क्या अपशकुन बंग्ले ने छीना केबिनेट मंत्री प्रेम का राज पाट ? इस अपशुकनी बंगले की मनहूसियत सुनकर आप भी रह जाएंगे दंग

Did this ominous bungalow on the hills snatch away the power of Cabinet Minister Prem? You will also be stunned to hear about the ill omen of this ominous bungalow

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राजू अनेजा, काशीपुर ।उत्तराखंड सरकार के वित्त मंत्री प्रेमचंद अग्रवाल को अपने विवादित बयान के चलते पद से इस्तीफा देना पड़ा। विधानसभा में पहाड़ियों को लेकर दिए बयान के चलते चौतरफा घिरे प्रेमचंद अग्रवाल ने बकायदा प्रेस कॉन्फ्रेंस की और नम आंखों से अपने इस्तीफे की घोषणा की थी। इसके बाद उनके बंगले को लेकर अजीब सी बात निकलकर सामने आई है। उस बंगले को लोग अपशकुन बता रहे हैं। लोगों का कहना है कि इस बंगले में रहने वाले मंत्री अपना कार्यकाल पूरा नहीं कर पाते। प्रेमचंद अग्रवाल के साथ भी यही हुआ।

धामी सरकार में मंत्री रहे प्रेमचंद अग्रवाल को साल 2022 में आर-2 बंगला मिला था। इस बंगले के बारे में लोगों का कहना है कि यह किसी मंत्री के लिए लकी नहीं है। इत्तेफाक देखिए पहाड़ी लोगों के खिलाफ विधानसभा में दिए गए अपने विवादित बयानों के बाद कैबिनेट मंत्री के पद से इस्तीफा देने के एक दिन बाद ही बंगला छोड़ दिया। उत्तराखंड में प्रेमचंद अग्रवाल के कैबिनेट मंत्री पद से इस्तीफे ने यमुना कॉलोनी के आर-2 बंगले से जुड़े एक पुराने अंधविश्वास को फिर से हवा दे दी है।

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अविभाजित उत्तर प्रदेश में सिंचाई विभाग के अधिकारियों के लिए बने यमुना कॉलोनी के ये बंगले,2000 में उत्तराखंड बनने के बाद मंत्रियों के आधिकारिक निवास बन गए थे। 2002 में नारायण दत्त तिवारी की पहली चुनी हुई सरकार में,आर-2 बंगला सिंचाई मंत्री शूरवीर सिंह सजवान को दिया गया था,जिन्हें जुलाई 2004 में अपना कार्यकाल पूरा होने से पहले ही पद से हटा दिया गया था। सजवान उन पांच मंत्रियों में से थे जिन्हें 91वें संविधान संशोधन के प्रावधानों के अनुसार मंत्रिमंडल के आकार को कम करने के लिए हटाया गया था, जिसने देश और राज्यों में मंत्रिमंडल के आकार को सीमित कर दिया।

2007 में हरक सिंह रावत विपक्ष के नेता के रूप में बंगले में रहे और अपना कार्यकाल पूरा किया। 2012 में मंत्री बनने के बाद भी वे बंगले में रहते रहे। लेकिन 2016 में, अन्य कांग्रेस विधायकों के साथ हरीश रावत सरकार के खिलाफ विद्रोह करने के बाद,हरक सिंह रावत को मंत्री पद और विधानसभा की सदस्यता के साथ बंगला छोड़ना पड़ा। विजय बहुगुणा 2012 में मुख्यमंत्री बनने के बाद बंगले में रहने आए थे,लेकिन उन्हें सिर्फ दो साल बाद पद छोड़ना पड़ा था।

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हरीश रावत,जिन्होंने बहुगुणा की जगह मुख्यमंत्री का पद संभाला,उस घर में नहीं रहे। उन्होंने पास के बीजापुर राज्य अतिथिगृह को अपने निवास के रूप में इस्तेमाल किया और अपने पूरे कार्यकाल में वहीं रहे। जब उनसे इस बारे में पूछा गया तो कांग्रेस नेता ने कहा कि जब मैं मुख्यमंत्री बना,तो मुझे बंगले के बारे में ऐसी कोई जानकारी नहीं थी। लेकिन जैसे ही मैं अंदर जाने की तैयारी कर रहा था,राजनीतिक स्थिति ऐसी हो गई कि मैं वहां नहीं जा सका। मैंने चुनाव के बाद बंगले में जाने के बारे में सोचा था,लेकिन तब तक सरकार ही बदल गई थी।

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2017 के विधानसभा चुनावों के बाद मुख्यमंत्री बने त्रिवेंद्र सिंह रावत ने मुख्यमंत्री के निवास से जुड़े अपशकुन की बातों को नजरअंदाज करना चुना और वहां रहने का फैसला किया,लेकिन उन्हें अपना कार्यकाल पूरा करने से पहले 2021 में इस्तीफा देना पड़ा। हालांकि,वर्तमान मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के लिए यह बंगला बहुत शुभ साबित हुआ है। यहां रहते हुए, उन्होंने न केवल भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) को लगातार दूसरी बार सत्ता में लाया,बल्कि वे फिर से मुख्यमंत्री भी बने,जिससे पहाड़ी राज्य में एक नया चुनावी इतिहास रचा गया।

 

 

 

 

 

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