देहरादून: राष्ट्रीय शैक्षिक अनुसंधान एवं प्रशिक्षण परिषद (एनसीईआरटी) द्वारा स्कूली पाठ्यपुस्तकों में ‘ऑपरेशन सिंदूर’ को शामिल करने के फैसले का उत्तराखंड मदरसा शिक्षा बोर्ड ने स्वागत किया है। बोर्ड के अध्यक्ष मौलाना मुफ्ती शमून कासमी ने रविवार को इस कदम की सराहना करते हुए कहा कि इससे युवाओं को भारतीय सशस्त्र बलों की वीरता से अवगत कराया जा सकेगा।
मदरसों में अनिवार्य होगा ‘ऑपरेशन सिंदूर’
आईएएनएस से बात करते हुए मौलाना मुफ्ती शमून कासमी ने बताया कि उत्तराखंड मदरसा बोर्ड ने इस दिशा में पहले ही एक सक्रिय कदम उठाया है। उन्होंने कहा, “हमने राज्य के सभी मदरसों के लिए ‘ऑपरेशन सिंदूर’ को अपने पाठ्यक्रम में शामिल करना अनिवार्य कर दिया है। हमारे बच्चों को यह जानना चाहिए कि कैसे भारतीय सेना ने बहादुरी से पाकिस्तान और पीओके के अंदर जवाबी हमला किया, जो एक ऐसा देश है जिसका कोई संविधान नहीं है और जो आतंकवाद को बढ़ावा देने के लिए जाना जाता है।” उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के ‘मन की बात’ कार्यक्रम में भारतीय सेना के पराक्रम को देश की जनता के सामने रखने की भी प्रशंसा की।
भगवद् गीता और रामायण को पाठ्यक्रम में शामिल करने का समर्थन
कासमी ने उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के उस प्रस्ताव का भी समर्थन किया, जिसमें उन्होंने स्कूली पाठ्यक्रम में भगवद् गीता और रामायण को शामिल करने का प्रस्ताव रखा था।
उन्होंने तर्क दिया कि भगवान राम के जीवन को छात्रों के सामने लाने से उनके व्यवहार में बदलाव आएगा। उनका मानना है कि जब युवा भगवान राम के जीवन के बारे में पढ़ेंगे, तो वृद्धाश्रमों की संख्या भी कम होगी, क्योंकि भगवान राम ‘मर्यादा पुरुषोत्तम’ हैं, जो मर्यादा और कर्तव्य के आदर्श पुरुष हैं। उन्होंने यह भी कहा कि गीता की शिक्षाएं आत्म-अनुशासन और धार्मिकता को बढ़ावा देती हैं।
कासमी ने अंत में यह भी कहा कि “धर्म को राष्ट्र की सेवा करनी चाहिए, लेकिन राष्ट्र धर्म से भी ऊपर है। यही सर्वोच्च सिद्धांत है।”
क्या आपको लगता है कि शिक्षा पाठ्यक्रम में ऐसे विषयों को शामिल करना छात्रों में राष्ट्रप्रेम और नैतिक मूल्यों को बढ़ावा देगा?
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