिए जगह बनेगी।

यह भी पढ़ें 👉  कांग्रेस जिलाध्यक्ष राहुल छिम्वाल ने नैनीताल जिले में 15 ब्लॉक और नगर प्रभारी चुने, लालकुआं-बिंदुखत्ता में संजय किरौला को दी गई जिम्मेदारी

कांग्रेस को मिल सकता बूस्ट, आप के पास खोने को कुछ नहीं
लोकसभा चुनाव के लिए गठबंधन के अलग मायने हैं। इसमें दिल्ली की राजनीति में आधार खो चुकी कांग्रेस पार्टी को इस गठबंधन से संजीवनी मिलने की उम्मीद है। पार्टी फिर से अपने वोटरों के बीच जाकर उपस्थिति दर्ज करा सकेगी। दिल्ली की अनधिकृत कॉलोनी हो या झुग्गी-झोपड़ी वहां के वोटरों को पाले में करने का प्रयास करेगी। इसके साथ ही मुस्लिम मतदाताओं के बीच भी पैठ बना सकेगी। दूसरी तरफ लोकसभा चुनाव में आप के पास खोने को कुछ नहीं है। पिछले दो लोकसभा चुनावों में भाजपा की लहर के सामने आप पस्त रही। इस बार भी कुछ ज्यादा कर पाने की हालत में नहीं थी। लिहाजा, गठबंधन से आप के पास खोने को बहुत कुछ नहीं है।

‘दिल्ली में भाजपा की स्थिति गठबंधन के बावजूद रहेगी मजबूत’
राजनीतिक विश्लेषक चंद्रचूड़ सिंह बताते हैं कि पिछले लोकसभा चुनाव से तुलना की जाए तो भाजपा की स्थिति और मजबूत रहने वाली है। 10-16 प्रतिशत की लीड पहले भी थथी। अब श्रीराम लहर से इसमें बढ़ोतरी की उम्मीद है। हां, समझौते से इतना जरूर हुआ है कि जहां पहले गठबंधन बिखरता नजर आ रहा था, अब लचर ही सही, लेकिन उसे एक आकार मिला है। वैसे भी, गठबंधन चुनावी सफलता के लिए किया जाता है। इसमें विचारधाराएं काम नहीं करतीं। यह एक तरह से अवसरवाद है। इस गठबंधन के साथ दिक्कत यह है कि पंजाब में दोनों दल आमने-सामने होंगे। पंजाब का असर दिल्ली पर भी पंजाबी बहुल इलाकों में रहता है। ऐसे में वोटर को समझा पाना दोनों दलों के लिए मुश्किल भरा काम होगा। इतना जरूर है कि मुस्लिम वोटों का बिखराव इस बार नहीं होगा।

यह भी पढ़ें 👉  कांग्रेस जिलाध्यक्ष राहुल छिम्वाल ने नैनीताल जिले में 15 ब्लॉक और नगर प्रभारी चुने, लालकुआं-बिंदुखत्ता में संजय किरौला को दी गई जिम्मेदारी

चुनाव प्रचार के लिए आप बनाएगी कोआर्डिनेशन कमेटी : आतिशी
नई दिल्ली। राजधानी में लोकसभा चुनाव को लेकर आम आदमी पार्टी और कांग्रेस मिलकर कोआर्डिनेशन कमेटी बनाएंगी। शनिवार को सीटों के बंटवारे के दौरान आतिशी ने कहा कि आम आदमी पार्टी शुरू से ही इंडिया गठबंधन का एक महत्वपूर्ण स्तंभ रही है। आप और कांग्रेस दिल्ली, गुजरात, हरियाणा, चंडीगढ़ और गोवा में पूरी मजबूती के साथ चुनाव लड़ेंगी। अब हम चुनाव प्रचार को लेकर एक कोआर्डिनेशन कमेटी बनाएंगे। वहीं, मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल की गिरफ्तारी की आशंका पर आतिशी ने कहा कि सीटों के बंटवारे के साथ ही मुख्यमंत्री को गिरफ्तार करने की बात सामने आने लगी है। अभी भी हमारे पास खबर है कि सोमवार को सीबीआई का नोटिस आएगा और शायद कुछ दिनों में गिरफ्तारी हो जाए।

