फाइबर बेहद जरूरी, शुगर पेशेंट के लिए तो ‘वरदान’, पर क्या खाने से ये शरीर को मिलेगा? एक्सपर्ट से जानिए
हैल्दी रहने के लिए हमें प्रोटीन, विटामिंस, मिनरल्स और गुड फैट्स वगैरह की ज़रूरत होती है. इन सबके अलावा एक चीज़ और है जिसका आपके खाने में होना बेहद ज़रूरी है. फाइबर. जब भी हाज़मा ठीक नहीं होता.
कब्ज़ (constipation) की शिकायत होती है. तब ऐसी चीज़ें खाने को कहा जाता है जिसमें फाइबर हो. दरअसल, फाइबर पेट में गुड बैक्टीरिया को बढ़ाता है और स्टूल आसानी से पास करने में मदद करता है.
सिर्फ यही नहीं, फाइबर के कई दूसरे फायदे भी होते हैं. क्या हैं ये फायदे? हमें बताया डाइटिशियन कौशिकी गुप्ता ने.
कौशिकी गुप्ता, सीनियर डाइटिशियन, मेट्रो हार्ट एंड कैंसर इंस्टीट्यूट, फरीदाबाद
डाइटिशियन कौशिकी बताती हैं कि फाइबर प्रीबायोटिक (prebiotic) की तरह काम करता है. यानी पेट में जो गुड बैक्टीरिया हैं, उन्हें पोषण देता है. इससे हमारा गट माइक्रोबायोम हेल्दी रहता है.
अब ये गट माइक्रोबायोम क्या चीज़ है? गट यानी पेट और माइक्रोबायोम यानी वो छोटे-छोटे जीव जो खुली आंखों से दिखाई नहीं देते. जो हमारे पेट में रहते हैं. गट माइक्रोबायोम हेल्दी रहने से इम्यून सिस्टम मज़बूत होता है. हमारा मूड सुधरता है. हाज़मा अच्छा होता है, और तो और, शरीर पोषक तत्व भी बढ़िया तरह से सोख पाता है.
वज़न पर नियंत्रण रखता है फाइबर!
फाइबर से वज़न भी कंट्रोल होता है. दरअसल इसे खाने के बाद पेट देर तक भरा महसूस होता है. लिहाज़ा हम ओवर ईटिंग नहीं करते और वज़न कंट्रोल करने में मदद मिलती है.
शुगर लेवल भी तेज़ी से नहीं बढ़ता!
डायबिटीज़ के मरीज़ हैं, तो अपने खाने में फाइबर ज़रूर शामिल करें. ये खून में शुगर का लेवल तेज़ी से बढ़ने से रोकता है. जिससे डायबिटीज़ कंट्रोल से बाहर नहीं जा पाती.
फाइबर से दिल की बीमारियों का जोखिम कम होता है
दिल की बीमारियों का रिस्क घटाए!
फाइबर शरीर में एब्ज़ॉर्व नहीं होता. बल्कि पेट, छोटी आंत और कोलन से होते हुए शरीर से बाहर निकल जाता है. और, ये सिर्फ अकेला बाहर नहीं जाता. अपने साथ कोलेस्ट्रॉल को भी बांधकर ले जाता है. इससे शरीर में बैड कोलेस्ट्रॉल का लेवल कम होता है. नतीजा? दिल की बीमारियों का रिस्क भी घटता है.
कैंसर का जोखिम भी करता है कम!
फाइबर कोलोरेक्टल कैंसर का जोखिम भी कुछ हद तक कम कर सकता है. असल में ये खाने को तेज़ी से शरीर से बाहर ले जाने में मदद करता है. इससे कैंसर फैलाने वाले तत्व आंत की परत के संपर्क में ज़्यादा देर तक नहीं रह पाते. लिहाज़ा, आंत को नुकसान नहीं पहुंचता और कोलोरेक्टल कैंसर होने का चांस भी घट जाता है. हालांकि सिर्फ़ इससे कोलोरेक्टल कैंसर से नहीं बचा जा सकता, लेकिन ये बचाव का एक ज़रिया हो सकता है.
फाइबर के लिए खाएं क्या?
आप मिलेट्स, दालें, चने और राजमा खा सकते हैं. ब्रॉकोली, पालक और गाजर जैसी सब्ज़ियां फाइबर का अच्छा सोर्स हैं. पपीता, जामुन, सेब, नाशपाती, और संतरों में भी खूब फाइबर होता है. आप चाहें तो बादाम, चिया सीड्स, अलसी और अखरोट जैसे मेवे और बीज भी खा सकते हैं.
(यहां बताई गई बातें, इलाज के तरीके और खुराक की जो सलाह दी जाती है, वो विशेषज्ञों के अनुभव पर आधारित है. किसी भी सलाह को अमल में लाने से पहले अपने डॉक्टर से जरूर पूछें. हम आपको अपने आप दवाइयां लेने की सलाह नहीं देता.)












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