उत्तराखंड : केबिनेट बैठक के दौरान दो वरिष्ठ नौकरशाहों में तीखी बहस, नजारा देख मंत्रीगण भी रह गए दंग

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केबिनेट बैठक के दौरान दो वरिष्ठ नौकरशाहों में तीखी बहस छिड़ गई। यह नजारा देख मंत्रीगण भी दंग रह गए, हालांकि किसी ने अफसरों के बीच में कोई हस्तक्षेप नहीं किया। गुरुवार को हुई कैबिनेट बैठक के दौरान यह घटना हुई।

सूत्रों ने बताया कि एक पॉलिसी को लेकर एक ही रैंक के इन दो अफसरों में यह विवाद हुआ। दरअसल, सौर ऊर्जा पॉलिसी को भी कैबिनेट बैठक में रखा जाना था, लेकिन वित्त से इसे हरी झंडी नहीं मिल पाई थी। इस पर एक वरिष्ठ नौकरशाह ने भरी कैबिनेट में दूसरे विभाग के अफसर पर ठीकरा फोड़ा तो वो भी भड़के अंदाज में उतर आए। वे सीधे नियम-कानून का पाठ-पढ़ाने लगे। दोनों विभागों के अफसरों के बीच डेढ़-दो मिनट तक यह नोकझोंक चली, लेकिन मंत्रीगण भी शांत होकर उनकी बहस सुनते रहे।

बैठक खत्म होने के बाद कुछ मंत्रीगणों ने इस पर चुस्कियां भी ली। वे कहते नजर आए कि कभी-कभार तो नौकरशाहों का ऐसा द्वंद्व देखने को मिलता है। उधर, शुक्रवार को सचिवालय में नौकरशाहों का यह आपसी विवाद चर्चाओं में रहा, कर्मचारी विवाद को लेकर हैरत भी जताते दिखे।

कैबिनेट बैठक गैरसैंण में होगी

मुख्यमंत्री पुष्कर धामी की अध्यक्षता में अब गैरसैंण में कैबिनेट बैठक होगी। दरअसर, कई महत्वपूर्ण प्रस्ताव को धामी सरकार हरी झंडी देना चाहती थी, लेकिन प्रस्ताव आधे-अधूरे और मंत्रीगणों के संज्ञान में न होने से इन पर सहमति नहीं बन पाई। होली के त्योहार और शनिवार व रविवार के अवकाश के चलते दून में कैबिनेट बैठक होनी मुश्किल है। सरकार ने 13 मार्च से गैरसैंण में बजट सत्र आहुत किया है। पहले दिन राज्यपाल का अभिभाषण है। सूत्रों ने बताया कि 13 या 14 मार्च को किसी भी दिन गैरसैंण में कैबिनेट बैठक बुलाई जा सकती है।

राज्य सरकार ने पालिसी से संबंधित नीतिगत मामलों पर परामर्शी विभाग के अफसरों के बीच दायित्वों का बंटवारे को मंजूरी दे दी है। उत्तराखंड में उप्र कार्य नियमावली पूरक 1975 लागू है। इसके तहत मंत्रीगणों से लेकर अपर सचिव रैंक तक अफसरों में कार्य बांटा गया है। पॉलिसी से संबंधित मामलों में प्रशासकीय विभाग जैसे मंत्री परिषद, कार्मिक, वित्त, नियोजन, विधायी व न्याय को भी फाइलें भेजी जाती हैं। आम तौर पर इन फाइलें में समीक्षा अधिकारी, सेक्शन अफसर तक टिप्पणी दर्ज करते थे, लेकिन कैबिनेट ने अब कई पायदान खत्म कर दिए हैं। अब अपर सचिव रैंक से नीचे के अफसर इन फाइलों पर टिप्पणी नहीं कर सकेंगे। वहीं, न्याय एवं वित्त विभाग को छोड़ शेष विभागों ने यदि 15 दिन के भीतर अपना परामर्श नहीं दिया तो यह मान लिया जाएगा कि उनकी सहमति है।