उत्तराखंड में हरीश रावत और हरक सिंह की तकरार बनी कांग्रेस की मुसीबत, 2024 से पहले बढ़ा सिरदर्द

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उत्तराखंड में कांग्रेस के दो बड़े नेताओं के बीच टकराव कांग्रेस के लिए सिरदर्द बन गया है. एक तरफ पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत हैं तो दूसरी ओर पूर्व कैबिनेट मंत्री हरक सिंह रावत है.

दोनों ही नेता गाहे-बगाहे एक दूसरे के खिलाफ बयान देते हैं, जिससे पार्टी के भीतर कलह बढ़ रही है. 2017 में हरक सिंह रावत ने हरीश रावत की सरकार गिराने में बड़ी भूमिका निभाई थी साथ ही हरीश रावत का स्टिंग कराने में भी उनकी भूमिका सामने आई थी, जिसके बाद हरीश रावत लगातार उनसे नाराज चल रहे हैं.

2022 विधानसभा चुनाव से पहले हरक सिंह रावत कांग्रेस में शामिल हुए, लेकिन हरीश रावत नहीं चाहते थे कि उनकी वापसी कांग्रेस में हो. उस वक्त कांग्रेस आला कमान के सामने उन्हें खामोश होना पड़ा, लेकिन अब उनकी नाराजगी इस बात को लेकर बढ़ गई है कि वो खुद हरिद्वार सीट से लोकसभा चुनाव लड़ना चाहते हैं लेकिन हरक सिंह रावत अपनी दावेदारी पेश कर रहे हैं. ऐसे में हरीश रावत कई बार सार्वजनिक मंचों से जनता से अपील कर चुके हैं कि ऐसे जयचंदो को सबक सिखाया जाए जिन्होंने उत्तराखंड की जनता के साथ धोखा किया था और यहां की चुनी हुई सरकार को गिराने का काम किया था.

दोनों नेताओं ने बढ़ाया कांग्रेस का सिरदर्द

हरक सिंह रावत भी पीछे नहीं है. वो साफ कह चुके हैं कि 2017 में जो हुआ उसके लिए हरीश रावत जिम्मेदार है. उन्होंने कहा कि हमारी कांग्रेस से कोई नाराजगी नहीं थी सभी लोग हरीश रावत से नाराज थे. उनकी नीतियों से नाराज थे. वो लगातार कांग्रेस को कमजोर करने का काम कर रहे थे और अपने साथियों की अवहेलना कर रहे थे, इसलिए हम लोगों ने उनसे अलग होने का फैसला लिया था.

हरीश रावत और हरक सिंह रावत दोनों ही हरिद्वार की सीट से अपनी किस्मत आजमाना चाहते हैं, लेकिन टिकट तो किसी एक को मिलना है ऐसे में दोनों नेता एक दूसरे को निशाना बना रहे हैं. हरीश रावत का कद कांग्रेस ने बड़ा है यही वजह है कि वो अपने विरोधियों पर और ज्यादा हमलावर दिख रहे हैं. वहीं हरक सिंह के बारे में भी कहा जाता है कि वो मौका देखकर ही वार करते हैं.

चुनाव से पहले फिर बदलेंगे पाला!

हरक सिंह रावत ने अपने राजनीतिक जीवन की शुरुआत बीजेपी से की, फिर बसपा में गए फिर कांग्रेस में शामिल हो गए. साल 2017 में बीजेपी दोबारा गए लेकिन फिर से 2022 में कांग्रेस में वापसी की. अब ये देखना होगा की अगर उनको लोकसभा का टिकट नहीं मिलता तो कहां जाएंगे. खबरों की माने तो कांग्रेस के कुछ नेताओं की दोबारा बीजेपी में वापसी की बात भी कही जा रही है. हरिद्वार में भाजपा, कांग्रेस और बसपा तीनों का बड़ा प्रभाव है. ऐसे में हरक सिंह रावत टिकट न मिलने की स्थिति में क्या करेंगे ये तो आने वाला वक्त ही बता सकता है. लेकिन अभी इन नेताओं की तकरार ने कांग्रेस की मुसीबत बढ़ा रखी है.

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