उत्तराखंड में ‘विंड्स’ योजना से कृषि होगी सुगम: मौसम की सटीक जानकारी से किसानों को लाभ

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उत्तराखंड में अब विंड्स (वेदर इन्फार्मेशन नेटवर्क सिस्टम) योजना खेती-किसानी की राह सुगम बनाएगी। केंद्र सरकार के सहयोग से चलने वाली इस योजना के क्रियान्वयन को व्यय वित्त समिति ने हरी झंडी दे दी है। इस पहल से विषम भौगोलिक परिस्थितियों वाले उत्तराखंड में किसानों को मौसम की सटीक जानकारी मिलेगी, जिससे वे बेहतर वित्तीय योजना और जोखिम प्रबंधन कर सकेंगे।

🛰️ विंड्स योजना का क्रियान्वयन

विंड्स योजना के तहत पूरे राज्य को मौसम निगरानी उपकरणों से आच्छादित किया जाएगा:

  • ऑटोमैटिक वेदर स्टेशन (AWS): सभी 95 ब्लाक मुख्यालयों में लगेंगे।

  • ऑटोमैटिक रेनगेज (ARG): 7184 ग्राम पंचायतों में लगेंगे।

  • तापमान व आर्द्रतामापी उपकरण: 671 न्याय पंचायतों में कुल 799 उपकरण लगाए जाएंगे।

  • कार्यदायी संस्था: इसके लिए कार्यदायी संस्था का चयन कर लिया गया है।

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🎯 विंड्स से किसानों को लाभ

विंड्स से प्राप्त मौसम पूर्वानुमान व आंकड़ों के आधार पर किसानों को कई तरह से लाभ होगा:

  • जोखिम प्रबंधन: किसान फसलों को लेकर अच्छी वित्तीय योजना और जोखिम प्रबंधन कर सकेंगे।

  • फसल चयन: किसान यह तय कर सकेंगे कि क्षेत्र विशेष में कौन सी फसल बोना उपयुक्त रहेगा।

  • विशिष्ट जानकारी: किसानों को क्षेत्र विशेष में आर्द्रता, पाला, बर्फबारी व वर्षा की जानकारी मिलेगी।

  • फसल क्षतिपूर्ति: आपदा से फसल क्षति का ग्राम स्तर पर वास्तविक आकलन हो सकेगा, जिससे प्रभावित किसानों को क्षतिपूर्ति भी हो सकेगी।

💰 योजना की फंडिंग और संचालन

  • फंडिंग: योजना में 90 प्रतिशत राशि केंद्र सरकार देगी, जबकि 10 प्रतिशत राज्य वहन करेगा।

  • संचालन: विंड्स के तहत लगने वाले सभी उपकरण सौर ऊर्जा से संचालित होंगे।

  • बैटरी बैकअप: इनके सोलर पैनल का बैटरी बैकअप 72 दिन का होगा, जिससे ये निरंतरता में चल सकेंगे।

  • डेटा फ्लो: सेटेलाइट आधारित इन उपकरणों से आंकड़े सीधे लैब को मिलेंगे, जहाँ विश्लेषण के बाद किसानों को उपलब्ध कराए जाएंगे।

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🏞️ उत्तराखंड में कृषि की चुनौतियाँ

उत्तराखंड में कृषि व्यवस्था मैदानी, पर्वतीय व घाटी वाले क्षेत्रों में विभक्त है। राज्य की 95 ब्लाकों में से 71 में खेती वर्षा पर ही निर्भर है। पिछले कुछ वर्षों से वर्षा का मिजाज बदलने (अतिवृष्टि, कम वर्षा) से चुनौती और बढ़ गई है। अतिवृष्टि और भूस्खलन से हर साल फसलों को क्षति पहुंचती है, लेकिन ब्लाक व न्याय पंचायत का मानक होने से सभी प्रभावित किसानों को मुआवजा नहीं मिल पाता था।

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📍 विंड्स की पहुंच (जिलेवार क्लस्टर)

योजना के नोडल अधिकारी डॉ. नरेंद्र यादव के अनुसार, राज्य में विंड्स की पहुंच क्लस्टर के अनुसार होगी:

क्लस्टर जिले एडब्ल्यूएस (AWS) एआरजी (ARG)
प्रथम अल्मोड़ा, बागेश्वर व पिथौरागढ़ 22 2085
द्वितीय चंपावत, नैनीताल व ऊधम सिंह नगर 19 1065
तृतीय देहरादून, हरिद्वार व टिहरी 21 1599
चतुर्थ चमोली, पौड़ी, रुद्रप्रयाग व उत्तरकाशी 33 2435