तुम लोगों ने मोदी को सिर पर चढ़ा रखा है…पहलगाम में पर्यटकों पर गोली बरसाते बोले आतंकी, कहा- जा कर अपने PM को बोल देना

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जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए बर्बर आतंकवादी हमले में 28 लोगों की मौत ने पूरे देश को हिला दिया है। चश्‍मदीदों के मुताबिक हथियार से लैस आतंकियों ने लोगों से पहले नाम पूछा फिर कलमा पढ़ने को कहा फिर गोली मारकर हत्या कर दी।

इस हमले में 20 से ज्‍यादा लोग घायल हैं। इस पूरे हमले में एक अलग बात निकल कर सामने आई है और वो ये कि आतंकियों ने पर्यटकों को गोली मारने से पहले कहा था कि ‘तुम लोगों ने मोदी को सिर पर चढ़ा रखा है।’ पहलगाम आतंकी हमले से ठीक पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सऊद अरब दौरे के लिए रवाना हुए थे। लेकिन उनके पहुंचने के बाद आतंकी हमला हो गया। खबर के मुताबिक एक पीड़िता ने कहा, ‘आतंकियों ने हमें प्रधानमंत्री मोदी के नाम पर धमकाया और इसके बाद कहा कि तुम लोगों ने मोदी को सिर पर चढ़ा रखा है। उसकी वजह से हमारा मजहब खतरे में है।’

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एक आतंकी ने कहा, जाकर अपने पीएम को कह देना कि हमने ऐसा किया है। दोस्तों के साथ पहलगाम में कैंपिंग कर रहे द‍िल्‍ली के रहने वाले विकास शर्मा ने भी आपबीती शेयर की है। उन्‍होंने लिखा, हम लोग तंबू में बैठकर गाना गा रहे थे। बाहर कुछ लोग घुड़सवारी कर रहे थे। अचानक 6-7 लोग आए, जिनके चेहरों पर मास्क थे। वो चिल्लाए, बाहर निकलो, नाम बताओ! मेरे दोस्त ने जैसे ही अपना नाम बताया, उन्होंने गोली चला दी। मैं जमीन पर लेट गया, लेकिन मेरे दोस्त को चार गोलियां लगीं। चारों तरफ खून ही खून था। मैंने अपनी जिंदगी में ऐसा मंजर नहीं देखा।

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सिर्फ पुरुषों को बनाया निशाना

एक चश्‍मदीद ने बताया कि आतंकी लोकल पुलिस की वर्दी में थे और मास्क भी पहने हुए थे। उन्होंने बताया, ‘हमलावरों ने सिर्फ पुरुषों को निशाना बनाया और खास तौर पर हिंदुओं से जबरन कलमा पढ़वाने की कोशिश की। जो नहीं पढ़ पाए, उन्हें गोली मार दी गई।

आतंकियों की तलाश में चॉपर, खोजी कुत्ते और ड्रोन

आतंकियों की धरपकड़ के लिए हमले की जगह के आसपास 15 अहम पॉइंट्स पर घेराबंदी की गई है। आतंकियों की तलाश में खोजी कुत्ते, ड्रोन और हेलिकॉप्टर का इस्तेमाल किया जा रहा है। पूरे इलाके में सीआरपीएफ, बीएसएफ और आर्मी के अलावा जम्मू-कश्मीर पुलिस ने बड़े स्तर पर तलाशी अभियान शुरू कर दिया है। सूत्रों का कहना है कि हमला 3 जुलाई से शुरू होने वाली पवित्र अमरनाथ यात्रा के शुरू होने से पहले सोच-विचाकर किया गया लगता है। हमला करने से पहले इलाके की रेकी की गई।

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आतंकवादियों ने इसका भी ध्यान रखा कि कहां कितनी फोर्स लगी है। फिर मौका देखकर लोगों को टारगेट किया। अधिकारियों ने बताया कि गोलीबारी की आवाजें आने की शुरुआती खबर मिलने के बाद ही सेना, CRPF और स्थानीय पुलिस बैसरन पहुंचीं। बैसरन 1980 के दशक में फिल्म निर्माताओं की बेहद पसंदीदा जगह रही है। यह घटना ऐसे समय हुई है, जब वर्षों तक आतंकवाद से जूझने के बाद कश्मीर में टूरिस्टों की संख्या में भारी इजाफा देखा गया है।

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