केजरीवाल ने आधी दिल्ली का विश्वास खोया: भाजपा
आम आदमी पार्टी और कांग्रेस के गठबंधन पर शनिवार को भाजपा नेताओं ने दोनों पार्टियों को घेरा। प्रदेश भाजपा अध्यक्ष वीरेंद्र सचदेवा ने कहा कि गठबंधन दर्शाता है कि मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल का दिल्लीवासियों से जुड़ाव खत्म हो गया है। दिल्ली की जनता ने 70 विधानसभा में से 62 सीटें उनकी झोली में दी थीं। लिहाजा, वे गठबंधन करके आधी दिल्ली का विश्वास खो चुके हैं। गठबंधन के बावजूद भाजपा दिल्ली की सातों लोकसभा सीटें जीतेगी।

यह भी पढ़ें 👉  कांग्रेस जिलाध्यक्ष राहुल छिम्वाल ने नैनीताल जिले में 15 ब्लॉक और नगर प्रभारी चुने, लालकुआं-बिंदुखत्ता में संजय किरौला को दी गई जिम्मेदारी

सचदेवा ने कहा है कि दिल्ली वाले इस बात से हैरान हैं कि कुछ दिन पहले तक कांग्रेस और आप दोनों एक-दूसरे को भ्रष्ट कहते थे, अब अपनी साख बचाने के लिए गठबंधन कर रहे हैं। दोनों ने उत्तर-पश्चिमी दिल्ली अनुसूचित जाति व ग्रामीण आबादी वाली एससी आरक्षित सीट को कांग्रेस पार्टी को सौंपकर ग्रामीण आबादी और दलित मतदाताओं से संपर्क खो दिया है। इसी तरह चांदनी चौक और उत्तर पूर्वी दिल्ली की सीटें कांग्रेस को देकर मुख्यमंत्री ने स्वीकार किया है कि उन्होंने वैश्य और पंजाबी दोनों समुदायों के व्यापारियों के साथ-साथ मुस्लिम समुदाय के मतदाताओं के साथ भी संपर्क खो दिया है।

सिद्धांतहीन समझौता किया: बिधूड़ी
नेता प्रतिपक्ष रामवीर सिंह बिधूड़ी ने कहा है कि कांग्रेस और आम आदमी पार्टी ने सिद्धांतहीन समझौते किया है। दोनों मिलकर भी भाजपा के वोटों के आसपास नहीं पहुंच सकेंगी। वर्ष 2019 के लोकसभा चुनावों में भाजपा को दिल्ली ने 56.9 प्रतिशत वोट देकर जिताया था, जबकि कांग्रेस को केवल 22.5 और आप को 18.1 प्रतिशत वोट ही मिले थे। विपक्षी दलों में हड़कंप है।

कांग्रेस को पानी पी-पीकर कोसते थे: तिवारी
गठबंधन पर तंज कसते हुए उत्तर-पूर्वी दिल्ली के सांसद मनोज तिवारी ने कहा की मुख्यमंत्री की हरकत से आम आदमी पार्टी कार्यकर्ता निराश हैं। वहीं, कांग्रेस के कार्यकर्ताओं में भी भारी असंतोष है। पानी पी-पीकर कांग्रेस को मुख्यमंत्री कोसते थे। भ्रष्टाचार की जननी बता रहे थे। कांग्रेस के नेताओं को जेल भेजने की बात कह रहे थे। अब वे अपने स्वाभिमान को तिलांजलि दे रहे हैं। दिल्ली की जनता केजरीवाल की छुपी हकीकत को जान चुकी है और समय पर जवाब देगी।

Ad Ad Ad Ad Ad Ad Ad Ad Ad Ad Ad Ad