उत्तराखंड: बैंक कर्मी ने पहले मंदिर में रुपए रखे फिर वहां एक नोट लिखकर छोड़ हुआ लापता

खबर शेयर करें -

रुड़की: एक बैंककर्मी द्वारा मंदिर में एक लिखित नोट छोड़कर सुसाइड करने की बात लिखी है. बताया जा रहा है कि वो व्यक्ति पिछले कुछ सालों से कैंसर की बीमारी से जूझ रहा था. घटना की जानकारी मिलते ही मंगलौर पुलिस की टीम ने जल पुलिस की मदद से उस शख्स की गंगनहर में तलाश की. घंटों तक तलाशी लेने पर भी बैंक कर्मी का कुछ पता नहीं चल सका है.

जानकारी के मुताबिक, रुड़की निवासी ये शख्स मंगलौर के एक सरकारी बैंक में नौकरी करते हैं. करीब दो साल से वो कैंसर से पीड़ित हैं. उनका एक अस्पताल में इलाज चल रहा था. बताया जा रहा है कि बीते शनिवार (4 मई) की शाम वो घर से निकले और इसके बाद घर वापस नहीं लौटे. उनके वापस न लौटने पर परिजनों ने काफी तलाश की, लेकिन उनका कुछ पता नहीं चल सका.

रविवार (5 मई) की सुबह परिजनों के पास किसी व्यक्ति का फोन आया. उस व्यक्ति ने फोन पर बताया कि वो प्रचीन शिव मंदिर तांशीपुर गांव से बोल रहा है. यहां मंदिर में उसे एक नोट मिला है और साथ में एक पर्ची मिली है, जिस पर ये मोबाइल नंबर लिखा था. इस पर्ची से ही नंबर लेकर उन्होंने कॉल की है. जिसके बाद अनुराग के परिजन मौके पर पहुंचे और मामले की जानकारी ली.

परिजनों ने जब नोट पढ़ा तो उनके होश उड़ गए. बताया जा रहा है कि बैंक कर्मी के इस कथित सुसाइड नोट में लिखा था कि, ‘मैं कैंसर की बीमारी से बहुत परेशान हो चुका हूं. अब जीने की इच्छा खत्म हो चुकी है. इसलिए आत्महत्या कर रहा हूं.‘ इसके अलावा नोट में ये भी लिखा था कि ‘मैंने मंदिर में पांच सौ रुपए चढ़ाए हैं और एक पर्ची पर घर के मोबाइल नंबर भी लिखे हैं.

इसके अलावा भी अन्य कई बातें लिखी हुई थीं. इसके बाद परिजनों ने मामले की सूचना पुलिस को दी. सूचना पर पहुंची पुलिस ने आसपास के लोगों से जानकारी ली. इसी दौरान गंगनहर किनारे नहाने वाले कुछ बच्चों से भी पुलिस ने किसी के गंगनहर में जाने के बारे में जानकारी ली. जिस पर बच्चों ने बताया कि शनिवार की शाम उन्होंने एक शख्स को आसफनगर पुल पर खड़ा हुआ देखा था, लेकिन कुछ देर बाद वो अचानक वहां से गायब हो गए. ऐसे में पुलिस को आशंका है कि वही ये व्यक्ति हो सकते हैं.

“जल पुलिस की मदद से गंगनहर में सर्च अभियान चलाया गया है, लेकिन बैंककर्मी का कुछ पता नहीं चल पाया है.” – अमरचंद शर्मा, प्रभारी निरीक्षक, मंगलौर कोतवाली